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आगरा-कानपुर मेट्रो की टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

आगरा-कानपुर मेट्रो की टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कंपनी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करने से नकार दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच
इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच
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Published : May 20, 2021, 12:36 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को बड़ी राहत देते हुए आगरा-कानपुर मेट्रो की एक टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि याची इस टेंडर प्रक्रिया में बिडर नहीं था. लिहाजा उसकी याचिका पर टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है.

पेंड्रोल राही टेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने दाखिल की याचिका
ये आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने पेंड्रोल राही टेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. याची कंपनी की दलील थी कि आगरा-कानपुर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में गिट्टी रहित ट्रैक के बन्धन प्रणाली के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई थी. उक्त टेंडर प्रक्रिया में प्रतिवादी संख्या 6 ने टेक्निकल बिड जमा की थी, जिसे अविधिक तरीके से खारिज कर दिया गया.

याची कंपनी के अनुसार, वो प्रतिवादी संख्या 6 के तैयार अपने बन्धन प्रणाली का ही उपयोग करने वाली थी. लिहाजा उसने कोर्ट से याचिका पर हस्तक्षेप की मांग की. वहीं न्यायालय ने पाया कि ठेका किसी अन्य कम्पनी को पहले ही दिया जा चुका है व वर्तमान याचिका में ठेका निरस्त करने की मांग नहीं की गई है.

इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट की टिप्पणी पर प्रयागराज के ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

वहीं न्यायालय ने ये भी कहा कि याची कंपनी टेंडर प्रक्रिया में बिडर नहीं थी. उसे मात्र प्रतिवादी संख्या 6 को बन्धन प्रणाली सप्लाई करनी थी. यदि टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ प्रतिवादी संख्या 6 ने याचिका दाखिल की होती तो उस पर विचार किया जा सकता था. न्यायालय ने कहा कि उपरोक्त से स्पष्ट है कि उक्त टेंडर प्रक्रिया को लेकर याची को सुने जाने का अधिकार ही नहीं प्राप्त है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को बड़ी राहत देते हुए आगरा-कानपुर मेट्रो की एक टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि याची इस टेंडर प्रक्रिया में बिडर नहीं था. लिहाजा उसकी याचिका पर टेंडर प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है.

पेंड्रोल राही टेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने दाखिल की याचिका
ये आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने पेंड्रोल राही टेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. याची कंपनी की दलील थी कि आगरा-कानपुर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में गिट्टी रहित ट्रैक के बन्धन प्रणाली के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई थी. उक्त टेंडर प्रक्रिया में प्रतिवादी संख्या 6 ने टेक्निकल बिड जमा की थी, जिसे अविधिक तरीके से खारिज कर दिया गया.

याची कंपनी के अनुसार, वो प्रतिवादी संख्या 6 के तैयार अपने बन्धन प्रणाली का ही उपयोग करने वाली थी. लिहाजा उसने कोर्ट से याचिका पर हस्तक्षेप की मांग की. वहीं न्यायालय ने पाया कि ठेका किसी अन्य कम्पनी को पहले ही दिया जा चुका है व वर्तमान याचिका में ठेका निरस्त करने की मांग नहीं की गई है.

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वहीं न्यायालय ने ये भी कहा कि याची कंपनी टेंडर प्रक्रिया में बिडर नहीं थी. उसे मात्र प्रतिवादी संख्या 6 को बन्धन प्रणाली सप्लाई करनी थी. यदि टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ प्रतिवादी संख्या 6 ने याचिका दाखिल की होती तो उस पर विचार किया जा सकता था. न्यायालय ने कहा कि उपरोक्त से स्पष्ट है कि उक्त टेंडर प्रक्रिया को लेकर याची को सुने जाने का अधिकार ही नहीं प्राप्त है.

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