लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने माफियाओं पर हो रही कार्रवाई के बाद अब उनकी मदद करने वाले विभागीय लोगों पर भी कार्रवाई शुरू कर दी है. मुख्तार अंसारी की मदद करने वाले सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को भी सरकार ने रडार पर ले लिया है. माफिया मुख्तार अंसारी की इमारतों के नक्शे पास करने में, जिन लोगों ने मदद की थी अब सरकार उनकी रिपोर्ट बनानी शुरू कर दी है. लखनऊ विकास प्राधिकरण से रिपोर्ट भी साझा करने का आदेश जारी किया गया है.
मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी की बनी हुई इमारतों को योगी सरकार ने जमींदोज कर दिया गया है, लेकिन इस तरह की इमारतों को फिर से न कहीं और न बनाया जाए इसके लिए स्थायी उपाय किया जा रहा है. इसमें जो सबसे बड़ा नाम सामने आ रहा है वो आईएएस राम विलास यादव का है, जो वर्तमान में उत्तराखंड में तैनात है. प्राधिकरण की रिपोर्ट में इन पर आरोप लगाया गया है कि मुख्तार और अफजाल की बिल्डिंग के नक्शे पास करते वक्त इन्होंने सभी नियमों का पालन नही किया. अगर नियमों का पालन किया होता तो सरकारी जमीनों पर माफिया मुख्तार अंसारी और अफजाल अंसारी की इमारते नहीं बनती.
आईएएस राम विलास यादव 2007 में एलडीए में थे तैनात
आईएएस राम विलास यादव की तैनाती के दौरान ही मुख्तार अंसारी और अफजल अंसारी की इमारतों के नक्शे स्वीकृत किए गए हैं. राम विलास यादव उस समय सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण के तौर पर तैनात थे. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने शासन को अपनी रिपोर्ट भेजी है, जिसमें आईएएस राम विलास यादव समेत कई इंजीनियर और कर्मचारियों और अधिकारियों का नाम शामिल है.
रामविलास यादव वर्तमान समय में उत्तराखंड में तैनात है. एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने 19 फरवरी को भी उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी थी. उपाध्यक्ष ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि "1 फरवरी 2007 को राम विलास यादव ने अफजाल अंसारी की पत्नी फरहत अंसारी के भवन मानचित्र की स्वीकृति दी, जिसके लिए वो उत्तरदायी है. उन्होंने मानचित्र की स्वीकृती से पहले निष्क्रांत संपत्ति होने की आपत्ति नहीं ली"
मानचित्र मामले में चीफ इंजीनियर दोषी
अफजाल की पत्नी फरहत अंसारी के मकान का नक्शा पास करने के मामले में एलडीए के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता, प्रवर्तन सेल के प्रभारी और वर्तमान में नगर विकास में मुख्य अभियंता मनीष कुमार सिंह, अवर अभियंता इस भावल, जीएस वर्मा और सहायक अभियंता अनूप शर्मा भी दोषी मिले हैं. इनके खिलाफ भी कार्रवाई की संस्तुति की गई है.
एनओसी भी नहीं की गई जमा
मुख्तार अंसारी की बिल्डिंग जिस जमीन पर बनी थी वो राबिया बेगम के नाम से थी. इसका नक्शा भी पास किया गया था, वो भी बगैर मानचित्र शुल्क जमा किए. एनओसी भी नहीं जमा की गई थी, जिसके चलते इनका मानचित्र 16 जुलाई 2020को निरस्त कर दिया गया था. 27 अगस्त को इसे ध्वस्त कर दिया गया. इस मामले में तत्कालीन अधिशाषी अभियंता राहुल श्रीवास्तव, आरके अवस्थी को जिम्मेदार बताया गया है. तत्कालीन अपर सचिव भी मामले में जिम्मेदार है.