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ये हैं लखनऊ के ब्लड मैन, अब तक 117 बार कर चुके हैं ब्लड डोनेट - senior ias officer rajan shukla interview

राजधानी के केजीएमयू अस्पताल में लोगों की जिंदगी बचाने के लिए प्रतिवर्ष दो लाख यूनिट ब्लड की आवश्यकता रहती है. ऐसे में अस्पताल में खून की डिमांड बहुत बढ़ जाती है. ईटीवी भारत ने एक ऐसे अधिकारी से बात की है, जो केजीएमयू में अब तक 117 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला से ईटीवी की खास बातचीत.
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Published : Aug 22, 2019, 7:31 PM IST

लखनऊ: राजधानी में गुरूवार को ईटीवी भारत ने एक ऐसे सीनीयर आईएएस अधिकारी से बातचीत की जो अब तक 117 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं. राजन शुक्ला को कंपटीशन देने वाले उनके छोटे भाई राजर्षि शुक्ला न्यायिक सदस्य के पद पर उपभोक्ता फोरम में हैं, जो अब तक लगभग 50 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला से ईटीवी की खास बातचीत.

केजीएमयू कैंप लगाकर लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित करता है-

केजीएमयू ब्लड बैंक की प्रभारी तूलिका चंद्रा ने बताया कि हम लगातार कैंप लगाकर ब्लड डोनेट करने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं. कैंप लगाकर लोगों को प्रेरित करने से बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं आता है लेकिन लखनऊ में कुछ ऐसे लोग हैं, जो नियमित ब्लड डोनेट करते हैं. तूलिका चंद्रा ने बताया कि राजन शुक्ला अब तक 117 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

केजीएमयू में ब्लड डोनेट करने वाले कुछ अन्य व्यक्ति-

केजीएमयू ब्लड बैंक में राजन शुक्ला सबसे ज्यादा ब्लड डोनेट करने वाले व्यक्ति हैं. राजधानी में कुछ और भी लोग हैं जो ब्लड डोनेट करते हैं मगर वह राजन शुक्ला से काफी पीछे हैं. लखनऊ के बृजेश कुमार 25, अमोद कुमार 20, पुष्पेंद्र15, क्षितिज माथुर 15 और अब्दुल मोइन 10 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला से ईटीवी की खास बातचीत-

ईटीवी से खास बातचीत में सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला ने बताया कि उन्हें ब्लड डोनेट करने की प्रेरणा उनके पिताजी से मिली है. राजन शुक्ला के पिताजी अक्सर श्रमदान किया करते थे, जहां से उन्हें दान की प्रेरणा मिली. इसके बाद उन्होंने ब्लड डोनेशन कैंप में हिस्सा लिया और वहीं से इनको ब्लड डोनेट करने की आदत पड़ गई. राजन शुक्ला ने बताया कि ब्लड डोनेट करने से किसी भी तरह की कोई कमजोरी नहीं आती है. ब्लड बनाया नहीं जा सकता है. लिहाजा मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए हमें ब्लड डोनेट करना चाहिए.

लखनऊ: राजधानी में गुरूवार को ईटीवी भारत ने एक ऐसे सीनीयर आईएएस अधिकारी से बातचीत की जो अब तक 117 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं. राजन शुक्ला को कंपटीशन देने वाले उनके छोटे भाई राजर्षि शुक्ला न्यायिक सदस्य के पद पर उपभोक्ता फोरम में हैं, जो अब तक लगभग 50 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला से ईटीवी की खास बातचीत.

केजीएमयू कैंप लगाकर लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित करता है-

केजीएमयू ब्लड बैंक की प्रभारी तूलिका चंद्रा ने बताया कि हम लगातार कैंप लगाकर ब्लड डोनेट करने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं. कैंप लगाकर लोगों को प्रेरित करने से बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं आता है लेकिन लखनऊ में कुछ ऐसे लोग हैं, जो नियमित ब्लड डोनेट करते हैं. तूलिका चंद्रा ने बताया कि राजन शुक्ला अब तक 117 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

केजीएमयू में ब्लड डोनेट करने वाले कुछ अन्य व्यक्ति-

केजीएमयू ब्लड बैंक में राजन शुक्ला सबसे ज्यादा ब्लड डोनेट करने वाले व्यक्ति हैं. राजधानी में कुछ और भी लोग हैं जो ब्लड डोनेट करते हैं मगर वह राजन शुक्ला से काफी पीछे हैं. लखनऊ के बृजेश कुमार 25, अमोद कुमार 20, पुष्पेंद्र15, क्षितिज माथुर 15 और अब्दुल मोइन 10 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला से ईटीवी की खास बातचीत-

ईटीवी से खास बातचीत में सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला ने बताया कि उन्हें ब्लड डोनेट करने की प्रेरणा उनके पिताजी से मिली है. राजन शुक्ला के पिताजी अक्सर श्रमदान किया करते थे, जहां से उन्हें दान की प्रेरणा मिली. इसके बाद उन्होंने ब्लड डोनेशन कैंप में हिस्सा लिया और वहीं से इनको ब्लड डोनेट करने की आदत पड़ गई. राजन शुक्ला ने बताया कि ब्लड डोनेट करने से किसी भी तरह की कोई कमजोरी नहीं आती है. ब्लड बनाया नहीं जा सकता है. लिहाजा मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए हमें ब्लड डोनेट करना चाहिए.

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लखनऊ। पिछले कुछ वर्षों में राजधानी लखनऊ मेडिकल हब के रूप में उभर कर सामने आई है। जहां राजधानी लखनऊ में केजीएमयू पीजीआई जैसे बड़े सरकारी चिकित्सा संस्थान है तो वहीं प्राइवेट सेक्टर के भी कई बड़े संस्थान सक्रिय हैं। ऐसे में भले ही राजधानी लखनऊ में आधुनिक अस्पतालों में आधुनिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होती हो लेकिन सुविधाओं के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोगों की जाने जाती है। मरीजों के मौत के पीछे एक बड़ा कारण समय पर उन्हें ब्लड उपलब्ध न हो पाना भी है। केजीएमयू ब्लड बैंक प्रभारी डॉक्टर तूलिका चंद्रा की मानें तो राजधानी लखनऊ को प्रतिवर्ष दो लाख यूनिट ब्लड की आवश्यकता रहती है। जिसके सापेक्ष में मात्र 70 हजार यूनिट ब्लड की इकट्ठा हो पाता है। तूलिका चंद्र का यह भी कहना है कि अगर आम जनता ब्लड डोनेशन के प्रति सक्रिय रहे तो काफी हद तक इस कमी को दूर किया जा सकता है। तमाम जागरूकता अभियान व प्रयासों के बावजूद भी आज भी लोग ब्लड डोनेट करने से बचते हैं।


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जहां एक ओर लोग ब्लड डोनेट करने से बचते हैं तो वहीं राजधानी लखनऊ में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो रेगुलर ब्लड डोनेट करने पहुंचते हैं। केजीएमयू ब्लड बैंक प्रभारी तूलिका चंद्रा ने बताया कि हम लगातार कैंप लगाकर ब्लड डोनेट करने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं लेकिन बहुत अच्छा रिस्पांस नहीं आता है लेकिन लखनऊ में कुछ ऐसे लोग हैं जो नियमित ब्लड डोनेट करते हैं। ऐसे लोगों में सबसे पहला नाम है सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला का। तूलिका चंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि राजा शुक्ला अब तक 117 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं केजीएमयू ब्लड बैंक में राजन शुक्ला सबसे ज्यादा ब्लड डोनेट करने वाले व्यक्ति हैं। राजधानी लखनऊ में कुछ और लोग भी हैं जो ब्लड डोनेट करते हैं लेकिन वह राजन शुक्ला से काफी पीछे हैं। राजन शुक्ला को कंपटीशन देने वाले उनके छोटे भाई राजर्षि शुक्ला न्यायिक सदस्य उपभोक्ता फोरम है जो अब तक लगभग 50 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। वहीं राजधानी लखनऊ के बृजेश कुमार 25 बार, अमोद कुमार 20 बार, पुष्पेंद्र 15, क्षितिज माथुर 15 बार अब्दुल मोइन 10 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं।


ईटीवी से खास बातचीत में सीनियर आईएएस अधिकारी राजन शुक्ला ने बताया कि उन्हें ब्लड डोनेट करने की प्रेरणा उनके पिताजी से मिली उनके पिताजी अक्सर श्रमदान किया करते थे जहां से उन्हें दान की प्रेरणा मिली। इसके बाद उन्होंने ब्लड डोनेशन कैंप में हिस्सा लिया और वहीं से इनको ब्लड डोनेट करने की आदत सी पड़ गई। पिछले लंबे समय से राजन शुक्ला नियमित ब्लड डोनेट करते आ रहे हैं। बातचीत के दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए राजीव शुक्ला ने बताया कि ब्लड डोनेट करने से किसी भी तरह की कोई कमजोरी नहीं आती है ब्लड का कोई विकल्प नहीं होता तब तक नहीं बनाया जा सकता है लिहाजा मरीजों की जिंदगी बचाने के लिए हमें ब्लड डोनेट करना चाहिए अगर हमारे पेट से किसी की जान बच सकती है इससे बड़ी बात और कोई नहीं हो सकती।


Conclusion:संवाददाता प्रशांत मिश्रा 9026 392526
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