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लखनऊ में लगा 21 दिवसीय सिल्क एक्सपो, अनोखी कलाकृतियां बनी आकर्षण का केंद्र - लखनऊ न्यूज़

शिल्पकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट सिल्क एक्सपो के 21 दिवसीय हस्तशिल्प और सिल्क प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है. इस प्रदर्शनी में देशभर के सिल्क के साथ ही जहां नागालैंड के ड्राई फ्लावर लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं.

लखनऊ में लगा 21 दिवसीय सिल्क एक्सपो
लखनऊ में लगा 21 दिवसीय सिल्क एक्सपो
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Published : Jan 6, 2021, 10:24 AM IST

लखनऊः नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट सिल्क एक्सपो, 21 दिवसीय हस्तशिल्प और सिल्क प्रदर्शनी का आयोजन कर रही है. जो श्री राम कथा पार्क रेल नगर में चल रही है. इसका मकसद शिल्पकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है. प्रदर्शनी नागालैंड के ड्राई फ्लावर लोगों को भी अपनी ओर खींच रहा है. वहीं टेराकोटा की कलाकृतियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

अनोखी कलाकृतियां बनी आकर्षण का केंद्र
अनोखी कलाकृतियां बनी आकर्षण का केंद्र

सिल्क एक्सपो प्रदर्शनी
एक्सपो की प्रदर्शनी में सिल्क एक्सपो के आशीष गुप्ता ने कहा कि देश की कला परंपरायें विलुप्त होती जा रही हैं. कच्चे सामान की कीमते बढ़ने, बाजारवाद और ऑनलाइन मार्केटिंग से हस्तशिल्प उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा है. इस कला परपंरा को जीवित रखने के लिये प्रदर्शनी का आयोजन रेलनगर कथा मैदान में किया जा रहा है. प्रदर्शनी में कोलकाता से आये अजीत शर्मा केरला काटन पर हैंड पेंटिंग की साड़ियां लाये हैं. इन साड़ियों में उन्होंने केरला की संस्कृति के साथ ही ग्रामीण भारत की झलक को दिखाया है. सिल्क पर जामदानी का खूबसूरत काम भी उन्होंने प्रदर्शित किया है. बनारस से आये संतोष सिंह अपने साथ हैंड पेंटिंग ड्रेस मैटेरियल लाए हैं. हैंड पेंटिंग के जरिए उन्होंने ऊंटो के साथ राजस्थान के रेगिस्तान में ग्रामीणों को दिखाया है. वहीं कृष्ण और गौतम बुद्ध के चेहरों की भावनाओं को भी प्रदर्शित किया है. कांचीपुरम से आए हस्त शिल्पी कांजीवरम की रियल सिल्वर जरी की साड़ियां लाए हैं. इन साड़ियों को बड़ी ही खूबसूरती के साथ ज्वेलरी बॉक्स पर प्रदर्शित किया गया है. करीब 6 महीने में बनने वाली साड़ी की कीमत 1,80,000 रुपये तक है. प्रदर्शनी में आये राणा ने बताया कि इन साड़ियों को बनाने में पूरे परिवार को जुटना पड़ता है.

प्रदर्शनी में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के शिल्पकारों ने अपनी अनोखी शिल्प कला से लोगों को अचंभित किया है. प्रदर्शनी में 60 से ज्यादा स्टॉल लगाए गये हैं. प्रदर्शनी में नागालैंड का ड्राई फ्लावर भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस कलाकृति को लकड़ियों ने बनाया है. लकड़ी को तराश कर फूलों का आकार दिया जाता है. प्रदर्शनी में टेराकोटा की कलाकृतियां भी लोगों को लुभा रही हैं. इन कलाकृतियों में कलाकारों ने पुरातन भारतीय कला परंपरा को जीवित रखने का प्रयास किया है. इसके अतिरिक्त मेले में बांस का फर्नीचर, जरदोसी वर्क लेदर की जूतियां, जुट के झूले, लखनवी चिकन, भैरवगढ़ का प्रिंट, नीमच तारापुर का दाबू प्रिंट, चंदेरी साड़ियां, कॉटन के सूट साड़ियां, सिल्क की साड़ियां आदि प्रदर्शित की गई हैं. प्रदर्शनी 19 जनवरी तक चलेगी.

लखनऊः नेशनल आर्ट एंड क्राफ्ट सिल्क एक्सपो, 21 दिवसीय हस्तशिल्प और सिल्क प्रदर्शनी का आयोजन कर रही है. जो श्री राम कथा पार्क रेल नगर में चल रही है. इसका मकसद शिल्पकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है. प्रदर्शनी नागालैंड के ड्राई फ्लावर लोगों को भी अपनी ओर खींच रहा है. वहीं टेराकोटा की कलाकृतियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

अनोखी कलाकृतियां बनी आकर्षण का केंद्र
अनोखी कलाकृतियां बनी आकर्षण का केंद्र

सिल्क एक्सपो प्रदर्शनी
एक्सपो की प्रदर्शनी में सिल्क एक्सपो के आशीष गुप्ता ने कहा कि देश की कला परंपरायें विलुप्त होती जा रही हैं. कच्चे सामान की कीमते बढ़ने, बाजारवाद और ऑनलाइन मार्केटिंग से हस्तशिल्प उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा है. इस कला परपंरा को जीवित रखने के लिये प्रदर्शनी का आयोजन रेलनगर कथा मैदान में किया जा रहा है. प्रदर्शनी में कोलकाता से आये अजीत शर्मा केरला काटन पर हैंड पेंटिंग की साड़ियां लाये हैं. इन साड़ियों में उन्होंने केरला की संस्कृति के साथ ही ग्रामीण भारत की झलक को दिखाया है. सिल्क पर जामदानी का खूबसूरत काम भी उन्होंने प्रदर्शित किया है. बनारस से आये संतोष सिंह अपने साथ हैंड पेंटिंग ड्रेस मैटेरियल लाए हैं. हैंड पेंटिंग के जरिए उन्होंने ऊंटो के साथ राजस्थान के रेगिस्तान में ग्रामीणों को दिखाया है. वहीं कृष्ण और गौतम बुद्ध के चेहरों की भावनाओं को भी प्रदर्शित किया है. कांचीपुरम से आए हस्त शिल्पी कांजीवरम की रियल सिल्वर जरी की साड़ियां लाए हैं. इन साड़ियों को बड़ी ही खूबसूरती के साथ ज्वेलरी बॉक्स पर प्रदर्शित किया गया है. करीब 6 महीने में बनने वाली साड़ी की कीमत 1,80,000 रुपये तक है. प्रदर्शनी में आये राणा ने बताया कि इन साड़ियों को बनाने में पूरे परिवार को जुटना पड़ता है.

प्रदर्शनी में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के शिल्पकारों ने अपनी अनोखी शिल्प कला से लोगों को अचंभित किया है. प्रदर्शनी में 60 से ज्यादा स्टॉल लगाए गये हैं. प्रदर्शनी में नागालैंड का ड्राई फ्लावर भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस कलाकृति को लकड़ियों ने बनाया है. लकड़ी को तराश कर फूलों का आकार दिया जाता है. प्रदर्शनी में टेराकोटा की कलाकृतियां भी लोगों को लुभा रही हैं. इन कलाकृतियों में कलाकारों ने पुरातन भारतीय कला परंपरा को जीवित रखने का प्रयास किया है. इसके अतिरिक्त मेले में बांस का फर्नीचर, जरदोसी वर्क लेदर की जूतियां, जुट के झूले, लखनवी चिकन, भैरवगढ़ का प्रिंट, नीमच तारापुर का दाबू प्रिंट, चंदेरी साड़ियां, कॉटन के सूट साड़ियां, सिल्क की साड़ियां आदि प्रदर्शित की गई हैं. प्रदर्शनी 19 जनवरी तक चलेगी.

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