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iit kanpur: फाइटर प्लेन और मिसाइलों को नहीं पकड़ पाएंगे कोई भी रडार, ये खास कोटिंग बनेगी रक्षा कवच

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Published : Feb 4, 2023, 7:46 PM IST

आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी ने एक खास तरह का ऐसा मैटेरियल तैयार किया है जिसकी मदद से फाइटर प्लेन और मिसाइलें सुरक्षित रहेंगे. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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पी एच डी कर बनाया ऐसा मैटीरियल, सुरक्षित रहेंगे देश के एयरक्राफ्ट व मिसाइल

कानपुर: देश की सुरक्षा में कारगर रोज नए-नए शोध सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक शोध सामने आया है आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी और उसके संचालक गोरखपुर निवासी विशाल कुमार चक्रधारी का. उन्होंने एक ऐसा खास कोटिंग मैटेरियल तैयार किया है जो देश की रक्षा में अहम भूमिका निभा सकता है. दरअसल, इस मैटेरियल की मदद से मिसाइल, एयरक्राफ्ट, टैंक, ड्रोन समेत अन्य वाहन व उपकरण किसी भी रडार से सुरक्षित रहेंगे. विशाल का दावा है कि कोई भी रडार इन्हें नहीं पकड़ सकेगा.

विशाल का कहना है कि वैसे इस तरह का मैटीरियल डीआरडीओ तैयार करता है, लेकिन प्राइवेट फर्म के नजरिए से देश में विशाल की उक्त कंपनी ने इस मैटीरियल को बनाया है. इसका प्रस्ताव आईडेक्स को भेजा जा चुका है. साथ ही रक्षा मंत्रालय से जुड़े विभागों से विशाल लगातार संपर्क में हैं.

विशाल का कहना है कि उन्होंने इस मैटेरियल को लेकर आठ साल तक लगातार शोध किया है. उन्होंने इस मैटेरियल को स्टेल्थ का बनाया है. काफी शोध के बाद इसमें सफलता मिली. उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर से पहले मास्टर्स व पीएचडी की पढ़ाई पूरी की थी.

पेंट की तरह लगाई जाएगी कोटिंग
विशाल के मुताबिक इस कोटिंग को पेंट की तरह मिसाइल, टैंक या फाइटर प्लेन पर लगाया जाएगा. इसके बाद ये रक्षा उत्पाद पूरी तरह से रडार से सुरक्षित हो जाएंगे. इन्हें कोई भी रडार नहीं पकड़ सकेगा.

अब रेडिएशन से बचाव पर शोध में जुटे
विशाल बताते हैं कि सालों की कड़ी मेहनत से जहां स्टेल्थ मैटीरियल बना लिया है, वहीं, अब पिछले कुछ माह से ईएमआई शील्डिंग मैटीरियल बना रहे हैं. इस मैटीरियल का उपयोग करने के बाद किसी भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस को हम रेडिएशन से बचा सकेंगे. यह काफी अहम शोध है.

उन्होंने बताया, कि मुख्य रूप से इस मैटीरियल का उपयोग डिफेंस व एयरोस्पेस के क्षेत्र में हो सकेगा. वहां जो उपकरण उपयोग में लाए जाते हैं, वह बेहद संवेदनशील होते हैं. ऐसे में हम ईएमआई शील्डिंग मैटीरियल से उपकरणों को पूरी तरह सुरक्षित कर सकेंगे. अभी जर्मनी, चीन, अमेरिका से इस तरह के मैटीरियल मंगाकर देश में उनका उपयोग किया जाता है. वहीं, इस पूरी कवायद के लिए एनटीटी डाटा कंपनी की ओर से उन्हें सीएसआर फंड के रूप में पांच लाख रुपये की राशि भी मिली है.

ये भी पढ़ेंः mainpuri news:डिंपल यादव को वोट देने की इस गांव को मिली ये सजा, ग्रामीणों ने लगाए ये आरोप

कानपुर: देश की सुरक्षा में कारगर रोज नए-नए शोध सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक शोध सामने आया है आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी और उसके संचालक गोरखपुर निवासी विशाल कुमार चक्रधारी का. उन्होंने एक ऐसा खास कोटिंग मैटेरियल तैयार किया है जो देश की रक्षा में अहम भूमिका निभा सकता है. दरअसल, इस मैटेरियल की मदद से मिसाइल, एयरक्राफ्ट, टैंक, ड्रोन समेत अन्य वाहन व उपकरण किसी भी रडार से सुरक्षित रहेंगे. विशाल का दावा है कि कोई भी रडार इन्हें नहीं पकड़ सकेगा.

विशाल का कहना है कि वैसे इस तरह का मैटीरियल डीआरडीओ तैयार करता है, लेकिन प्राइवेट फर्म के नजरिए से देश में विशाल की उक्त कंपनी ने इस मैटीरियल को बनाया है. इसका प्रस्ताव आईडेक्स को भेजा जा चुका है. साथ ही रक्षा मंत्रालय से जुड़े विभागों से विशाल लगातार संपर्क में हैं.

विशाल का कहना है कि उन्होंने इस मैटेरियल को लेकर आठ साल तक लगातार शोध किया है. उन्होंने इस मैटेरियल को स्टेल्थ का बनाया है. काफी शोध के बाद इसमें सफलता मिली. उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर से पहले मास्टर्स व पीएचडी की पढ़ाई पूरी की थी.

पेंट की तरह लगाई जाएगी कोटिंग
विशाल के मुताबिक इस कोटिंग को पेंट की तरह मिसाइल, टैंक या फाइटर प्लेन पर लगाया जाएगा. इसके बाद ये रक्षा उत्पाद पूरी तरह से रडार से सुरक्षित हो जाएंगे. इन्हें कोई भी रडार नहीं पकड़ सकेगा.

अब रेडिएशन से बचाव पर शोध में जुटे
विशाल बताते हैं कि सालों की कड़ी मेहनत से जहां स्टेल्थ मैटीरियल बना लिया है, वहीं, अब पिछले कुछ माह से ईएमआई शील्डिंग मैटीरियल बना रहे हैं. इस मैटीरियल का उपयोग करने के बाद किसी भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस को हम रेडिएशन से बचा सकेंगे. यह काफी अहम शोध है.

उन्होंने बताया, कि मुख्य रूप से इस मैटीरियल का उपयोग डिफेंस व एयरोस्पेस के क्षेत्र में हो सकेगा. वहां जो उपकरण उपयोग में लाए जाते हैं, वह बेहद संवेदनशील होते हैं. ऐसे में हम ईएमआई शील्डिंग मैटीरियल से उपकरणों को पूरी तरह सुरक्षित कर सकेंगे. अभी जर्मनी, चीन, अमेरिका से इस तरह के मैटीरियल मंगाकर देश में उनका उपयोग किया जाता है. वहीं, इस पूरी कवायद के लिए एनटीटी डाटा कंपनी की ओर से उन्हें सीएसआर फंड के रूप में पांच लाख रुपये की राशि भी मिली है.

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