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जया किशोरी बोलीं- मैं शादी जरूर करूंगी, क्योंकि मैं संत या साध्वी नहीं बल्कि एक नॉर्मल लड़की हूं

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 28, 2023, 10:12 PM IST

चर्चित कथावाचक, मोटिवेशनल स्पीकर व स्पिरिचुअल गुरू जया किशोरी अपने प्रवचनों को लेकर प्रसिद्ध हैं. जया किशोरी आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. इन्हीं सब मुद्दों के लेकर ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवादाता समीर दीक्षित ने जया किशोरी से खास बातचीत की. आप भी देखें बातचीत के प्रमुख अंश...

मैं भगवान
मैं भगवान
कथावाचक जया किशोरी से खास बातचीत.

कानपुर: किसी अन्य तरह के चमत्कार पर विश्वास न करके मैं केवल भगवान के चमत्कार पर विश्वास करती हूं. अगर कोई ऐसा कह रहा है, तो मैं यह भी नहीं कहूंगी कि वह सही कर रहा या गलत. लेकिन मेरा अपना मानना है कि आप जो काम करें, वह हमेशा सही करें. एक चौपाई है- "अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता" अभी मैंने किसी तरह की सिद्धि को लेकर पढ़ाई भी नहीं की है. अब चमत्कार, कैसे करते हैं, उसके लिए क्या करना होता है? यह सीखना होगा. सोमवार को चर्चित कथावाचक, मोटिवेशनल स्पीकर व स्पिरिचुअल गुरु के नाम से मशहूर जया किशोरी ने यह बातें ईटीवी भारत संवाददाता से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान कही.


जीवन में सफल होने के लिए जरूरी है फिजिकल विन: कानपुर शहर के जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में चर्चित कथावाचक जया किशोरी पहुंची थी. स्कूल के चेयरमैन चंदन अग्रवाल के नेतृत्व में स्टॉफ द्वारा उनका जोरदार स्वागत किया गया. जया किशोरी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में सफल होना है तो सबसे जरूरी है फिजिकल विन, फिर मेंटली विन और उसके बाद स्पिरिचुअल विन. उन्होंने कहा कि कभी किसी दूसरे की बात पर विश्वास न कर अपने दिल और दिमाग से फैसला करना चाहिए. लोगों को खुद पर शोध करना जरूरी है. अभी पढ़ाई की उम्र है, इसलिए खूब पढ़िए. फिर जब करियर चुनने का समय आएगा तो अपने दिल की सुनें और विकल्प चुनें. उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यह उनका भाग्य था कि उन्हें आध्यात्म के क्षेत्र में पहचान मिली. जबकि उनके माता-पिता का उन पर कोई दबाव नहीं रहा है. 11-12 साल की उम्र में ही उन्होंने पहली बार कथा पढ़ी थी. उनकी छोटी बहन भी उनकी ही तरह आध्यात्मिक है. उन्होंने कहा कि किसी इंसान को मोक्ष की प्राप्ति कैसे मिल सकती है, यह तो कभी नहीं सोचा है. लेकिन हमेशा ऐसा काम करना चाहिए कि सब खुश रहें.

चर्चित कथावाचक जया किशोरी करेंगी शादीः ईटीवी संवाददाता द्वारा शादी करने के सवाल पर उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हां वह शादी जरूर करेंगी. लेकिन यह उनका अपना निजी फैसला है. उन्होंने कहा कि जैसे स्कूल के बच्चों के अभिभावक उनका निर्णय लेते हैं. ठीक वैसे ही उनके अभिभावक निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि वह कोई साधु, संत या साध्वी नहीं हैं. वह एक नार्मल लड़की हैं. इसलिए शादी जरूर करेंगी.


आध्यात्म से जुड़ें युवा: कथावाचक जया किशोरी से जब सवाल किया गया कि मौजूदा दौर में युवा अपने लक्ष्यों को लेकर भ्रमित हैं ? वह गलत रास्तों पर जा रहे हैं ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि युवा आध्यात्म से जुड़ जाएं तो सारे भ्रम दूर हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब नींव आध्यात्म की होगी तो इमारत चाहे डॉक्टर की हो या फिर किसी अन्य पद की. युवाओं को किसी तरह की समस्या नहीं होगी.

मंदिरों में प्रबंधन बेहतर करें: मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी से यह पूछा गया कि मंदिरों में लगातार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है? इसे किस नजरिए से देखती हैं ? उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि इसके लिए सरकार को और अधिक जिम्मेदार बनना होगा. मंदिरों में भीड़ से किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए वहां के प्रबंधन को बेहतर करना होगा. वहीं, लोगों को खुद यह समझना होगा कि आखिर वह कब मंदिर जाएं और कब न जांए.

यह भी पढे़ं- Chandrayaan-3 के लैंडिंग प्वाइंट के "शिवशक्ति" नामकरण पर राजनीति शुरू, केंद्रीय और बिहार के मंत्री ने ये कहा

यह भी पढे़ं- ज्ञानवापी में श्रृंगार गौरी और आदिविशेश्वर के जलाभिषेक को लेकर शिव सैनिकों का हंगामा, 24 हिरासत में

कथावाचक जया किशोरी से खास बातचीत.

कानपुर: किसी अन्य तरह के चमत्कार पर विश्वास न करके मैं केवल भगवान के चमत्कार पर विश्वास करती हूं. अगर कोई ऐसा कह रहा है, तो मैं यह भी नहीं कहूंगी कि वह सही कर रहा या गलत. लेकिन मेरा अपना मानना है कि आप जो काम करें, वह हमेशा सही करें. एक चौपाई है- "अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता" अभी मैंने किसी तरह की सिद्धि को लेकर पढ़ाई भी नहीं की है. अब चमत्कार, कैसे करते हैं, उसके लिए क्या करना होता है? यह सीखना होगा. सोमवार को चर्चित कथावाचक, मोटिवेशनल स्पीकर व स्पिरिचुअल गुरु के नाम से मशहूर जया किशोरी ने यह बातें ईटीवी भारत संवाददाता से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान कही.


जीवन में सफल होने के लिए जरूरी है फिजिकल विन: कानपुर शहर के जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में चर्चित कथावाचक जया किशोरी पहुंची थी. स्कूल के चेयरमैन चंदन अग्रवाल के नेतृत्व में स्टॉफ द्वारा उनका जोरदार स्वागत किया गया. जया किशोरी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में सफल होना है तो सबसे जरूरी है फिजिकल विन, फिर मेंटली विन और उसके बाद स्पिरिचुअल विन. उन्होंने कहा कि कभी किसी दूसरे की बात पर विश्वास न कर अपने दिल और दिमाग से फैसला करना चाहिए. लोगों को खुद पर शोध करना जरूरी है. अभी पढ़ाई की उम्र है, इसलिए खूब पढ़िए. फिर जब करियर चुनने का समय आएगा तो अपने दिल की सुनें और विकल्प चुनें. उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यह उनका भाग्य था कि उन्हें आध्यात्म के क्षेत्र में पहचान मिली. जबकि उनके माता-पिता का उन पर कोई दबाव नहीं रहा है. 11-12 साल की उम्र में ही उन्होंने पहली बार कथा पढ़ी थी. उनकी छोटी बहन भी उनकी ही तरह आध्यात्मिक है. उन्होंने कहा कि किसी इंसान को मोक्ष की प्राप्ति कैसे मिल सकती है, यह तो कभी नहीं सोचा है. लेकिन हमेशा ऐसा काम करना चाहिए कि सब खुश रहें.

चर्चित कथावाचक जया किशोरी करेंगी शादीः ईटीवी संवाददाता द्वारा शादी करने के सवाल पर उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हां वह शादी जरूर करेंगी. लेकिन यह उनका अपना निजी फैसला है. उन्होंने कहा कि जैसे स्कूल के बच्चों के अभिभावक उनका निर्णय लेते हैं. ठीक वैसे ही उनके अभिभावक निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि वह कोई साधु, संत या साध्वी नहीं हैं. वह एक नार्मल लड़की हैं. इसलिए शादी जरूर करेंगी.


आध्यात्म से जुड़ें युवा: कथावाचक जया किशोरी से जब सवाल किया गया कि मौजूदा दौर में युवा अपने लक्ष्यों को लेकर भ्रमित हैं ? वह गलत रास्तों पर जा रहे हैं ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि युवा आध्यात्म से जुड़ जाएं तो सारे भ्रम दूर हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब नींव आध्यात्म की होगी तो इमारत चाहे डॉक्टर की हो या फिर किसी अन्य पद की. युवाओं को किसी तरह की समस्या नहीं होगी.

मंदिरों में प्रबंधन बेहतर करें: मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी से यह पूछा गया कि मंदिरों में लगातार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है? इसे किस नजरिए से देखती हैं ? उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि इसके लिए सरकार को और अधिक जिम्मेदार बनना होगा. मंदिरों में भीड़ से किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए वहां के प्रबंधन को बेहतर करना होगा. वहीं, लोगों को खुद यह समझना होगा कि आखिर वह कब मंदिर जाएं और कब न जांए.

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