कौशांबी: जिले में करेले की फसल किसानों की जिंदगी में बदलाव लेकर आ रही है. अभी तक परंपरागत खेती करने वाले किसान अब करेले की खेती कर मालामाल हो रहे हैं. कौशांबी में लगभग 500 बीघे की खेती में करेले की फसल की जा रही है. कौशांबी के किसानों ने 500 से अधिक क्षेत्रफल में करेले की खेती कर एक मिसाल कायम की है.
करेले की खेती से किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके इसके लिए कौशांबी का उद्यान विभाग भी सरकारी मदद कर रहा है. किसानों की माने तो कौशांबी के करेले की डिमांड दिल्ली, मध्य प्रदेश के साथ अन्य प्रदेशों में भी है, जिससे उन्हें इसे बेचने में भी कोई दिक्कत नहीं होती है.
डायबिटीज और पेट संबंधी बीमारियों में भी गुणकारी है करेला
केला, अमरूद, तरबूज और आलू के बाद कौशाम्बी के किसान करेला की भी खेती करने लगे हैं. तीन से चार महीने की खेती में किसान एक बीघे से 70 से 80 हजार रुपये की आमदनी कर लेते हैं. डायबिटीज और पेट संबंधी बीमारियों में राहत पाने के लिए यहां की करेले की मांग बाहर की मंडियों में बढ़ गई है. गंगा की तराई में किसान अब करेले की खेती भी करने लगे हैं. धान की खेती में अधिक पानी लगने के कारण किसानों ने करेले को अधिक तवज्जो दी है.
कब करते हैं करेले की खेती
शासन ने इस दफा उद्यान विभाग को बहुत कम खेती करने का लक्ष्य दिया है. जिस पर किसानों की दिलचस्पी को देखते हुए यह लक्ष्य ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है. ज्यादातर किसान निजी दुकानों से बीज खरीद खेती करते हैं. खेती जून के अंतिम हफ्ते से जुलाई तक होती है. सितंबर और अक्टूबर में करेले की तुड़ाई शुरू हो जाती है. कम समय में किसान एक बीघे से 70 से 80 हजार रुपये कमा लेते हैं. एक बीघे में कम से कम 12 से 15 हजार रुपये का खर्च आता है. खासियत यह है कि करेला कम बारिश के पानी में ही तैयार हो जाता है. यदि शुरुआती दौर पर बारिश न भी हुई तो फसल बर्बाद होने का खतरा नहीं होता है. किसान बताते हैं कि करेले को लेने के लिए खुद व्यापारी उनके घर आते हैं, जिससे उन्हें इसे बेचने में भी कोई दिक्कत नहीं होती है.
कौशांबी जिले में तराई इलाकों में करेले की खेती किसान खूब कर रहे हैं. इस बार शासन से उन्हें मात्र 2.5 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला हुआ है, जो भी अनुसूचित जाति के किसान करेले की खेती कर रहे हैं, उन्हें ही अनुदान दिया जा रहा है. इसके लिए प्रति हेक्टेयर ₹37,500 अनुदान का प्रावधान है. कौशांबी जिले की करेले की डिमांड दिल्ली, कानपुर और इलाहाबाद में खूब है.
-सुरेंद्र राम भास्कर, जिला उद्यान अधिकारी