लखनऊः नमक घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने सहायक समीक्षा अधिकारी उमेश कुमार मिश्रा की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. विशेष जज संदीप गुप्ता ने कहा है कि मामला आर्थिक अपराध से जुड़ा है. इस मामले में प्रथम दृष्टया अभियुक्त की संलिप्तता के मद्देनजर अग्रिम जमानत का आधार प्रर्याप्त नहीं है. लिहाजा आरोपी की जमानत अर्जी अभी मंजूर नहीं की जा सकती.
सहायक समीक्षा अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप
सरकारी वकील प्रभा वैश्य के मुताबिक उमेश कुमार मिश्रा पर इस मामले के अन्य आरोपियों के साथ मिलकर नमक सप्लाई का ठेका दिलाने के एवज में 6 करोड़ 6 लाख की ठगी का आरोप है. जांच के दौरान सहायक समीक्षा अधिकारी उमेश कुमार का नाम सामने आया. 11 अगस्त, 2020 को इस मामले की एफआईआर नीलम नरेंद्र भाई पटेल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. उन्होंने फर्जी संयुक्त सचिव एनके कन्नौजिया उर्फ आशीष राय के अलावा सुनील गुर्जर उर्फ मोंटी गुर्जर, फर्जी अधिकारी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग राघव, वित्त विभाग के एसके अग्निहोत्री, रितुल जोशी, लोकेश मिश्रा, कलीम अहमद और दूसरे आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी थी. उनकी तहरीर पर अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 506, 471, 468, 467, 420, 419 और 120बी के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत नामजद किया गया था. इस मामल में आशीष राय, धीरज कुमार देव, रजनीश दीक्षित और रघुवीर प्रसाद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो चुका है. यह सभी न्यायिक हिरासत में हैं.