लखनऊः प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की. सभी 17 नगर निगमों में भाजपा ने विपक्षियों को धराशाही कर दिया. 199 नगर पालिका में 80 सीटों से अधिक पर भाजपा ने जीत दर्ज की. वहीं, 544 नगर पंचायतों में करीब 200 से अधिक सीटों पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया. हालांकि, इन सब आंकड़ों के बावजूद मुसलमानों में पसमांदा वर्ग से कोई बड़ी जीत हासिल नहीं हो सकी.
भारतीय जनता पार्टी ने नगर निकाय चुनावों में अल्पसंख्यक मोर्चे के तहत 395 टिकट मुस्लिम उम्मीदवारों को दिए थे. मोर्चे के अध्यक्ष कुंवर बासित अली के मुताबिक, इसमें 90 फीसदी पसमांदा मुसलमान थे. 395 मुस्लिम उम्मीदवारों में 6 नगर पालिका परिषद और 32 नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद और पार्षद पद प्रत्याशी भी थे. हालांकि, इनमें भाजपा के एक भी नगर पालिका परिषद में मुस्लिम उम्मीदवार का खाता नहीं खुला. वहीं, 32 नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद में 5 मुस्लिम उम्मीदवार जीत दर्ज कर सकें, जिसमें सिर्फ 1 पसमांदा मुस्लमान था.
भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा कि राजनीति की कहावत है कि पहला चुनाव हारने का दूसरा लड़ने का और तीसरा जीतने का होता है. ऐसा पहला मौका था, जब इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में थे. उन्होंने अच्छा संघर्ष किया. बड़ी उम्मीदें रहती है कि पसमांदा हमारे साथ आएंगे. लेकिन, यह पहला चुनाव है और हमने अल्पसंख्यक वर्ग में अब अच्छी पैठ बनाई है.
कुंवर बासित ने कहा कि अगर अल्पसंख्यक वर्ग को छोड़ दिया जाए तो पार्टी के बाकी नेताओं को मुसलमानों ने अच्छा प्रतिशत वोट दिया है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में जिन्हें टिकट दिए गए थे, उनके वोट का प्रतिशत भले ही कम हो. लेकिन, जो लोग हमलोग को वोटबैंक मानते थे और सपा-बसपा का बंधुआ मजदूर बनाए थे वह बंधन टूटा है. मुसलमान अब भाजपा के करीब आ रहा है. हज़ारों की तादाद में मुसलमानों ने टिकट मांगा था और सैकड़ों की तादाद में हमने टिकट दिए भी. हार जीत चुनाव का एक हिस्सा है. लेकिन, जिन लोगों ने भाजपा के अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को समर्थन दिया है. उनके हम शुक्रगुजार है. साथ ही सपा बसपा के लिए 2024 में यह खतरे का निशान है.
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