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कानपुर: रेलवे के निजीकरण के विरोध में रेल कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

रेलवे के निजीकरण को लेकर रेल कर्मियों ने कानपुर में विरोध प्रदर्शन किया. रेल कर्मियों ने रेलवे को चेतावनी देते हुए का कि अगर निजीकरण बंद नहीं किया गया तो वो हड़ताल करेंगे.

railway employees protest
रेलवे के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते रेल कर्मचारी
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Published : Aug 9, 2020, 7:13 PM IST

कानपुर: रेलवे के निजीकरण को लेकर रेल कर्मी पिछले काफी समय से विरोध कर रहे हैं. इसको लेकर कई बार उन्होंने धरना प्रदर्शन किया और सरकार को अल्टीमेटम भी दिया. इसके बावजूद रेल मंत्रालय ने निजीकरण का काम जारी रखा. रविवार को निजीकरण के खिलाफ कानपुर में रेलकर्मियों ने नार्थ सेंट्रल रेलवे कर्मचारी संघ के महामंत्री आरपी सिंह के निर्देश पर रेल बचाओ, देश बचाओ के तहत पुराने रेलवे स्टेशन पर विरोध दर्ज करते हुए प्रदर्शन किया.

प्रयागराज मंडल अध्यक्ष मान सिंह का कहना है कि कर्मचारी हित में यथाशीघ्र बहाल करने की मांग की, जिसमें उन्होंने कहा कि डीए रोकने का आदेश रद्द किया जाए, पदों को सरेंडर करने और यात्री गाड़ियों का निजीकरण बंद करना चाहिए, एनपीएस रद्द होना चाहिए. उनका कहना है कि अगर रेलवे को प्राइवेट हाथों में दिया गया तो आगे की रूपरेखा तैयार करते हुए हम लोग अपना विरोध दर्ज करेंगे.

रेल कर्मचारियों की मांग है कि इस को रेलवे को प्राइवेट हाथों में न सौंपकर सरकारी हाथों में ही रहने दिया जाए. उन्हें डर है कि रेलवे के प्राइवेटाइजेशन के बाद सारे काम प्राइवेट हाथों में हो जाएंगे और उन लोगों के सामने काम की समस्या उत्पन्न हो जाएगी.

कानपुर: रेलवे के निजीकरण को लेकर रेल कर्मी पिछले काफी समय से विरोध कर रहे हैं. इसको लेकर कई बार उन्होंने धरना प्रदर्शन किया और सरकार को अल्टीमेटम भी दिया. इसके बावजूद रेल मंत्रालय ने निजीकरण का काम जारी रखा. रविवार को निजीकरण के खिलाफ कानपुर में रेलकर्मियों ने नार्थ सेंट्रल रेलवे कर्मचारी संघ के महामंत्री आरपी सिंह के निर्देश पर रेल बचाओ, देश बचाओ के तहत पुराने रेलवे स्टेशन पर विरोध दर्ज करते हुए प्रदर्शन किया.

प्रयागराज मंडल अध्यक्ष मान सिंह का कहना है कि कर्मचारी हित में यथाशीघ्र बहाल करने की मांग की, जिसमें उन्होंने कहा कि डीए रोकने का आदेश रद्द किया जाए, पदों को सरेंडर करने और यात्री गाड़ियों का निजीकरण बंद करना चाहिए, एनपीएस रद्द होना चाहिए. उनका कहना है कि अगर रेलवे को प्राइवेट हाथों में दिया गया तो आगे की रूपरेखा तैयार करते हुए हम लोग अपना विरोध दर्ज करेंगे.

रेल कर्मचारियों की मांग है कि इस को रेलवे को प्राइवेट हाथों में न सौंपकर सरकारी हाथों में ही रहने दिया जाए. उन्हें डर है कि रेलवे के प्राइवेटाइजेशन के बाद सारे काम प्राइवेट हाथों में हो जाएंगे और उन लोगों के सामने काम की समस्या उत्पन्न हो जाएगी.

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