कौशांबीः डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद में सरकारी कर्मचारी भी इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं. यहां सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों और नगर पालिकाओं के जिम्मेदार कूड़ा जलाकर प्रदूषण फैला रहे हैं. वहीं अधिकारी किसानों पर कार्रवाई कर अपनी वाहवाही लूट रहे हैं. ईटीवी भारत के कैमरे पर सरकारी कर्मचारियों की इस हरकत का पूरा वीडियो रिकॉर्ड होने के बाद जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं.
मामला नगर पालिका परिषद मंझनपुर का है. जहां नगर पालिका परिषद में कूड़ा डंपिंग का स्थान निर्धारित किया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी नगर पालिका परिषद के सफाई कर्मचारी आसपास के खाली एरियों पर कूड़ा डंपिंग करते हैं. इतना ही नहीं कूड़ा अधिक डंपिंग हो जाने के बाद सफाई कर्मचारी उसमें आग लगाकर प्रदूषण फैला रहे हैं.
नगर पालिका परिषद में रहने वाले लोगों की मानें तो कूड़े के ढेर में आग लगाने का खेल कर्मचारी रोज करते हैं. जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. नगर पालिका परिषद मंझनपुर के रहने वाले सोजिफ रिजवी ने बताया कि कूड़े के ढेर में आग लगने के बाद उठने वाला धुएं से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन यहां के जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
जिला अस्पताल में लगाई जाती है कूड़े पर आग
जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल के बाहर कूड़ा जलाने का खेल जोरों पर है. जहां कोविड-19 मरीजों के लिए L2 वार्ड बनाया गया है. इस वार्ड के पास ही जिला अस्पताल के सफाई कर्मचारी कूड़े के ढेर पर आग लगाकर प्रदूषण फैला रहे हैं. जिससे उठने वाले धुएं के गुब्बारे हवा में प्रदूषण फैला रहे हैं. यह प्रदूषण और भी गंभीर इसलिए हो जाता है कि यहां पर कोरोना वायरस के संक्रमित मरीज रहते हैं.
जिला अस्पताल के डॉक्टर एसके सिंह के मुताबिक धुएं से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक ओर नॉर्मल मरीजों को जहां नॉर्मल दबाव से सही किया जाता रहा है. वहीं अब इन धुओं के असर होने के बाद से मरीजों को हाई लेवल की दवाइयां दी जा रही है.
एसपी ऑफिस में भी जलाया जाता है कूड़ा
इतना ही नहीं कौशांबी जिले के पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में भी निकलने वाले कपड़ों की ढेर पर आग लगाकर जिम्मेदार प्रदूषण फैला रहे हैं, लेकिन वहीं पास में बैठने वाले जिम्मेदार अधिकारी इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहे हैं. इस पूरे मामले में जब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो वह कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से कतराते नजर आएं. अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि अधिकारी किसानों पर तो कार्रवाई करते हैं, लेकिन जब यही गलती जिले के जिम्मेदार सरकारी कार्यालयों के कर्मचारी करेंगे तो उनपर कौन सी कार्रवाई होगी.