लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले उतरने की बात कही है. पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में दलित व मुस्लिम गठजोड़ पर फिर से भरोसा जताने की तैयारी में है. उससे पहले उसे पार्टी को मुस्लिम नेताओं के बगावत को भी दबाना होगा. वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर जो नेता इंडिया एलियांज के साथ जाना चाह रहे थे अब उनके लिए थोड़ी मुश्किलें खड़ी कर रहे है. विशेष तौर पर पार्टी के मुस्लिम चेहरे इसको लेकर काफी पेसोपेश में है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी बसपा के मुस्लिम चेहरों को अपनी ओर लाने की कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो द्वारा सहारनपुर के कद्दावर मुस्लिम चेहरा इमरान मसूद को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है. इसके बाद से कयास लगाया जा रहे हैं कि वे कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं. साथ ही कई मुस्लिम लीडरों को भी साथ ले सकते हैं.
कांग्रेस ने नगर निकाय चुनाव में मिले नतीजे के आधार पर यह देखा था कि मुस्लिम समाज का झुकाव कांग्रेस की तरफ बढ़ा है. इसके बाद प्रदेश में समाजवादी पार्टी व उसके सहयोगी इंडिया अलाउंस में खुलकर कांग्रेस के साथ खड़े हो गए थे. वहीं बहुजन समाज पार्टी की ओर से इंडिया अलाइंस को साफ तौर पर न कहा गया है. बसपा सुप्रीमो के इस कदम को देखते हुए कांग्रेस में पहले से ही उसके मुस्लिम चेहरों को अपनी तरफ करने के लिए कवायद भी शुरू कर दी थी.
सूत्रों का कहना है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने मायावती को इंडिया (I.N.D.I.A) अलायंस में लाने के लिए उनके प्रमुख सांसदों विशेष तौर पर मुस्लिम सांसदों को संपर्क किया था. इसके बाद उनकी तरफ से पार्टी को आश्वासन मिला था कि बसपा सुप्रीमो दिवाली के बाद अपने रुख को स्पष्ट करेंगी. बसपा के नेताओं ने मौजूदा जातीय समीकरण व इंडिया के गठबंधन को देखते हुए बसपा सुप्रीमो को इंडिया गठबंधन में जाने को महत्वपूर्ण बताया था. अब जब इमरान मसूद जैसे बड़े चेहरे को बसपा ने खुद ही पार्टी से बाहर कर दिया है तो कांग्रेस उन्हें दोबारा से पार्टी में लेने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके अलावा पार्टी के कद्दावर नेता कुंवर दानिश अली को भी कांग्रेस या समाजवादी पार्टी में शामिल करने की तैयारी चल रही है. सहारनपुर से सांसद हाजी फजलुर्रहमान भी इसी रास्ते पर चल सकते है. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में पश्चिम उत्तर प्रदेश से आने वाले बसपा के यह तीनों बड़े चेहरे आरएलडी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेकर इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं.
कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है कि बसपा के एनडीए या इंडिया गठबंधन में नहीं जाने पर उसके पार्टी के प्रमुख चेहरे अपने नफा नुकसान को देखते हुए जल्दी बसपा छोड़ सकते हैं. जिसमें सहारनपुर से बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान शामिल हैं. बीती जनवरी के पहले सप्ताह में पश्चिम उत्तर प्रदेश के बड़े मीट व्यापारी हाजी फजलुर्रहमान के तीन घरों व फैक्ट्री पर आईटी के छापे पड़े थे. तब से उन पर कई तरह के जांच भी बैठ गई हैं. ऐसे में वह मायावती के रूख से अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं. इतना ही नहीं बीते दिन हो 27 अगस्त को सहारनपुर में हुए पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन में भी उनका विरोध हो चुका है.
इसी तरह अमरोहा के सांसद कुंवर दानिश अली अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. तब यह चर्चा शुरू हो गई थी कि वह जल्द ही बसपा का साथ छोड़ सकते हैं, पर उनकी भाजपा में बात बनती नहीं दिखी. बीते सात अगस्त को अमरोहा में अमृत भारत स्टेशन योजना के कार्यक्रम के तहत मंच पर ही भाजपा एमएलसी और दानिश अली के बीच भारत माता के जयकारे को लेकर विवाद हो गया था. उसके बाद से क्षेत्र में उनके इस रुख को पार्टी की लीक से हटकर देखा जा रहा है. अंबेडकर नगर से बसपा सांसद रितेश पांडे अप्रैल में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर चुके हैं. इनके पिता बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक रहे हैं. वर्ष 2022 में उनके भाई राकेश पांडे ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली थी और वह जलालपुर से पार्टी के टिकट पर विधायक भी है. ऐसे में रितेश पांडे की समाजवादी पार्टी से बड़ी नजदीकियों से कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव के वक्त वह भी बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होकर इंडिया गठबंधन का हिस्सा हो सकते हैं. इसी तरह जौनपुर से बसपा सांसद श्याम सिंह यादव मई में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं. गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी पहले ही एमपी-एमएलए कोर्ट से एक मामले में 4 वर्ष की सजा पा चुके हैं. जिसके बाद उनकी संसद सदस्य भी रद्द कर दी गई है.
बसपा नेता इमरान मसूद ने कहा- बीजेपी का मुस्लिम प्रेम सिर्फ दिखावा है