लखनऊ. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (Dr APJ Abdul Kalam Technical University) एकेडमिक सेशन 2022-23 इसमें करीब 50 फीसदी इंजीनियरिंग की सीटें खाली रह जाएंगी. बीते वर्षों की तरह इस साल भी एकेटीयू इंजीनियरिंग कोर्स के लिए स्टूडेंट्स को अपनी तरफ आकर्षित करने में लगातार नाकाम साबित रहा. यूनिवर्सिटी से संबद्ध 198 कॉलेजों ने इस बार बीटेक कोर्स में एडमिशन ऑफर किए थे, लेकिन काउंसिलिंग में आए स्टूडेंट्स की स्थिति से लगता है कि इस बार भी कॉलेजों को मायूसी हाथ लगेगी.
एकेटीयू ने इस बार 70 हजार से अधिक बीटेक सीटों पर एडमिशन के लिए आवेदन मांगे थे. इसके सापेक्ष यूनिवर्सिटी को करीब 30 हजार कैंडीडेट्स ने ही बीटेक कोर्स में एडमिशन के लिए दिलचस्पी दिखाई. यदि सभी 30 हजार आवेदक काउंसिलिंग के बाद दाखिला ले लेते हैं तो भी 40 हजार सीटें खाली रहने की बात सामने आ रही है.
बीते पांच साल में खराब इंफ्रास्ट्रक्चर व खराब प्लेसमेंट रिकॉर्ड के कारण यूनिवर्सिटी में बीटेक की डेढ़ लाख सीटों को घटाकर 75 हजार कर दिया है. इसके बाद भी यूनिवर्सिटी को सीटों को भरने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि कॉलेजों के पुअर प्लेसमेंट और स्वस्थ एडमिशन प्रक्रिया ने छात्रों का रुझान एकेटीयू के कॉलेजों की तरफ कम कर दिया है.
20 से 30 फीसदी को ही मिल रहा प्लेसमेंट : यूनिवर्सिटी के सीनियर फैकल्टी का कहना है कि संबद्ध डिग्री कॉलेजों में प्लेसमेंट का रिकॉर्ड इतना खराब है कि वहां से हर साल निकलने वाले कुल स्टूडेंट्स का 20 से 30 फीसदी को ही नौकरी मिल रही है. कॉलेजों में होने वाले प्लेस पेन ड्राइव में जो कंपनियां आ रही हैं वह छात्रों को 3 से 4 लाख सालाना का पैकेज ऑफर कर रही हैं. जो दूसरे स्टेटों के बीटेक इंस्टिट्यूट व कॉलेजों के आधे के बराबर भी नहीं है. जिन स्टूडेंट्स को बीटेक करने में इंटरेस्ट है वह पहले ही आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी व साउथ के अच्छे इंडियन कॉलेज में एडमिशन के लिए चले जाते हैं.
एमएनटीयू व एचबीटीयू में एडमिशन पूरे : एक और जहां एकेटीयू अपनी सीटें भरने के लिए जद्दोजहद कर रहा है वहीं दूसरी ओर प्रदेश की दूसरी टेक्निकल यूनिवर्सिटी मदन मोहन मालवीय टेक्निकल यूनिवर्सिटी गोरखपुर व हरकोर्ट बटलर यूनिवर्सिटी ने निर्धारित समय से पहले ही अपने एडमिशन प्रक्रिया को पूरा कर दिया. यहां तक की नोएडा गाजियाबाद के कुछ अच्छे सेल्फ फाइनेंस इंजीनियरिंग कॉलेजों ने भी अपने एडमिशन प्रक्रिया को पूरा कर लिया है. वह बस यूनिवर्सिटी की तरफ से डायरेक्ट एडमिशन शुरू करने की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.
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बीते वर्षों की तुलना में इस साल स्थिति थोड़ी बेहतर : एकेटीयू वाइस चांसलर प्रोफेसर पीके मिश्रा ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल की स्थिति में सुधार हुआ है. बीते वर्षों में 20 हजार से भी कम स्टूडेंट एकेटीयू में एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन कर आते थे. जबकि इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 30 हजार के करीब पहुंच गया है. अधिक से अधिक बच्चों को एकेटीयू में एडमिशन के लिए आकर्षित करने के लिए यूनिवर्सिटी ने कई माइनस डिग्री प्रोग्राम शुरू किए हैं, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डीप लर्निंग और अदर कांसेप्ट ऑफ फील्ड ऑफ टेक्नोलॉजी शामिल है. सीटों को भरने के लिए कॉलेजों को भी जो राहत यूनिवर्सिटी से मिलनी चाहिए वह प्रदान की जाएगी.
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