लखनऊः आयुर्वेद दवा कंपनियों को हर पांचवें साल जीएमपी कराना होगा. अब ऐसे कंपनियों की मॉनिटरिंग बढ़ाई जाएगी. जिससे उनकी दवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा. लिहाजा गुड मेनिफेस्टो प्रैक्टिसेज (जीएमपी) अब हर पांच साल पर कराना होगा. इसके लिए आयुर्वेद विभाग की टीम कंपनियों में जाएगी और उनके निर्माण संबंधी मानकों की जांच करेगी.
आयुर्वेद दवा निर्माण इकाई में मानकों का भी बदलाव किया गया है. इसके लिए अब कंपनियों को बीएएमएस डॉक्टर के साथ तीन टेक्निकल स्टॉफ रखना अनिवार्य कर दिया गया है. अब तक सिर्फ एक डॉक्टर और एक अन्य स्टॉफ से काम चल जाता था. ऐसे ही कच्चा माल रखने और दवा के लिए तैयार करने के लिए अलग-अलग गोदाम बनाना होगा. वहीं एक दवा के लिए अब एक ही बार लाइसेंस बनेगा.
इसे भी पढ़ें- डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोले, खाद्य प्रसंस्करण नीति बनाएंगे, सिंगल विंडो सिस्टम होगा शुरू
उधर, इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने केजीएमयू को एडवांस सेंटर फॉर क्लिनिकल ट्रायल के लिए चयनित किया है. इसकी प्रक्रिया पूरी हो गई है. 2 महीने में ट्रायल शुरू हो जाएगा. इससे रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही बीमारियों में इलाज के लिए नई दवाओं का निर्माण हो सकेगा. देश भर में इसके लिए 12 सेंटर चुने गए हैं. सेंटर जोन में अकेले केजीएमयू को केंद्र बनाया गया है.