लखनऊ: नेशनल पीजी कॉलेज की गिनती प्रदेश के टॉप कॉमर्स कॉलेज में की जाती है. वाराणासी का यूपी कॉलेज और लखनऊ के नेशनल पीजी कॉलेज के पास ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का ऑटोनोमस स्टेट्स है. लखनऊ में कॉमर्स की जब बात होती है तो लखनऊ विश्वविद्यालय से भी पहले नेशनल पीजी कॉलेज का नाम लिया जाता है. करीब पांच साल के बाद इस सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालय में स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति हुई है. कालीचरण पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. देवेन्द्र सिंह को यह जिम्मेदारी मिली है. ईटीवी भारत ने डॉ. देवेन्द्र सिंह ने खास बात की और उनकी रणनीति को जाना.
नेशनल पीजी कॉलेज में छात्रों को अब बीए, बी.कॉम के साथ ही प्रोफेशनल कोर्स भी करने का मौका मिलेगा. महाविद्यालयों में ट्रिपल सी से लेकर इस तरह के नए रोजगारपरख पाठ्यक्रम लाए जा रहे हैं. प्राचार्य डॉ. देवेन्द्र सिंह ने बताया कि छात्रों की स्किल्स को बढ़ाना ही उद्देश्य है. ऐसे में विभिन्न सरकारी संस्थाओं को जोड़कर छोटे-छोटे रोजगार परख पाठ्यक्रमों का लाना उद्देश्य है. इसमें, एक ओर जहां छात्र पढ़ाई पूरी करेंगे. वहीं, रोजगार के लिए भी तैयार होंगे.
पहली बार कॉलेज के स्तर पर एल्मनाई को बड़े स्तर पर जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. प्राचार्य ने बताया कि कॉलेज की मजबूती उसके पूर्व छात्रों से होती है. इसलिए, नेशनल पीजी कॉलेज के स्तर पर एल्मनाई एसोसिएशन का गठन किया जा रहा है. यह एसोसिएशन पूर्व छात्रों को जोड़ने का काम करेगा. एक शिक्षक और पूर्व छात्रों की समिति इसक संचालन करेगी. एसोसिएशन के बैनर तले लगातार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
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कॉलेज के स्तर पर अब छात्र-छात्राओं के कम्यूनिकेशन स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए लैंग्वेज लैब स्थापित की जा रही है. प्राचार्य ने कहा कि अच्छी पढ़ाई के बाद भी अगर छात्र अपने आप को बेहतर ढंग से दूसरे के सामने नहीं रख पाते हैं तो यह काफी बढ़ी समस्या हो सकती है. ऐसे में महाविद्यालय में लैंग्वेज लैब स्थापित की जा रही है. जिससे छात्रों को संवाद के बेहतर तरीके जानने का अवसर मिलेगा.
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