लखनऊ: झारखंड के दुमका जिले में तहखाने में साइबर जालसाजों का ठिकाना था. तहखाने का इस्तेमाल ये जालसाज पुलिस से बचने के लिए करते हैं. खास बात यह कि हर मकान में तहखाने बने हैं. ये खुलासा ADG साइबर सेल राम कुमार ने किया है. ADG साइबर सेल राम कुमार ने बताया कि बीते दिनों झारखंड के दुमका जिले में जालसाजों को पकड़ने गई लखनऊ पुलिस भी जालसाजों के सुरक्षा तंत्र को देखकर दंग रह गई. दुमका जिले के 30 फीसदी से ज्यादा परिवार इसी ठगी के धंधे में लिप्त हैं. इन परिवार के युवा अधिकतम 10वीं पास हैं, लेकिन इंटरनेट की दुनिया में उन्हें महारथ हासिल है. लखनऊ पुलिस ने झारखंड के दुमका पुलिस को तहखाने की वीडियो समेत अन्य जानकारी शेयर की है.
ADG साइबर सेल ने बताया कि गांव के सभी परिवारों के लड़के पूरे दिन लैपटॉप पर नए शिकार की तलाश करते रहते हैं. साथ ही महिलाएं छत से लेकर दरवाजे तक कामकाज करते हुए आने-जाने वालों पर नजर बनाए रखती हैं. युवक अपने काम में इतने माहिर हैं कि पलक झपकते ही वह अपना शिकार बना लेते हैं. पुलिस की भनक लगते ही छत पर खड़ी महिलाएं इशारा करती हैं और युवक तहखाने से होकर मकान के दूसरी तरफ से भाग निकलते हैं. यह सुरंग घरों से होकर गांव के बाहर झाड़ियों में निकलती है. इसी तरह कई सालों से पुलिस को चकमा देकर अपना धंधा चला रहे थे.
जांच में कई चौंकाने वाले खुलासेलखनऊ की साइबर सेल ने झारखंड के दुमका जिले के जिन जालसाजों को गिरफ्तार किया है, उन्होंने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. गिरफ्तार जालसाजों के मुताबिक, पहले गूगल पर इंक्वायरी कर व्यक्ति की डिटेल निकली जाती है. गूगल पर सरकारी कर्मचारियों और अफसरों की डिटेल आसानी से मिल जाती है. उनका सरकारी फोन नम्बर भी मिल जाता है. जालसाजों के अनुसार,जो कर्मचारी रिटायरमेंट की कगार पर होते हैं, वह आसानी से शिकार बन जाते हैं. ऐसे कर्मचारियों को वो लोग बैंक कर्मी बनकर कॉल करते थे और निशाना बनाते थे.जानकारी देते ADG साइबर सेल राम कुमार. मॉडस ऑपरेंडी
साइबर जालसाज क्राइम का शिकार सबसे ज्यादा सरकारी अफसर और कर्मचारी को बना रहे हैं. जालसाजों द्वारा बैंककर्मी बनकर रिटायर कर्मचारियों को कई तरह की फायदे की पॉलिसी की जानकारी देकर निवेश करने को कहा जाता है. कम समय में ज्यादा फायदे का झांसा देकर उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं और फिर बातों में उलझा कर उनके बैंक खातों की गोपनीय जानकारी लेते हैं. इसके बाद प्रोविडेंट फंड खाते में आते ही जालसाज पलक झपकते ही उसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं. पकड़े गए जालसाजों ने एक साल के भीतर यूपी से करीब 20 करोड़ रुपये की ठगी की. इन मामलों में 30 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिसमे ज्यादातर पीड़ित रिटायर्ड कर्मचारी हैं.
नक्सलियों का मिलता है संरक्षण
ADG साइबर क्राइम की मानें तो 10-15 हजार रुपये में साइबर वर्ल्ड का पूरा पैकेज मिलता है. दो महीने का कोर्स कर गांव के युवक इस अपराध की दलदल में उतरते हैं और फिर लोगों को चूना लगाकर लाखों कमाते हैं. नक्सलियों के इलाके में इन्हें लैपटॉप लेकर बैठने की जगह मिलती है. इसके लिए जालसाजी से कमाई रकम का कुछ हिस्सा नक्सलियों को देना पड़ता है. बदले में नक्सली उन्हें प्रोटेक्शन देते हैं. यही वजह है कि कई साल से राज्यों से लेकर केंद्रीय एजेंसियां तक इस अपराध के नेक्सेस को नहीं तोड़ पा रही हैं. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, झारखंड का दुमका, जामताड़ा, देवघर और पश्चिम बंगाल का 24 परगना जिला नक्सल प्रभावित होने की वजह से साइबर क्राइम का गढ़ बन चुका है. यहां के ज्यादातर परिवार के लड़के साइबर क्राइम को ही कैरियर बना चुके हैं. इन जिलों में साइबर क्राइम का हुनर सीखने के लिए हर बाजार में कोचिंग सेंटर चल रहे हैं.
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