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जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा नहीं चलेगा- अखिलेश यादव - अखिलेश यादव ने भाजपा पर साधा निशाना

कोरोना काल के दौरान होने वाली आगामी परीक्षाओं को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा के खिलाफ खुला पत्र लिखा है. इस दौरान अखिलेश यादव ने एक नए नारे के साथ मोर्चा भी खोल दिया है.

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव.
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Published : Aug 27, 2020, 1:27 PM IST

लखनऊ: कोरोना काल के दौरान होने वाली आगामी परीक्षाओं को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा के खिलाफ खुला पत्र लिखा है. परीक्षार्थियों और अभिभावकों के समर्थन में लिखे गए इस पत्र में सपा प्रमुख ने जमकर भाजपा सरकार को घेरा है. इसी के साथ अखिलेश ने एक नए नारे 'जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा नहीं चलेगा' लिखकर मोर्चा खोल दिया है.

गुरुवार को अपने फेसबुक पेज पर भाजपा के खिलाफ खुला पत्र लिखते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि अगर दम्भी भाजपा को लगता है कि परीक्षार्थियों और अभिभावकों की लोकप्रिय मांग पर वो ऐसे जानलेवा एग्जाम करवा रही है, तो केंद्रों के बाहर वह अपने कैबिनेट मंत्री, सांसद और विधायक तैनात करें. जहां पर कोई भी नियम-कानून और एसओपी नहीं होगा. साथ ही विद्यार्थियों के आने-जाने, खाने-पीने, ठहरने का प्रबंध भी वैसे ही करें जैसा वह विधायकों की खरीद-फरोख्त के समय करते हैं.

अखिलेश यादव द्वारा लिखा गया पत्र.
अखिलेश यादव द्वारा लिखा गया पत्र.

सपा प्रमुख ने लिखा कि भाजपा की तरफ से यह हास्यास्पद और तर्कहीन बात फैलाई जा रही है कि जब लोग दूसरे कामों के लिए घर से निकल रहे हैं, तो परीक्षा क्यों नहीं दे सकते. भाजपाई सत्ता के मद में यह भी भूल गए हैं कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं, आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने पर बाध्य कर रही है. ऐसे में अगर परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके सम्पर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो उसकी कीमत क्या यह सरकार चुकाएगी.

अखिलेश यादव ने लिखा कि कोरोना और बाढ़ में जब बस और ट्रेन बाधित हैं तो बच्चे दूर दूर से कैसे आएंगे. न तो हर एक की सामर्थ्य टैक्सी करने की है और ना ही हर शहर में इतनी टैक्सियां हैं. अखिलेश ने आगे लिखा कि भाजपा के एक प्रवक्ता तो यह तर्क भी दे रहे हैं कि गरीब जैसे पहले प्रबंध करता था वैसे ही अब भी करेगा. दुर्भाग्यपूर्ण, अर्थव्यवस्था के ज्ञाता व प्रवक्ता यह भूल गए कि संक्रमण के इस आपदा काल में परिवहन, खाने-ठहरने की सेवाएं अति सीमित हैं. मतलब मांग के अनुपात में आपूर्ति नगण्य होने पर सब सेवाएं बहुत अधिक दाम में मिलेंगी. ऐसे में गरीब- ग्रामीण ही नहीं बल्कि वो मां-बाप भी पैसे कहां से लाएंगे जिनका रोजगार कोरोना और बाढ़ ने छीन लिया है.

अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि ऐसा लगता है कि भाजपा यह समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा, कोरोना, बाढ़ व अर्थव्यवस्था की बदइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न और मध्य वर्ग अब कभी उसको वोट नहीं देगा, इसीलिए वो युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है. भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है. नकारात्मक व हठधर्मी 'बदले' की राजनीति करने वाली भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के खिलाफ देश में एक नई 'युवा क्रांति' जन्म ले रही है. सपा प्रमुख ने आगे लिखा कि हम सब साथ हैं, आइए मिलकर कहें 'जान के बदले एग्जाम नहीं चलेगा नहीं चलेगा'.

लखनऊ: कोरोना काल के दौरान होने वाली आगामी परीक्षाओं को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा के खिलाफ खुला पत्र लिखा है. परीक्षार्थियों और अभिभावकों के समर्थन में लिखे गए इस पत्र में सपा प्रमुख ने जमकर भाजपा सरकार को घेरा है. इसी के साथ अखिलेश ने एक नए नारे 'जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा नहीं चलेगा' लिखकर मोर्चा खोल दिया है.

गुरुवार को अपने फेसबुक पेज पर भाजपा के खिलाफ खुला पत्र लिखते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि अगर दम्भी भाजपा को लगता है कि परीक्षार्थियों और अभिभावकों की लोकप्रिय मांग पर वो ऐसे जानलेवा एग्जाम करवा रही है, तो केंद्रों के बाहर वह अपने कैबिनेट मंत्री, सांसद और विधायक तैनात करें. जहां पर कोई भी नियम-कानून और एसओपी नहीं होगा. साथ ही विद्यार्थियों के आने-जाने, खाने-पीने, ठहरने का प्रबंध भी वैसे ही करें जैसा वह विधायकों की खरीद-फरोख्त के समय करते हैं.

अखिलेश यादव द्वारा लिखा गया पत्र.
अखिलेश यादव द्वारा लिखा गया पत्र.

सपा प्रमुख ने लिखा कि भाजपा की तरफ से यह हास्यास्पद और तर्कहीन बात फैलाई जा रही है कि जब लोग दूसरे कामों के लिए घर से निकल रहे हैं, तो परीक्षा क्यों नहीं दे सकते. भाजपाई सत्ता के मद में यह भी भूल गए हैं कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं, आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने पर बाध्य कर रही है. ऐसे में अगर परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके सम्पर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो उसकी कीमत क्या यह सरकार चुकाएगी.

अखिलेश यादव ने लिखा कि कोरोना और बाढ़ में जब बस और ट्रेन बाधित हैं तो बच्चे दूर दूर से कैसे आएंगे. न तो हर एक की सामर्थ्य टैक्सी करने की है और ना ही हर शहर में इतनी टैक्सियां हैं. अखिलेश ने आगे लिखा कि भाजपा के एक प्रवक्ता तो यह तर्क भी दे रहे हैं कि गरीब जैसे पहले प्रबंध करता था वैसे ही अब भी करेगा. दुर्भाग्यपूर्ण, अर्थव्यवस्था के ज्ञाता व प्रवक्ता यह भूल गए कि संक्रमण के इस आपदा काल में परिवहन, खाने-ठहरने की सेवाएं अति सीमित हैं. मतलब मांग के अनुपात में आपूर्ति नगण्य होने पर सब सेवाएं बहुत अधिक दाम में मिलेंगी. ऐसे में गरीब- ग्रामीण ही नहीं बल्कि वो मां-बाप भी पैसे कहां से लाएंगे जिनका रोजगार कोरोना और बाढ़ ने छीन लिया है.

अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि ऐसा लगता है कि भाजपा यह समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा, कोरोना, बाढ़ व अर्थव्यवस्था की बदइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न और मध्य वर्ग अब कभी उसको वोट नहीं देगा, इसीलिए वो युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है. भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है. नकारात्मक व हठधर्मी 'बदले' की राजनीति करने वाली भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के खिलाफ देश में एक नई 'युवा क्रांति' जन्म ले रही है. सपा प्रमुख ने आगे लिखा कि हम सब साथ हैं, आइए मिलकर कहें 'जान के बदले एग्जाम नहीं चलेगा नहीं चलेगा'.

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