लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) में मंगलवार को खगोल विज्ञान विभाग की मद्द से सेलेस्ट्रॉन टेलीस्कोप द्वारा चंद्रमा की सतह को ध्यान से देखने का अवसर सभी विद्यार्थियों को मिला. टेलीस्कोप द्वारा चंद्रमा को देखकर सभी मंत्रमुग्ध हो गए. विशेष रूप से इसकी सतह पर मौजूद अनेकों क्रेटर (चंद्रमा पर मौजूद गड्ढे) देखकर. सतह पर दक्षिण की ओर मौजूद टाइको क्रेटर (व्यास 85 किलोमीटर) स्पष्ट रूप से दिखा. चंद्रमा की सतह पर बना हुआ यह एक नया क्रेटर है, जिसकी उम्र लगभग 108 मिलियन वर्ष है.
खगोल विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. अलका मिश्रा ने बताया कि कैसे अनेकों उल्कापिंड चंद्रमा पर वायुमंडल की गैरमौजूदगी की वजह से सतह से टकराकर उस पर गड्ढे बना देते हैं. जिन्हें हम क्रेटर कहते हैं. इन क्रेटरों का व्यास कुछ मीटरों से लेकर हजारों किलोमीटर तक हो सकता है. प्लेटो क्रेटर जिसका व्यास 109 किलोमीटर है उत्तर की ओर मौजूद दिखा. कोपरनिकस (व्यास 93 किलोमीटर) नाम का क्रेटर भी स्पष्ट रूप से टेलीस्कोप द्वारा दिखाई दे रहा था.
छात्रों ने बताया कि चंद्रमा पर करीब 83000 क्रेटर मौजूद हैं. जिनका व्यास 5 किलोमीटर से ज्यादा है. जिसे देखकर छात्र हैरान रह गए. एस्ट्रोनॉमी के विद्यार्थियों ने टेलीस्कोप से चंद्रमा की तस्वीरें प्रोसेसिंग के लिए लीं तथा सतह पर मौजूद क्रेटर की मैपिंग की. टेलीस्कोप द्वारा चंद्रमा को देखने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में भारी संख्या में लोग मौजूद थे. यह एक अद्भुत दृश्य था. जिसका विश्वविद्यालय के सभी विषयों के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने बहुत देर तक नजारा लिया. डॉ अल्का मिश्रा ने लोगों की जिज्ञासा देख आने वाले दिनों में भी इसी तरह के दिलचस्प, रोचक एवं ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित कराने का आश्वासन दिया.
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