लखनऊ: कानपुर विकास प्राधिकरण में अपनी पोस्टिंग के लिए सवा करोड़ रुपये में डील करने और एडवांस के लिए 15 लाख रुपये देने वाले आईएएस आईपी पांडेय को यूपी सरकार ने फिलहाल राजस्व परिषद लखनऊ से संबद्ध करने की कार्रवाई की है. हालांकि उन्हें निलंबित करने की कार्रवाई अभी नहीं की गई है. सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उन्हें कभी भी निलंबित करने की कार्रवाई अपने स्तर से कर सकते हैं.
इससे पहले आईएएस की पोस्टिंग को लेकर वायरल हुए ऑडियो के बाद स्पेशल टास्क फोर्स ने दलाल पीयूष अग्रवाल, गौरीकान्त दीक्षित व कमलेश की गिरफ्तारी की थी.आईएएस के खिलाफ कार्रवाई को लेकर उत्तर प्रदेश शासन को रिपोर्ट भेजी थी. एसटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में आईएएस का नाम छिपाया था, जिसे ईटीवी भारत ने प्रमुखता से अपनी खबर में जिक्र किया था.
इसके बाद रविवार उत्तर प्रदेश के नियुक्ति विभाग ने आईएएस विशेष सचिव आबकारी आईपी पांडेय को उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद लखनऊ कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. नियुक्ति विभाग के एक अफसर ने राजस्व परिषद से संबद्ध किए जाने की जानकारी दी है. खास बात यह है कि आईएएस, पीसीएस अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग में होने वाले बड़े खेल का पर्दाफाश ऑडियो वायरल होने के बाद स्पेशल टास्क फोर्स ने किया था, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि एसटीएफ ने किसी अन्य अफसर के बारे में जानकारी नहीं दी.
वायरल ऑडियो में मुख्यमंत्री कार्यालय के कई बड़े अफसरों का नाम गिरफ्तार दलाल पीयूष अग्रवाल ने लिए थे. बातचीत में उसने दावा किया था कि आईएएस की पोस्टिंग को लेकर उनकी कई अफसरों से बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी ऑर्डर जारी नहीं हो पा रहा है. उत्तर प्रदेश में तबादला उद्योग चल रहा है. अब देखने वाली बात यह होगी की ईमानदार छवि वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पूरे खेल को किस प्रकार से समाप्त करते हैं.