कुशीनगर: नेपाल की पहाड़ियों पर हो रही लगातार बारिश (rain on Nepal hills) और बाल्मीकि नगर गंडक बैराज से 4 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी का डिस्चार्ज होने से मुसीबत सिर आन पड़ी है. नारायणी नदी (Narayani River) भैंसहा के पास बने चेतावनी बिंदु से 95 सेमी. ऊपर बह रही थी, जिसके कारण नदी का पानी तराई के आधे दर्जन गांवों में घुस गया है. महादेवा और सालिमपुर गांव के लोग सालिमपुर पुलिस चौकी के समीप हाईवे पर तंबू में दिन गुजारने को मजबूर हैं. हालांकि, प्रशासन भोजन आदि के इंतजाम का आश्वासन दे रहा है.
नारायणी नदी (Narayani River) में शुक्रवार से ही चार लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया है, जिससे नदी के जल स्तर में काफी तेजी से वृद्धि हुई है. इस कारण भैंसहा में बने गेज स्थल पर नारायणी नदी खतरे के निशान के बेहद करीब होकर बह रही है. नारायणी नदी खतरे के बिंदु 96.00 मीटर से 5 से मी की स्थिति पर थी, जिससे आस-पास के गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा. हालांकि, शनिवार की शाम पानी कम छोड़ा गया. कुल 347400 क्यूसेक होने पर नदी का जलस्तर स्थिर है, लेकिन खड्डा इलाके के 7 गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. महादेवा सालिमपुर के लोग अपने घरों को छोड़कर हाईवे पर शरण लिए हैं.
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महादेवा गांव की रहने वाली महिला पूनम ने बताया कि हम लोगों को बहुत दिक्कत है. सरकार तो कहती है कि करोड़ों रुपये नदी पर बांध बनाने में लग गए, लेकिन बांध अभी तक नहीं बन पाया है. अगर, नदी पर बांध बन गया होता तो हम लोगों को इस तरह से धक्के नहीं खाने पड़ते. हम अपने बच्चों और जानवरों को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं. बाढ़ राहत केंद्रों पर भी सुविधाएं नहीं मिल रहीं. सभी के खेत नदी में कट गए हैं, अब घर भी नदी के तेज बहाव में बह जाने की आशंका है. हम लोग भीख मांगने की कगार पर आ गए हैं.
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बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर पहुंचे भाजपा के जिला महामंत्री विवेकानंद ने बताया कि सरकार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को राहत दे रही है. जिला प्रशासन को इस काम में लगाया गया है. राहत कैंपों में सभी खाने-पीने और रहने की समुचित व्यवस्थाएं कराई गई हैं.