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लखनऊ में सीवेज पर खर्च होंगे 1200 करोड़, लगाए जाएंगे ट्रीटमेंट प्लांट

लखनऊ में इस तरह से 36 से अधिक नाले गोमती नदी में गिरते हैं. ऐसे में गोमती नदी का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक ने कहा कि जितना राजधानी में सीवेज का जनरेशन होगा उतना हम शोधन कर सकेंगे और इनके निर्माण में 1200 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जाएंगे.

गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई
गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई
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Published : Feb 25, 2021, 8:08 AM IST

Updated : Mar 17, 2021, 6:48 AM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में सीवेज एक बड़ी समस्या है. लोगों के घरों से निकलने वाला प्रदूषित जल नालों के माध्यम से गोमती नदी में जा रहा है, जिससे लगातार पर्यावरण प्रदूषण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है, जितने भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं. वह भी काफी कम है. ऐसे में और अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने की जरूरत है और जिसके लिए 1200 करोड़ से अधिक का खर्च भी होगा.

लखनऊ में सीवेज एक बड़ी समस्या है
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल ने बताया कि लखनऊ में सीवेज एक बड़ी समस्या है. लखनऊ के 33 ऐसे नाले हैं जो गोमती नदी में गिरते हैं, जिससे गोमती नदी का प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है. आरके अग्रवाल का कहना है कि निश्चित रूप से राजधानी में 405 एमएलडी ( मिनिमम लिक्विड डिसचार्ज) शोधन क्षमता के प्लांट लगाए गए हैं. जो कि काफी कम है. ऐसे में और अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने की जरूरत है, जिससे सीवेज की समस्या का समाधान हो सके.इन स्थानों पर लगे हैं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल ने बताया कि राजधानी में 345 एमएलडी क्षमता का भरवारा में लगाया गया है, जबकि 260 एमएलडी के दौलतगंज में लगाए गए हैं. वहीं आवास विकास कॉलोनी में 442 एमएलडी की शोधन क्षमता का प्लांट लगाया गया है जो आवास विकास कॉलोनी के लिए ही काम कर रहा है. इसके साथ ही 120 एमएलडी क्षमता का एसटीपी हैदर कैनाल पर भी लगाया जा रहा है जो 1090 चौराहे के पास है. ऐसे में कुल मिलाकर 560 एमएलडी ट्रीटमेंट की क्षमता के सीवेज प्लांट ही लग पाए हैं, जबकि 80 एमएलडी बिजनौर में 80 एमएलडी भरवारा में भी प्रस्तावित है.

सरकार को भेजा गया 1200 करोड़ रुपए का स्टीमेट

गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल का कहना है कि जितने भी प्रस्तावित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं. इन सभी के निर्माण के बाद जितना राजधानी में सीवेज का जनरेशन होगा उतना हम शोधन कर सकेंगे और इनके निर्माण में 1200 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च होगा, जिसका एस्टीमेट सरकार को भेजा जा रहा है. बजट मिलते ही सीवेज ट्रीटमेंट का निर्माण शुरू हो जाएगा और निश्चित रूप से राजधानी लखनऊ के लोगों को सीवर की समस्या से निजात मिल सकेगी.

लखनऊ में इस तरह से 36 से अधिक नाले गोमती नदी में गिरते हैं. ऐसे में गोमती नदी का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. गोमती प्रदूषण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल का कहना है कि निश्चित रूप से जिस तरह से जितना सीवेज राजधानी में जनरेट होता है अभी उसके शोधन के लिए हमारे पास प्लांट नहीं है. और इसके लिए बजट मांगा गया है बजट मिलते ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में सीवेज एक बड़ी समस्या है. लोगों के घरों से निकलने वाला प्रदूषित जल नालों के माध्यम से गोमती नदी में जा रहा है, जिससे लगातार पर्यावरण प्रदूषण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है, जितने भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं. वह भी काफी कम है. ऐसे में और अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने की जरूरत है और जिसके लिए 1200 करोड़ से अधिक का खर्च भी होगा.

लखनऊ में सीवेज एक बड़ी समस्या है
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल ने बताया कि लखनऊ में सीवेज एक बड़ी समस्या है. लखनऊ के 33 ऐसे नाले हैं जो गोमती नदी में गिरते हैं, जिससे गोमती नदी का प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है. आरके अग्रवाल का कहना है कि निश्चित रूप से राजधानी में 405 एमएलडी ( मिनिमम लिक्विड डिसचार्ज) शोधन क्षमता के प्लांट लगाए गए हैं. जो कि काफी कम है. ऐसे में और अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने की जरूरत है, जिससे सीवेज की समस्या का समाधान हो सके.इन स्थानों पर लगे हैं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल ने बताया कि राजधानी में 345 एमएलडी क्षमता का भरवारा में लगाया गया है, जबकि 260 एमएलडी के दौलतगंज में लगाए गए हैं. वहीं आवास विकास कॉलोनी में 442 एमएलडी की शोधन क्षमता का प्लांट लगाया गया है जो आवास विकास कॉलोनी के लिए ही काम कर रहा है. इसके साथ ही 120 एमएलडी क्षमता का एसटीपी हैदर कैनाल पर भी लगाया जा रहा है जो 1090 चौराहे के पास है. ऐसे में कुल मिलाकर 560 एमएलडी ट्रीटमेंट की क्षमता के सीवेज प्लांट ही लग पाए हैं, जबकि 80 एमएलडी बिजनौर में 80 एमएलडी भरवारा में भी प्रस्तावित है.

सरकार को भेजा गया 1200 करोड़ रुपए का स्टीमेट

गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल का कहना है कि जितने भी प्रस्तावित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं. इन सभी के निर्माण के बाद जितना राजधानी में सीवेज का जनरेशन होगा उतना हम शोधन कर सकेंगे और इनके निर्माण में 1200 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च होगा, जिसका एस्टीमेट सरकार को भेजा जा रहा है. बजट मिलते ही सीवेज ट्रीटमेंट का निर्माण शुरू हो जाएगा और निश्चित रूप से राजधानी लखनऊ के लोगों को सीवर की समस्या से निजात मिल सकेगी.

लखनऊ में इस तरह से 36 से अधिक नाले गोमती नदी में गिरते हैं. ऐसे में गोमती नदी का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. गोमती प्रदूषण इकाई के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल का कहना है कि निश्चित रूप से जिस तरह से जितना सीवेज राजधानी में जनरेट होता है अभी उसके शोधन के लिए हमारे पास प्लांट नहीं है. और इसके लिए बजट मांगा गया है बजट मिलते ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा.

Last Updated : Mar 17, 2021, 6:48 AM IST
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