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यूपी पंचायत चुनाव परिणामों से भाजपा चिंतित, यूपी में हो सकते हैं बड़े बदलाव - लखनऊ खबर

यूपी में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में अपेक्षा के अनुरूप परिणाम न मिल पाने को लेकर भाजपा केंद्रीय संगठन चिंतित है. पार्टी के शीर्ष नेताओं ने चुनाव परिणामों को लेकर मंथन शुरू कर दिया है. जिसके बाद पार्टी सूत्रों के अनुसार, पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार लोगों के दायित्व में बदलाव किया जा सकता है.

यूपी पंचायत चुनाव परिणामों से भाजपा चिंतित
यूपी पंचायत चुनाव परिणामों से भाजपा चिंतित
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Published : May 8, 2021, 3:24 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिले हैं, जिसके कारण पार्टी नेतृत्व चिंतित है. पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी ने जिला वार रिपोर्ट मंगाई है. उस पर पार्टी के जिम्मेदार नेता मंथन कर रहे हैं. यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन सिंह ने प्रदेश नेतृत्व के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी पंचायत चुनावों के परिणामों पर चर्चा की है. वहीं दूसरी तरफ पार्टी के भीतर से यह संकेत मिलने शुरू हो गए हैं कि पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार लोगों के दायित्व में बदलाव किया जा सकता है. पंचायत चुनाव शुरू होने से लेकर अब तक चुनावों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की नजर बनी हुई है.

बूथ स्तर तक कमेटी फिर भी हार
उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत के 3,051 वार्ड हैं. इनमें से पार्टी के 954 प्रत्याशी ही विजयी हो सके हैं. यह तब हुआ जब पार्टी का सांगठनिक ढांचा बूथों तक खड़ा है. पार्टी का दावा ता कि प्रदेश के एक लाख 63 हजार बूथों में से करीब डेढ़ लाख बूथों पर भाजपा की कमेटियां गठित हैं. मतलब प्रत्येक बूथ पर कम से कम 21 कार्यकर्ता सक्रिय हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा के बूथ अध्यक्षों ने पार्टी उम्मीदवारों का साथ नहीं दिया? या फिर इस हार के पीछे का कोई और कारण है. इतना ही नहीं पिछले चार वर्षों में पार्टी ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से गांव-गांव तक पहुंचने का दावा किया है.

विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा असर

बंगाल में हार के साथ ही यूपी के पंचायत चुनाव में भी अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंता और भी बढ़ गयी है. नेतृत्व नहीं चाहता कि जनता के बीच पार्टी की हार या विपक्ष से पीछे रह जाने का संदेश जाए. अगर जनता के बीच यह संदेश गया तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है, इसीलिये पार्टी के रणनीतिकार मंथन करने में जुट गए हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और राधा मोहन सिंह की मौजूदगी में शुक्रवार को ऐसे ही हर पहलू पर विचार किया गया. राधा मोहन सिंह ने परिणामों पर संतोष व्यतक करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव पर फोकस करने को कहा है.

इसे भी पढ़ें- केंद्र सरकार का वैक्सीन बजट ₹35 हजार करोड़, खर्च मात्र ₹4,744 करोड़


बदलाव से नई ऊर्जा के साथ होगा काम
पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी के भीतर से यह भी संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही उत्तर प्रदेश में बड़े सांगठनिक बदलाव किए जाएंगे. पार्टी सूत्रों के अनुसार, नए लोगों को जिम्मेदारी मिलेगी तो वह नई ऊर्जा के साथ संगठन के कार्य को आगे बढ़ाएंगे. पार्टी के एक नेता ने बताया कि जिलों के साथ ही पंचायत चुनाव में लगे प्रदेश और क्षेत्र स्तर के नेताओं से फीडबैक लिया जा रहा है. जिलों से सांसदों और विधायकों की इस चुनाव में भूमिका के बारे में भी रिपोर्ट तलब की गई है. समीक्षा करने के बाद ही नेतृत्व कोई निर्णय लेगा. राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि आमतौर पर भाजपा त्वरित कार्रवाई नहीं करती, लेकिन उसके सामने विधानसभा चुनाव जीतना बड़ी चुनौती है. ऐसे में बदलाव का अनुमान लगाया जा सकता है.

पार्टी का क्या होगा अगला कदम
भाजपा का अगला कदम जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों की कुर्सी पर पूरी तरह से काबिज होना है. पार्टी सूत्रों की मानें तो पंचायत चुनाव पर मंथन के दौरान यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अब पीछे की बातों को छोड़कर हमें जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनाव पर फोकस करना होगा. जिलों में इसकी कवायद दिखाई देने लगी है. जिला अध्यक्ष दूसरे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को भाजपा में शामिल कराने के लिए समर्थन प्राप्त कर रहे हैं. भाजपा के मंच पर सभी को एक साथ लाया जा रहा है. वैसे भी आमतौर पर निर्दलीय उम्मीदवार सत्ताधारी दल के साथ जाना पसंद करते हैं. अब भाजपा सभी 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जितना चाह रही है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिले हैं, जिसके कारण पार्टी नेतृत्व चिंतित है. पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी ने जिला वार रिपोर्ट मंगाई है. उस पर पार्टी के जिम्मेदार नेता मंथन कर रहे हैं. यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन सिंह ने प्रदेश नेतृत्व के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी पंचायत चुनावों के परिणामों पर चर्चा की है. वहीं दूसरी तरफ पार्टी के भीतर से यह संकेत मिलने शुरू हो गए हैं कि पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार लोगों के दायित्व में बदलाव किया जा सकता है. पंचायत चुनाव शुरू होने से लेकर अब तक चुनावों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की नजर बनी हुई है.

बूथ स्तर तक कमेटी फिर भी हार
उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत के 3,051 वार्ड हैं. इनमें से पार्टी के 954 प्रत्याशी ही विजयी हो सके हैं. यह तब हुआ जब पार्टी का सांगठनिक ढांचा बूथों तक खड़ा है. पार्टी का दावा ता कि प्रदेश के एक लाख 63 हजार बूथों में से करीब डेढ़ लाख बूथों पर भाजपा की कमेटियां गठित हैं. मतलब प्रत्येक बूथ पर कम से कम 21 कार्यकर्ता सक्रिय हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा के बूथ अध्यक्षों ने पार्टी उम्मीदवारों का साथ नहीं दिया? या फिर इस हार के पीछे का कोई और कारण है. इतना ही नहीं पिछले चार वर्षों में पार्टी ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से गांव-गांव तक पहुंचने का दावा किया है.

विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा असर

बंगाल में हार के साथ ही यूपी के पंचायत चुनाव में भी अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंता और भी बढ़ गयी है. नेतृत्व नहीं चाहता कि जनता के बीच पार्टी की हार या विपक्ष से पीछे रह जाने का संदेश जाए. अगर जनता के बीच यह संदेश गया तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है, इसीलिये पार्टी के रणनीतिकार मंथन करने में जुट गए हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और राधा मोहन सिंह की मौजूदगी में शुक्रवार को ऐसे ही हर पहलू पर विचार किया गया. राधा मोहन सिंह ने परिणामों पर संतोष व्यतक करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव पर फोकस करने को कहा है.

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बदलाव से नई ऊर्जा के साथ होगा काम
पंचायत चुनाव को लेकर पार्टी के भीतर से यह भी संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही उत्तर प्रदेश में बड़े सांगठनिक बदलाव किए जाएंगे. पार्टी सूत्रों के अनुसार, नए लोगों को जिम्मेदारी मिलेगी तो वह नई ऊर्जा के साथ संगठन के कार्य को आगे बढ़ाएंगे. पार्टी के एक नेता ने बताया कि जिलों के साथ ही पंचायत चुनाव में लगे प्रदेश और क्षेत्र स्तर के नेताओं से फीडबैक लिया जा रहा है. जिलों से सांसदों और विधायकों की इस चुनाव में भूमिका के बारे में भी रिपोर्ट तलब की गई है. समीक्षा करने के बाद ही नेतृत्व कोई निर्णय लेगा. राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि आमतौर पर भाजपा त्वरित कार्रवाई नहीं करती, लेकिन उसके सामने विधानसभा चुनाव जीतना बड़ी चुनौती है. ऐसे में बदलाव का अनुमान लगाया जा सकता है.

पार्टी का क्या होगा अगला कदम
भाजपा का अगला कदम जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों की कुर्सी पर पूरी तरह से काबिज होना है. पार्टी सूत्रों की मानें तो पंचायत चुनाव पर मंथन के दौरान यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अब पीछे की बातों को छोड़कर हमें जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनाव पर फोकस करना होगा. जिलों में इसकी कवायद दिखाई देने लगी है. जिला अध्यक्ष दूसरे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को भाजपा में शामिल कराने के लिए समर्थन प्राप्त कर रहे हैं. भाजपा के मंच पर सभी को एक साथ लाया जा रहा है. वैसे भी आमतौर पर निर्दलीय उम्मीदवार सत्ताधारी दल के साथ जाना पसंद करते हैं. अब भाजपा सभी 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जितना चाह रही है.

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