ETV Bharat / state

भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके   - Analysis of UP Bureau Chief Alok Tripathi

लोकसभा चुनाव 2024 में फतह के लिए सभी दलों में सियासी पैंतरेबाजी देखी जा रही है. कई नेता विपक्ष के सहारे अपनी चुनावी नैया पार करने के जोड़ जुगत हैं. वहीं कई नेता और दल भाजपा में राजनीतिक भविष्य देख रहे हैं. ऐसे में दल बदल और पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jul 17, 2023, 5:45 PM IST

लखनऊ : एक ओर समाजवादी पार्टी के मुखिया सोमवार से बेंगलुरू में होने वाली विपक्षी दलों की दो दिनी बैठक करने के लिए गए हैं तो दूसरी ओर भाजपा उनकी पार्टी में सेंधमारी में जुटी है. समाजवादी पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा देने वाले दारा सिंह चौहान ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. कहा जा रहा है कि अभी समाजवादी पार्टी के कई दिग्गज नेता भाजपा के संपर्क में हैं और यह नेता बहुत जल्द भाजपा में शामिल होकर सपा को एक और झटका दे सकते हैं. सपा के साथ गठबंधन कर विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर में भाजपा गठबंधन में शामिल हो रहे हैं और राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के भी सपा का साथ छोड़ भाजपा संग जाने की उम्मीद जाताई जा रही है.

लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े.
लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े.
भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके.
भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके.


भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए पटना के बाद सोमवार और मंगलवार को विपक्षी दलों की दूसरी बैठक बेंगलुरू में हो रही है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बैठक का अहम हिस्सा हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 80 सांसद लोकसभा पहुंचते हैं. स्वाभाविक है कि जो पार्टी उत्तर प्रदेश में बड़ी फतह हासिल कर पाएगी. उसके लिए दिल्ली की राह कुछ आसान जरूर हो जाएगी. इस बैठक में सपा गठबंधन के साथी राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी शामिल होंगे. हालांकि सूत्र बताते हैं कि वह भाजपा शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं और जल्दी ही भाजपा गठबंधन के साथी बन सकते हैं. निकाय चुनावों में कई सीटों पर सपा और रालोद में मतभेद उभरे थे. वैसे भी रालोद यदि भाजपा गठबंधन में शामिल होती है तो उसे सत्ता का लाभ मिलेगा. जयंत खुद केंद्र में मंत्री बन सकते हैं, जबकि उनकी पार्टी के एक-दो नेताओं को उत्तर प्रदेश में भी मंत्रिपद मिल सकता है. स्वाभाविक है कि यह फायदे का सौदा होगा.

भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके .
भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके .






भाजपा के लिए अच्छी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष काफी कमजोर है. सपा को छोड़ दें तो कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ दो सीटों जीतने में कामयाब हो पाई थी, जबकि बसपा के खाते में महज एक सीट आई थी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस को सिर्फ एक रायबरेली सीट पर सफलता मिली थी. राहुल गांधी तक अपनी अमेठी की सीट नहीं बता पाए थे. हां, सपा-बसपा के गठबंधन में 15 सीटें जरूर जीती थीं, जिसमें 10 बसपा के खाते में गई थीं, लेकिन आज की परिस्थिति बिल्कुल अलग है. बसपा ने किसी भी दल के साथ गठबंधन न करने का एलान कर दिया है. ऐसी स्थिति में बसपा के लिए अपनी पुरानी जीत दोहरा पाना आसान नहीं होगा. यदि सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ भी तो दोनों दलों का सीटों पर पेंच फंसना तय है. वैसे भी प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार बेहद कम रह गया है. ऐसी स्थिति में क्या भाजपा के सामने यह गठबंधन बड़ी चुनौती खड़ा कर पाएगा, यह देखने वाली बात होगी.



यह भी पढ़ें : कर्नाटक: कुमारस्वामी बोले- विपक्ष ने जनता दल सेक्युलर को कभी अपना हिस्सा नहीं माना

लखनऊ : एक ओर समाजवादी पार्टी के मुखिया सोमवार से बेंगलुरू में होने वाली विपक्षी दलों की दो दिनी बैठक करने के लिए गए हैं तो दूसरी ओर भाजपा उनकी पार्टी में सेंधमारी में जुटी है. समाजवादी पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा देने वाले दारा सिंह चौहान ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली. कहा जा रहा है कि अभी समाजवादी पार्टी के कई दिग्गज नेता भाजपा के संपर्क में हैं और यह नेता बहुत जल्द भाजपा में शामिल होकर सपा को एक और झटका दे सकते हैं. सपा के साथ गठबंधन कर विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर में भाजपा गठबंधन में शामिल हो रहे हैं और राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी के भी सपा का साथ छोड़ भाजपा संग जाने की उम्मीद जाताई जा रही है.

लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े.
लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़े.
भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके.
भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके.


भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए पटना के बाद सोमवार और मंगलवार को विपक्षी दलों की दूसरी बैठक बेंगलुरू में हो रही है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बैठक का अहम हिस्सा हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 80 सांसद लोकसभा पहुंचते हैं. स्वाभाविक है कि जो पार्टी उत्तर प्रदेश में बड़ी फतह हासिल कर पाएगी. उसके लिए दिल्ली की राह कुछ आसान जरूर हो जाएगी. इस बैठक में सपा गठबंधन के साथी राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी शामिल होंगे. हालांकि सूत्र बताते हैं कि वह भाजपा शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं और जल्दी ही भाजपा गठबंधन के साथी बन सकते हैं. निकाय चुनावों में कई सीटों पर सपा और रालोद में मतभेद उभरे थे. वैसे भी रालोद यदि भाजपा गठबंधन में शामिल होती है तो उसे सत्ता का लाभ मिलेगा. जयंत खुद केंद्र में मंत्री बन सकते हैं, जबकि उनकी पार्टी के एक-दो नेताओं को उत्तर प्रदेश में भी मंत्रिपद मिल सकता है. स्वाभाविक है कि यह फायदे का सौदा होगा.

भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके .
भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी को दे सकती है और झटके .






भाजपा के लिए अच्छी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष काफी कमजोर है. सपा को छोड़ दें तो कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ दो सीटों जीतने में कामयाब हो पाई थी, जबकि बसपा के खाते में महज एक सीट आई थी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस को सिर्फ एक रायबरेली सीट पर सफलता मिली थी. राहुल गांधी तक अपनी अमेठी की सीट नहीं बता पाए थे. हां, सपा-बसपा के गठबंधन में 15 सीटें जरूर जीती थीं, जिसमें 10 बसपा के खाते में गई थीं, लेकिन आज की परिस्थिति बिल्कुल अलग है. बसपा ने किसी भी दल के साथ गठबंधन न करने का एलान कर दिया है. ऐसी स्थिति में बसपा के लिए अपनी पुरानी जीत दोहरा पाना आसान नहीं होगा. यदि सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ भी तो दोनों दलों का सीटों पर पेंच फंसना तय है. वैसे भी प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार बेहद कम रह गया है. ऐसी स्थिति में क्या भाजपा के सामने यह गठबंधन बड़ी चुनौती खड़ा कर पाएगा, यह देखने वाली बात होगी.



यह भी पढ़ें : कर्नाटक: कुमारस्वामी बोले- विपक्ष ने जनता दल सेक्युलर को कभी अपना हिस्सा नहीं माना

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.