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मौत के 39वें दिन बाद जिंदा लौटा युवक, जानें क्या है पूरा मामला

कौशांबी जिले में जिस युवक को परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया था. वह वापस लौट आया. युवक के जिंदा लौट आने की चर्चा चारों तरफ है. वहीं, युवक के परिजनों में खुशी का माहौल है.

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वापस लौट रमजान परिजनों के साथ
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Published : Jul 22, 2022, 8:54 PM IST

कौशांबी: जिले में एक बेहद ही चौका देने वाला मामला सामने आया है. एक मुस्लिम परिवार ने जिसे अपना बेटा समझ कर दफनाया था, वो गुरुवार को जिंदा वापस लौट आया. परिवार युवक के 40वें (अंतिम संस्कार के बाद का कार्यक्रम) फातेहा की तैयारी कर रहा था. युवक के जिंदा लौट के आने की चर्चा चारों तरफ है. वहीं, युवक के परिजनों में खुशी का माहौल है. हालांकि एक अन्य परिवार ने बेटे के शव होने का दावा किया था. जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने कब्र से शव निकालकर पोस्टमार्टम के बाद डीएनए टेस्ट के लिए भेजा था.

वापस लौट रमजान परिजनों के साथ

दरअसल, 11 जून को सैनी कोतवाली क्षेत्र के मारधार रेलवे स्टेशन के पास एक युवक ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इसके बाद पुलिस ने इलाके में जितने लोग लापता हुए थे, सभी के परिजनों को बुलाकर शव की शिनाख्त करवाई. इस दौरान बिजलीपुर गांव निवासी शफीकुन्निशा ने शव की शिनाख्त अपने बेटे रमजान के रूप में की. इसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने परिजनों को सौंप दिया था.

पिता शब्बीर और अन्य परिजनों ने अपने बेटे रमजान का शव समझकर गांव के ही कब्रिस्तान में दफन कर दिया था. लेकिन, गुरुवार को अचानक बेटे के जिंदा लौटने पर मां, बाप की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. रमजान की मां शफीकुन्निशा ने बताया कि 4 माह से उनके बेटे से बात नहीं हुई थी. हम लोग रो-रो कर पागल हुए जा रहे थे. जब पुलिस ने शव दिखाया तो शक्ल-सूरत बेटे रमजान जैसी लगी, तो अपने बेटे को मृत समझकर दफना दिया था.

वहीं, रमजान ने बताया कि रोजगार नहीं होने के कारण घरवाले ताना मारते रहते थे. रोज-रोज के तानों से तंग आकर वह घर छोड़कर चार महीने पहले ही प्रयागराज चला गया था. वहां पर वह मजदूरी करता था. मोबाइल फोन नहीं होने के कारण परिजनों, दोस्तों और गांव वालों से संपर्क टूट गया था. गांव के व्यक्ति ने जब उसे शहर में देखा तो चौक गया. उसने बताया कि तुम्हारा तो गांव में अंतिम संस्कार हो गया है और कल तुम्हारा 40वां है. इस बात की जानकारी होने पर वह घर पहुंचा तो लोग हैरत से देखने लगे.


यह भी पढे़ं:कानपुर: पैसों के विवाद में ठेकेदार को जिंदा जलाने वाला बिल्डर गिरफ्तार

बता दें कि जिस शव को रमजान समझ कर दफनाया गया था. उस शव को एक महीने बाद फतेपुर निवासी सन्तराज ने सैनी कोतवाली पहुंच कर अपने बेटे सूरज का होने का दावा किया था.मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने शव को कब्र से निकलवा कर डीएनए कराने का आदेश दिया था. डीएम के आदेश के बाद 3 जुलाई को दोनों परिवारों को बुलाया गया. कब्र से शव निकाल कर सैम्पल लेकर डीएनए के लिए लैब भेज दिया. लेकिन, डीएनए रिपोर्ट आने से पहले ही रमजान सकुशल घर वापस आ गया. हालांकि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा की शव सूरज का है या फिर किसी और का. अब संतराज को डीएनए रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है.


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कौशांबी: जिले में एक बेहद ही चौका देने वाला मामला सामने आया है. एक मुस्लिम परिवार ने जिसे अपना बेटा समझ कर दफनाया था, वो गुरुवार को जिंदा वापस लौट आया. परिवार युवक के 40वें (अंतिम संस्कार के बाद का कार्यक्रम) फातेहा की तैयारी कर रहा था. युवक के जिंदा लौट के आने की चर्चा चारों तरफ है. वहीं, युवक के परिजनों में खुशी का माहौल है. हालांकि एक अन्य परिवार ने बेटे के शव होने का दावा किया था. जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने कब्र से शव निकालकर पोस्टमार्टम के बाद डीएनए टेस्ट के लिए भेजा था.

वापस लौट रमजान परिजनों के साथ

दरअसल, 11 जून को सैनी कोतवाली क्षेत्र के मारधार रेलवे स्टेशन के पास एक युवक ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इसके बाद पुलिस ने इलाके में जितने लोग लापता हुए थे, सभी के परिजनों को बुलाकर शव की शिनाख्त करवाई. इस दौरान बिजलीपुर गांव निवासी शफीकुन्निशा ने शव की शिनाख्त अपने बेटे रमजान के रूप में की. इसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने परिजनों को सौंप दिया था.

पिता शब्बीर और अन्य परिजनों ने अपने बेटे रमजान का शव समझकर गांव के ही कब्रिस्तान में दफन कर दिया था. लेकिन, गुरुवार को अचानक बेटे के जिंदा लौटने पर मां, बाप की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. रमजान की मां शफीकुन्निशा ने बताया कि 4 माह से उनके बेटे से बात नहीं हुई थी. हम लोग रो-रो कर पागल हुए जा रहे थे. जब पुलिस ने शव दिखाया तो शक्ल-सूरत बेटे रमजान जैसी लगी, तो अपने बेटे को मृत समझकर दफना दिया था.

वहीं, रमजान ने बताया कि रोजगार नहीं होने के कारण घरवाले ताना मारते रहते थे. रोज-रोज के तानों से तंग आकर वह घर छोड़कर चार महीने पहले ही प्रयागराज चला गया था. वहां पर वह मजदूरी करता था. मोबाइल फोन नहीं होने के कारण परिजनों, दोस्तों और गांव वालों से संपर्क टूट गया था. गांव के व्यक्ति ने जब उसे शहर में देखा तो चौक गया. उसने बताया कि तुम्हारा तो गांव में अंतिम संस्कार हो गया है और कल तुम्हारा 40वां है. इस बात की जानकारी होने पर वह घर पहुंचा तो लोग हैरत से देखने लगे.


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बता दें कि जिस शव को रमजान समझ कर दफनाया गया था. उस शव को एक महीने बाद फतेपुर निवासी सन्तराज ने सैनी कोतवाली पहुंच कर अपने बेटे सूरज का होने का दावा किया था.मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने शव को कब्र से निकलवा कर डीएनए कराने का आदेश दिया था. डीएम के आदेश के बाद 3 जुलाई को दोनों परिवारों को बुलाया गया. कब्र से शव निकाल कर सैम्पल लेकर डीएनए के लिए लैब भेज दिया. लेकिन, डीएनए रिपोर्ट आने से पहले ही रमजान सकुशल घर वापस आ गया. हालांकि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा की शव सूरज का है या फिर किसी और का. अब संतराज को डीएनए रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है.


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