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कासगंज: लेखपालों ने ईटीवी भारत से बातचीत में बयां किया अपना दर्द

उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में वाहन भत्ता बढ़ाये जाने को लेकर धरने पर बैठे लेखपालों ने ईटीवी भारत से बातचीत की. लेखपालों का कहना है कि सरकार उनके वाहन भत्ते को बढ़ाकर 250 रुपये प्रतिदिन करे.

लेखपाल.
धरने पर बैठे लेखपाल.
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Published : Nov 27, 2019, 9:49 AM IST

कासगंज: तहसील में आई जमीनी संबंधी शिकायतों का निस्तारण करने के लिए प्रतिदिन लेखपाल अपने निजी वाहनों से क्षेत्रों में जाते हैं. लेखपाल वाहन भत्ता बढ़ाये जाने को लेकर धरने पर बैठे हैं. लेखपालों का कहना है कि उनका वाहन भत्ता बढ़ाया जाए. कासगंज में लेखपालों ने मंगलवार को अपना दर्द ईटीवी भारत के सामने बयां किया.

जानकारी देते लेखपाल.

100 रुपये मासिक भत्ता देती है सरकार
लेखपाल संघ के अध्यक्ष नरेंद्र प्रताप यादव ने बताया कि 100 रुपये मासिक वाहन भत्ता सरकार देती है. प्रतिदिन के हिसाब से अगर हम जोड़ें तो 3.33 रुपये बनता है. उसके बाद सरकार के द्वारा इतने काम हमें दे दिए गए हैं कि बिना निजी वाहन के प्रयोग किए क्षेत्र में जाना मुश्किल है. कभी-कभी तो 100 रुपये के पेट्रोल तो एक बार में ही खर्च हो जाते हैं.

250 रुपये प्रतिदिन वाहन भत्ता दे सरकार
महिला लेखपाल शिवांजली ने बताया कि समस्याओं के निस्तारण के लिए अपने वाहन से क्षेत्र में जाने पर हमारा महीने में पांच से छह हजार तक खर्च आता है. महिला लेखपाल ने कहा कि अगर साइकिल पर भी चलें तो टायर में पांच रुपये की हवा पड़ती है. आखिर सरकार किस लिहाज से 100 रुपये प्रति माह वाहन भत्ता दे रही है. सरकार को स्वयं आकलन कर प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 250 रुपये वाहन भत्ता तो देना ही चाहिए.

काम के अनुसार दी जाए सुविधा
लेखपाल जगदीश माथुर कहते हैं कि वह निजी जेब खर्चे से अपना वाहन भत्ता वहन करते हैं. अपने बच्चों का पेट काट कर इधर खर्चा करते हैं. हम लोग बहुत परेशान रहते हैं. जब हम काम समय पर पूरा करके नहीं दे पाते हैं तो हम पर कार्रवाई होती है, जिससे हम निलंबित होते हैं. हम अपनी नौकरी को हमेशा खतरे में डालते हैं. हमारी मांग है कि जिस तरीके से हमसे काम लिया जाए, उसकी सुविधा हमें दी जाए. काम करने के लिए हम लोगों को मोटरसाइकिल के लिए पेट्रोल का पैसा दिया जाए.

कासगंज: तहसील में आई जमीनी संबंधी शिकायतों का निस्तारण करने के लिए प्रतिदिन लेखपाल अपने निजी वाहनों से क्षेत्रों में जाते हैं. लेखपाल वाहन भत्ता बढ़ाये जाने को लेकर धरने पर बैठे हैं. लेखपालों का कहना है कि उनका वाहन भत्ता बढ़ाया जाए. कासगंज में लेखपालों ने मंगलवार को अपना दर्द ईटीवी भारत के सामने बयां किया.

जानकारी देते लेखपाल.

100 रुपये मासिक भत्ता देती है सरकार
लेखपाल संघ के अध्यक्ष नरेंद्र प्रताप यादव ने बताया कि 100 रुपये मासिक वाहन भत्ता सरकार देती है. प्रतिदिन के हिसाब से अगर हम जोड़ें तो 3.33 रुपये बनता है. उसके बाद सरकार के द्वारा इतने काम हमें दे दिए गए हैं कि बिना निजी वाहन के प्रयोग किए क्षेत्र में जाना मुश्किल है. कभी-कभी तो 100 रुपये के पेट्रोल तो एक बार में ही खर्च हो जाते हैं.

250 रुपये प्रतिदिन वाहन भत्ता दे सरकार
महिला लेखपाल शिवांजली ने बताया कि समस्याओं के निस्तारण के लिए अपने वाहन से क्षेत्र में जाने पर हमारा महीने में पांच से छह हजार तक खर्च आता है. महिला लेखपाल ने कहा कि अगर साइकिल पर भी चलें तो टायर में पांच रुपये की हवा पड़ती है. आखिर सरकार किस लिहाज से 100 रुपये प्रति माह वाहन भत्ता दे रही है. सरकार को स्वयं आकलन कर प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 250 रुपये वाहन भत्ता तो देना ही चाहिए.

काम के अनुसार दी जाए सुविधा
लेखपाल जगदीश माथुर कहते हैं कि वह निजी जेब खर्चे से अपना वाहन भत्ता वहन करते हैं. अपने बच्चों का पेट काट कर इधर खर्चा करते हैं. हम लोग बहुत परेशान रहते हैं. जब हम काम समय पर पूरा करके नहीं दे पाते हैं तो हम पर कार्रवाई होती है, जिससे हम निलंबित होते हैं. हम अपनी नौकरी को हमेशा खतरे में डालते हैं. हमारी मांग है कि जिस तरीके से हमसे काम लिया जाए, उसकी सुविधा हमें दी जाए. काम करने के लिए हम लोगों को मोटरसाइकिल के लिए पेट्रोल का पैसा दिया जाए.

Intro:EXCLUSIVE

तहसील में आई जमीनी संबंधी शिकायतों का निस्तारण करने के लिए प्रतिदिन जो लेखपाल अपने निजी वाहनों से क्षेत्रों में जाते हैं आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि उनका मासिक वाहन भत्ता मात्र ₹100 है। इन्हीं रूपयों में उन्हें पूरा महीना चलाना होता है। सरकार ने किस नजरिए से लेखपालों का महीने का वाहन भत्ता ₹100 रखा है।यह समझ से परे है।


Body:EXCLUSIVE

वीओ-1- कासगंज में लेखपालों ने आज अपना दर्द ईटीवी भारत के सामने बयान किया। लेखपाल संघ के अध्यक्ष नरेंद्र प्रताप यादव ने बताया कि ₹100 मासिक वाहन भत्ता सरकार में देती है प्रतिदिन के हिसाब से अगर हम जोड़ें तो ₹3:33 पैसा बनता है। उसके बाद सरकार के द्वारा इतने काम हमें दे दिए गए हैं कि बिना निजी वाहन के प्रयोग किए क्षेत्र में जाना मुश्किल है। कभी कभी तो ₹100 की पेट्रोल तो एक बार में ही खर्च हो जाती है।

वहीं एक महिला लेखपाल शिवांजली ने बताया समस्याओं के निस्तारण के लिए अपने वाहन से क्षेत्र में जाने पर हमारा महीने में 5 से 6 हज़ार तक खर्च आता है। सरकार हमसे 4G की स्पीड में तो काम ले रही है लेकिन 1GB का भी भत्ता नहीं दे रही है। मेला लेखपाल ने कहा अगर साइकिल पर भी चलें तो ₹5 की तो हवा पड़ती है टायर में। आखिर सरकार किस लिहाज से ₹100 प्रति माह वाहन भत्ता दे रही है। सरकार को स्वयं आकलन कर प्रतिदिन के हिसाब से लगभग ढाई सौ रुपए वाहन भत्ता तो देना ही चाहिए।

वीओ-2- वहीं लेखपाल जगबीर यादव ने कहा किशोर का वेतन भत्ता उस समय दिया जाता था जब जमीदारी प्रथा चल रही थी। उसमें लेखपाल अपने गांव में या अपने पड़ोस के गांव में ही तैनात रहते थे और साइकिल से काम करते थे उस समय लेखपालों के पास घोड़ियां भी होती थी। अब लेखपालों का कार्यक्षेत्र कई किलोमीटर में होता है। हमें कई कई बार एक ही काम के लिए क्षेत्र में जाना पड़ता है।आज के परिवेश में बिना मोटरसाइकिल के लेखपाल क्षेत्र में काम नहीं कर सकता है।

एक और लेखपाल जगदीश माथुर कहते हैं कि वह निजी जेब खर्चे से वह अपना वाहन भत्ता वहन करते हैं।अपने बच्चों का पेट काट कर इधर खर्चा करते हैं। हम लोग बहुत परेशान रहते हैं। जब हम काम समय पर पूरा करके नहीं दे पाते हैं तो हम पर कार्यवाही होती है। जिससे हम निलंबित होते हैं अपनी नौकरी को हमेशा खतरे में डालते हैं। हमारी मांग है कि जिस तरीके से हम से काम लिया जाए उसकी सुविधा हमें दी जाए। काम करने के लिए हम लोगों को मोटरसाइकिल के लिए पेट्रोल का पैसा दिया जाय।


बाईट-1-नरेंद्र प्रताप यादव-अध्यक्ष लेखपाल संघ
बाईट-2- शिवांजलि - महिला लेखपाल
बाईट-3-जगवीर यादव -लेखपाल
बाईट-4-जगदीश माथुर

पीटीसी- प्रशांत शर्मा


Conclusion:
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