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इलाहाबाद हाइकोर्ट ने केजीएमयू कुलपति के खिलाफ याचिका की खारिज - एकल सदस्यीय पीठ

इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केजीएमयू के कुलपति के खिलाफ दायर की गई अधिकार पृच्छा याचिका को खारिज कर दिया. कुंदन सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.

इलाहाबाद हाइकोर्ट (फाइल फोटो).
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Published : Aug 17, 2019, 12:00 AM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केजीएमयू के कुलपति डॉ. मदनलाल ब्रह्म भट्ट के खिलाफ दायर अधिकार पृच्छा याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति आरएस चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने यह आदेश कुंदन सिंह की याचिका पर दिया. कुंदन सिंह ने कुलपति के प्रोफेसर पद ग्रहण करने को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया.

प्रोफेसर पद को दी गई थी चुनौती

याचिका में डॉ. भट्ट के कुलपति पद के खिलाफ अधिकार पृच्छा याचिका नहीं दाखिल की गई थी. याची ने कुलपति भट्ट के एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद ग्रहण करने को चुनौती दी गई थी. न्यायालय ने पाया कि डॉ. भट्ट वर्ष 2003 में ही एसोसिएट प्रोफेसर बने थे. इतने सालों बाद बाद अब उनके इन पदों को ग्रहण करने को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं बनता. ऐसे में न्यायमूर्ति आरएस चौहान ने इस याचिका को रद्द कर दिया.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केजीएमयू के कुलपति डॉ. मदनलाल ब्रह्म भट्ट के खिलाफ दायर अधिकार पृच्छा याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति आरएस चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने यह आदेश कुंदन सिंह की याचिका पर दिया. कुंदन सिंह ने कुलपति के प्रोफेसर पद ग्रहण करने को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया.

प्रोफेसर पद को दी गई थी चुनौती

याचिका में डॉ. भट्ट के कुलपति पद के खिलाफ अधिकार पृच्छा याचिका नहीं दाखिल की गई थी. याची ने कुलपति भट्ट के एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद ग्रहण करने को चुनौती दी गई थी. न्यायालय ने पाया कि डॉ. भट्ट वर्ष 2003 में ही एसोसिएट प्रोफेसर बने थे. इतने सालों बाद बाद अब उनके इन पदों को ग्रहण करने को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं बनता. ऐसे में न्यायमूर्ति आरएस चौहान ने इस याचिका को रद्द कर दिया.

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