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लखनऊ: 7 बार कांग्रेस तो 6 बार बीजेपी जीती ये सीट, नहीं खुला सपा-बसपा का खाता

यूपी विधानसभा उपचुनाव में जीत के लिए सभी पार्टियों के प्रत्याशी जोर आजमाइश में लगे हुए हैं. वहीं राजधानी के कैंट सीट पर भी 21 अक्टूबर को उपचुनाव होना है. इसके लिए सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिये हैं.

कैंट विधानसभा उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को होगा मतदान.
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Published : Oct 4, 2019, 11:20 AM IST

लखनऊ: लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट पर आगामी 21 अक्टूबर को उपचुनाव होना है और 24 अक्टूबर को परिणाम आना है. परिणाम अपने पक्ष में आए इसके लिए सभी पार्टियों के प्रत्याशी जोर आजमाइश में लगे हुए हैं. राजधानी के कैंट सीट की बात की जाए तो इस सीट का इतिहास कांग्रेस और बीजेपी के पक्ष में ज्यादा रहा है. सात बार कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की तो वहीं छह बार भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतने में सफल रही. यदि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की बात की जाए तो इस सीट पर इन दोनों पार्टियों का अब तक खाता ही नहीं खुल पाया है.

कैंट विधानसभा उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को होगा मतदान.

कैंट सीट पर रोमांचक मुकाबले की उम्मीद

2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी ने सपा और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी अपर्णा यादव को पटखनी दी थी. वहीं इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी ने ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुरेश तिवारी को हराकर यहां पर पंजा मजबूत किया था. कैंट सीट पर बीजेपी के इस बार के प्रत्याशी सुरेश तिवारी तीन बार कमल खिला चुके हैं. कैंट सीट पर तीन बार ही कांग्रेस के प्रत्याशी प्रेमवती तिवारी चुनाव जीतने में सफल रही हैं. कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह, समाजवादी पार्टी ने आशीष चतुर्वेदी और बहुजन समाज पार्टी ने अरुण द्विवेदी को इस बार के विधानसभा उपचुनाव में मैदान में उतारा है. इस सीट पर इस बार का उपचुनाव काफी रोमांचक होने की पूरी उम्मीद है.

कांग्रेस बनाम बीजेपी के मुकाबले की उम्मीद

इस सीट का पिछला इतिहास देखा जाए तो निश्चित तौर पर सपा और बसपा के लिए कम ही उम्मीद दिखाई पड़ती है. फिर से बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होने की संभावना है. बीजेपी के पास जहां अनुभवी प्रत्याशी हैं वहीं कांग्रेस ने युवा प्रत्याशी पर दांव लगाया है. देखने वाली बात ये होगी कि 2012 में जिस तरह से रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी प्रत्याशी को हराकर इस सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी. उस इतिहास को दिलप्रीत दोहराने में सफल होंगे या फिर 2017 की तरह बीजेपी फिर से कमल खिलाने में कामयाब होगी.

सपा बसपा नहीं खोल सकी हैं कैंट सीट पर खाता
समाजवादी पार्टी की बात करें तो मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव कांग्रेस के सहयोग से भी 2017 में चुनाव नहीं जीत पाईं. ऐसे में बिना कांग्रेस के समर्थन के आशीष चतुर्वेदी क्या यहां पर साइकिल को रफ्तार पकड़ा सकेंगे. यह परिणाम आने के बाद ही पता लगेगा. 2017 विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर योगेश दीक्षित चुनाव लड़े थे और वह तीसरे नंबर पर रहे थे. इस बार पार्टी ने अरुण द्विवेदी को टिकट दिया है. हाथी इस सीट पर शुरुआत से ही सुस्त रहा है. फिलहाल प्रत्याशी नतीजा अपने पक्ष में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत में जुटे हुए हैं.

लखनऊ: लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट पर आगामी 21 अक्टूबर को उपचुनाव होना है और 24 अक्टूबर को परिणाम आना है. परिणाम अपने पक्ष में आए इसके लिए सभी पार्टियों के प्रत्याशी जोर आजमाइश में लगे हुए हैं. राजधानी के कैंट सीट की बात की जाए तो इस सीट का इतिहास कांग्रेस और बीजेपी के पक्ष में ज्यादा रहा है. सात बार कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की तो वहीं छह बार भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतने में सफल रही. यदि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की बात की जाए तो इस सीट पर इन दोनों पार्टियों का अब तक खाता ही नहीं खुल पाया है.

कैंट विधानसभा उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को होगा मतदान.

कैंट सीट पर रोमांचक मुकाबले की उम्मीद

2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी ने सपा और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी अपर्णा यादव को पटखनी दी थी. वहीं इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी ने ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुरेश तिवारी को हराकर यहां पर पंजा मजबूत किया था. कैंट सीट पर बीजेपी के इस बार के प्रत्याशी सुरेश तिवारी तीन बार कमल खिला चुके हैं. कैंट सीट पर तीन बार ही कांग्रेस के प्रत्याशी प्रेमवती तिवारी चुनाव जीतने में सफल रही हैं. कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह, समाजवादी पार्टी ने आशीष चतुर्वेदी और बहुजन समाज पार्टी ने अरुण द्विवेदी को इस बार के विधानसभा उपचुनाव में मैदान में उतारा है. इस सीट पर इस बार का उपचुनाव काफी रोमांचक होने की पूरी उम्मीद है.

कांग्रेस बनाम बीजेपी के मुकाबले की उम्मीद

इस सीट का पिछला इतिहास देखा जाए तो निश्चित तौर पर सपा और बसपा के लिए कम ही उम्मीद दिखाई पड़ती है. फिर से बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होने की संभावना है. बीजेपी के पास जहां अनुभवी प्रत्याशी हैं वहीं कांग्रेस ने युवा प्रत्याशी पर दांव लगाया है. देखने वाली बात ये होगी कि 2012 में जिस तरह से रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी प्रत्याशी को हराकर इस सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी. उस इतिहास को दिलप्रीत दोहराने में सफल होंगे या फिर 2017 की तरह बीजेपी फिर से कमल खिलाने में कामयाब होगी.

सपा बसपा नहीं खोल सकी हैं कैंट सीट पर खाता
समाजवादी पार्टी की बात करें तो मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव कांग्रेस के सहयोग से भी 2017 में चुनाव नहीं जीत पाईं. ऐसे में बिना कांग्रेस के समर्थन के आशीष चतुर्वेदी क्या यहां पर साइकिल को रफ्तार पकड़ा सकेंगे. यह परिणाम आने के बाद ही पता लगेगा. 2017 विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर योगेश दीक्षित चुनाव लड़े थे और वह तीसरे नंबर पर रहे थे. इस बार पार्टी ने अरुण द्विवेदी को टिकट दिया है. हाथी इस सीट पर शुरुआत से ही सुस्त रहा है. फिलहाल प्रत्याशी नतीजा अपने पक्ष में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत में जुटे हुए हैं.

Intro:7 बार कांग्रेस तो 6 बार बीजेपी ने जीती ये सीट, नहीं खुला सपा-बसपा का खाता

लखनऊ। लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट पर आगामी 21 अक्टूबर को उपचुनाव होना है और 24 अक्टूबर को परिणाम आना है। परिणाम अपने पक्ष में आए इसके लिए सभी पार्टियों के प्रत्याशी जोर आजमाइश में लगे हुए हैं। एक-दूसरे को हराने के लिए प्रत्याशी खूब मेहनत भी कर रहे हैं। कैंट सीट की बात की जाए तो इस सीट का इतिहास कांग्रेस और बीजेपी के पक्ष में ज्यादा रहा है। 7 बार कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की, वहीं 6 बार भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतने में सफल रही। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की बात की जाए तो इस सीट पर इन दोनों पार्टियों का अब तक खाता ही नहीं खुल पाया है।


Body:2017 के विधानसभा चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी ने सपा और कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को पटखनी दी थी, वहीं इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी ने ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुरेश तिवारी को हराकर यहां पर पंजा मजबूत किया था। कैंट सीट पर बीजेपी के इस बार के प्रत्याशी सुरेश तिवारी तीन बार कमल खिला चुके हैं। कैंट सीट पर तीन बार ही कांग्रेस के प्रत्याशी प्रेमवती तिवारी चुनाव जीतने में सफल रही हैं। कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह, समाजवादी पार्टी ने आशीष चतुर्वेदी और बहुजन समाज पार्टी ने अरुण द्विवेदी को इस बार के विधानसभा उपचुनाव में मैदान में उतारा है। इस सीट पर इस बार का उपचुनाव काफी रोमांचक होने की पूरी उम्मीद है।


Conclusion:हालांकि इस सीट का पिछला इतिहास देखा जाए तो निश्चित तौर पर सपा और बसपा के लिए कम ही उम्मीद दिखाई पड़ती है। बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होने की संभावना है। बीजेपी के पास जहां अनुभवी प्रत्याशी हैं वहीं कांग्रेस ने युवा प्रत्याशी पर दांव लगाया है। देखने वाली बात ये होगी कि 2012 में जिस तरह से रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी प्रत्याशी को हराकर इस सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी उस इतिहास को दिलप्रीत दोहराने में सफल होंगे या फिर 2017 की तरह बीजेपी फिर से कमल खिलाने में कामयाब होगी। समाजवादी पार्टी की बात करें तो मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव कांग्रेस के सहयोग से भी 2017 में चुनाव नहीं जीत पाईं ऐसे में बिना कांग्रेस के समर्थन के आशीष चतुर्वेदी क्या यहां पर साइकिल को रफ्तार पकड़ा सकेंगे, यह परिणाम आने के बाद ही पता लगेगा। 2017 विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर योगेश दीक्षित चुनाव लड़े थे और तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार पार्टी ने अरुण द्विवेदी को टिकट दिया है। हाथी इस सीट पर शुरुआत से ही सुस्त रहा है। फिलहाल प्रत्याशी नतीजा अपने पक्ष में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत में जुटे हुए हैं।

अखिल पांडेय, लखनऊ, 9336864096
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