कासगंज: तहसील में आई जमीनी संबंधी शिकायतों का निस्तारण करने के लिए प्रतिदिन लेखपाल अपने निजी वाहनों से क्षेत्रों में जाते हैं. लेखपाल वाहन भत्ता बढ़ाये जाने को लेकर धरने पर बैठे हैं. लेखपालों का कहना है कि उनका वाहन भत्ता बढ़ाया जाए. कासगंज में लेखपालों ने मंगलवार को अपना दर्द ईटीवी भारत के सामने बयां किया.
100 रुपये मासिक भत्ता देती है सरकार
लेखपाल संघ के अध्यक्ष नरेंद्र प्रताप यादव ने बताया कि 100 रुपये मासिक वाहन भत्ता सरकार देती है. प्रतिदिन के हिसाब से अगर हम जोड़ें तो 3.33 रुपये बनता है. उसके बाद सरकार के द्वारा इतने काम हमें दे दिए गए हैं कि बिना निजी वाहन के प्रयोग किए क्षेत्र में जाना मुश्किल है. कभी-कभी तो 100 रुपये के पेट्रोल तो एक बार में ही खर्च हो जाते हैं.
250 रुपये प्रतिदिन वाहन भत्ता दे सरकार
महिला लेखपाल शिवांजली ने बताया कि समस्याओं के निस्तारण के लिए अपने वाहन से क्षेत्र में जाने पर हमारा महीने में पांच से छह हजार तक खर्च आता है. महिला लेखपाल ने कहा कि अगर साइकिल पर भी चलें तो टायर में पांच रुपये की हवा पड़ती है. आखिर सरकार किस लिहाज से 100 रुपये प्रति माह वाहन भत्ता दे रही है. सरकार को स्वयं आकलन कर प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 250 रुपये वाहन भत्ता तो देना ही चाहिए.
काम के अनुसार दी जाए सुविधा
लेखपाल जगदीश माथुर कहते हैं कि वह निजी जेब खर्चे से अपना वाहन भत्ता वहन करते हैं. अपने बच्चों का पेट काट कर इधर खर्चा करते हैं. हम लोग बहुत परेशान रहते हैं. जब हम काम समय पर पूरा करके नहीं दे पाते हैं तो हम पर कार्रवाई होती है, जिससे हम निलंबित होते हैं. हम अपनी नौकरी को हमेशा खतरे में डालते हैं. हमारी मांग है कि जिस तरीके से हमसे काम लिया जाए, उसकी सुविधा हमें दी जाए. काम करने के लिए हम लोगों को मोटरसाइकिल के लिए पेट्रोल का पैसा दिया जाए.