कासगंज : जिले में एक ऐसा प्रमुख केंद्र है जो महाभारत काल का प्रतीक है. यहां की ऐतिहासिक नगरी पटियाली में गुरु द्रोणाचार्य का टीला है, जहां पर गुरु द्रोणाचार्य अपने टीले पर द्वापर युग में भगवान परशुराम से धनुष दान में प्राप्त कर शस्त्राभ्यास किया करते थे.
ऐसा माना जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने राजा द्रुपद से कुछ गायें मांगी, जिस पर राजा द्रुपद ने उनसे कहा कि एक राजा और एक निर्धन में कोई मित्रता नहीं होती और गाय देने से मना कर दिया. अपमानित होकर द्रोणाचार्य लौट आए और पटियाली के इसी टीले पर अपना निवास बनाकर रहने लगे.
गुरु द्रोणाचार्य ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए राजा द्रुपद को परास्त कर अपने पुत्र अस्वत्थामा को पांचाल राज्य का राजा बना कर पटियाली को राजधानी घोषित किया था.
श्रद्धालुओं ने बताया कि यहीं पर गुरु द्रोणाचार्य ने कुछ समय तक पांडवों और कौरवों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्रदान की और गुरु दक्षिणा में राजा द्रुपद का राज्य मांगा था.
राजा द्रुपद और गुरु द्रोणाचार्य दोनों ही बाल सखा थे. गुरु द्रोणाचार्य के गाय मांगने पर राजा द्रुपद ने मना कर दिया था. तभी अपमान का बदला लेने के लिए राजा द्रुपद को परास्त कर अपने पुत्र अस्वत्थामा को पांचाल राज्य का राजा बना कर पटियाली को राजधानी घोषित किया था.
-श्रद्धालु
गुरु द्रोणाचार्य का टीला है यहां पर, जहां वह द्वापर युग में भगवान परशुराम से प्राप्त किए हुए धनुष से शस्त्राभ्यास किया करते थे.
-श्रद्धालु
गुरु द्रोणाचार्य जी ने पांडवों और कौरवों को शस्त्र विद्या सिखाने के साथ-साथ कुछ दिन यहां पर तपस्या भी की थी.
-सेवादार, गुरु टीला