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कर्मचारियों का भत्ता निलंबित करना अव्यवहारिक: अजय कुमार लल्लू

योगी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान महंगाई भत्ता और अन्य भत्तों को निलंबित करने का फैसला किया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम योगी के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को तत्काल फैसला वापस लेना चाहिए.

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कर्मचारियों का भत्ता निलंबित करने के फैसले को अजय कुमार लल्लू ने बताया 'अव्यवहारिक'
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Published : Apr 27, 2020, 4:44 AM IST

लखनऊ: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्तों पर रोक लगाए जाने कड़ा विरोध किया है. उन्होंने प्रदेश सरकार के इस फैसले को तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा कि सरकार को अव्यवहारिक फैसले को तत्काल वापस लेना चाहिए.

सरकार का रवैया तानाशाह
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने रविवार कहा कि लॉकडाउन और कोरोना महामारी के समय देश के डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मचारी, शिक्षक अपने वेतन से सरकार को स्वेच्छा से दान कर रहे हैं. प्रदेश सरकार ने लॉकाडाउन के दौरान महंगाई भत्ता और अन्य भत्तों को निलंबित करने का फैसला किया है, जो राज्य कर्मचारियों के साथ तानाशाही व्यवहार है. प्रदेश सरकार को इस समय अपने कर्मचारियों का वेतन काटने के बजाय उन्हें अतिरिक्त सहयोग करना चाहिए.

फैसला पर पुनर्विचार करना चाहिए
नगर प्रतिकर भत्ता और सचिवालय भत्ता नहीं मिलने से सचिवालय में समूह ग से समूह क तक के अधिकारियों, कर्मचारियों को डेढ़ हजार से लेकर साढ़े 3 हजार तक वेतन हर महीने कम मिलेगा. प्रदेश की योगी सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और इस तरह का मनमाना फैसला तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.

लखनऊ: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्तों पर रोक लगाए जाने कड़ा विरोध किया है. उन्होंने प्रदेश सरकार के इस फैसले को तुगलकी फरमान करार देते हुए कहा कि सरकार को अव्यवहारिक फैसले को तत्काल वापस लेना चाहिए.

सरकार का रवैया तानाशाह
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने रविवार कहा कि लॉकडाउन और कोरोना महामारी के समय देश के डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मचारी, शिक्षक अपने वेतन से सरकार को स्वेच्छा से दान कर रहे हैं. प्रदेश सरकार ने लॉकाडाउन के दौरान महंगाई भत्ता और अन्य भत्तों को निलंबित करने का फैसला किया है, जो राज्य कर्मचारियों के साथ तानाशाही व्यवहार है. प्रदेश सरकार को इस समय अपने कर्मचारियों का वेतन काटने के बजाय उन्हें अतिरिक्त सहयोग करना चाहिए.

फैसला पर पुनर्विचार करना चाहिए
नगर प्रतिकर भत्ता और सचिवालय भत्ता नहीं मिलने से सचिवालय में समूह ग से समूह क तक के अधिकारियों, कर्मचारियों को डेढ़ हजार से लेकर साढ़े 3 हजार तक वेतन हर महीने कम मिलेगा. प्रदेश की योगी सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और इस तरह का मनमाना फैसला तुरंत वापस लिया जाना चाहिए.

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