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मौत के 26 दिन बाद मिला डेथ सर्टिफिकेट, रिश्वत मांगने का आरोप

लखनऊ के बलरामपुर कोविड अस्पताल का एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसने मानवता को शर्मसार किया है. एक पीड़ित युवक पिता की मौत के बाद डेथ सर्टिफिकेट के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रहा था. आरोप है कि अस्पताल में कर्मचारी रिश्वत मांग रहे थे.

बलरामपुर अस्पताल.
बलरामपुर अस्पताल.
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Published : May 19, 2021, 1:29 AM IST

लखनऊः राजधानी में आए दिन अस्पतालों के ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां इंसानियत तार-तार हो जाती है. चंद पैसों के लोभी अपने जमीर को बेचते हुए झिझक नहीं खाते. राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल का एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसने मानवता को शर्मसार किया है. बीते महीने रेलवे कर्मी दिनेश कुमार वर्मा की कोरोना से मौत हुई थी. जिसके बाद मृतक का बेटा अभिषेक वर्मा पिता की डेथ सर्टिफिकेट के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रहा था. आरोप है कि अस्पताल में कर्मचारी रिश्वत मांग रहे थे. रिश्वत नहीं देने पर अभिषेक को इधर से उधर चक्कर लगवा रहे थे.

इलाज के अभाव में पिता ने तोड़ा दम

आलमबाग निवासी अभिषेक वर्मा ने बताया कि मेरे पिता दिनेश कुमार वर्मा की मौत अस्पताल में इलाज के अभाव में हुई थी. पिता कोरोना संक्रमित थे. इलाज के लिए उन्हें बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस बीच अभिषेक की नोकझोंक अस्पताल के कर्मचारियों के साथ हुई. अभिषेक ने कहा कि पिता की मौत के बाद भी वह शांत थे, लेकिन 26 दिन हो गए, डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिला. रोजाना वह अस्पताल जाते रहे. आरोप है कि इस बीच अस्पताल कर्मचारी उनसे रिश्वत में कभी 100 तो कभी 500 रुपये मांगते रहे. 26 दिन बाद सोमवार दोपहर बड़ी मुश्किल से पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र मिला.

इसे भी पढ़ें- यूपी में कोरोना की रफ्तार हुई धीमी, 24 घंटे में मिले 8,727 मरीज

अफसर से नहीं मिलने देते गार्ड

अभिषेक ने बताया कि पिता की मौत के बाद उनके मृत्यु प्रमाणपत्र मिलने में देरी देख कई बार सीएमएस और उच्चाधिकारियों से मिलने की कोशिश की. इस पर वहां उपस्थित गार्ड उन्हें अधिकारियों से मिलने नहीं देते थे. आरोप है कि गार्ड अभद्रता करते थे. अस्पताल के गार्डों का व्यवहार बहुत ही खराब है.

अफसर को इस बात की खबर नहीं

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. संतोष पाण्डेय ने बताया कि इस बारे में जानकारी नहीं थी. जानकारी मिली है. जांच चल रही है. दोषी पाए जाने पर कर्मचारी और गार्ड को सजा में सजा मिलेगी.

लखनऊः राजधानी में आए दिन अस्पतालों के ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां इंसानियत तार-तार हो जाती है. चंद पैसों के लोभी अपने जमीर को बेचते हुए झिझक नहीं खाते. राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल का एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसने मानवता को शर्मसार किया है. बीते महीने रेलवे कर्मी दिनेश कुमार वर्मा की कोरोना से मौत हुई थी. जिसके बाद मृतक का बेटा अभिषेक वर्मा पिता की डेथ सर्टिफिकेट के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रहा था. आरोप है कि अस्पताल में कर्मचारी रिश्वत मांग रहे थे. रिश्वत नहीं देने पर अभिषेक को इधर से उधर चक्कर लगवा रहे थे.

इलाज के अभाव में पिता ने तोड़ा दम

आलमबाग निवासी अभिषेक वर्मा ने बताया कि मेरे पिता दिनेश कुमार वर्मा की मौत अस्पताल में इलाज के अभाव में हुई थी. पिता कोरोना संक्रमित थे. इलाज के लिए उन्हें बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस बीच अभिषेक की नोकझोंक अस्पताल के कर्मचारियों के साथ हुई. अभिषेक ने कहा कि पिता की मौत के बाद भी वह शांत थे, लेकिन 26 दिन हो गए, डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिला. रोजाना वह अस्पताल जाते रहे. आरोप है कि इस बीच अस्पताल कर्मचारी उनसे रिश्वत में कभी 100 तो कभी 500 रुपये मांगते रहे. 26 दिन बाद सोमवार दोपहर बड़ी मुश्किल से पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र मिला.

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अफसर से नहीं मिलने देते गार्ड

अभिषेक ने बताया कि पिता की मौत के बाद उनके मृत्यु प्रमाणपत्र मिलने में देरी देख कई बार सीएमएस और उच्चाधिकारियों से मिलने की कोशिश की. इस पर वहां उपस्थित गार्ड उन्हें अधिकारियों से मिलने नहीं देते थे. आरोप है कि गार्ड अभद्रता करते थे. अस्पताल के गार्डों का व्यवहार बहुत ही खराब है.

अफसर को इस बात की खबर नहीं

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. संतोष पाण्डेय ने बताया कि इस बारे में जानकारी नहीं थी. जानकारी मिली है. जांच चल रही है. दोषी पाए जाने पर कर्मचारी और गार्ड को सजा में सजा मिलेगी.

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