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लाइलाज बीमारी से निजात को अनजान बाबा के इस पेड़ के दर्शन के लिए पहुंच रहे भक्त...ये है मान्यता - कानपुर न्यूज

कानपुर के घाटमपुर में इन दिनों अनजान बाबा का एक पेड़ आस्था का केंद्र बना हुआ है. मान्यता है कि इस पेड़ के स्पर्श से कई लाइलाज बीमारियां दूर हो जातीं हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग इस पेड़ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

घाटमपुर में इन दिनों अनजान बाबा का एक पेड़ आस्था का केंद्र बना हुआ है.
घाटमपुर में इन दिनों अनजान बाबा का एक पेड़ आस्था का केंद्र बना हुआ है.
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Published : Nov 15, 2021, 5:12 PM IST

Updated : Nov 15, 2021, 10:37 PM IST

कानपुरः साढ़ थाना क्षेत्र के दौलतपुर और गोपालपुर गांव के बीच खेतों में एक पेड़ आस्था का केंद्र बना हुआ है. इसे लोग अनजान बाबा के पेड़ के नाम से पुकारते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के मुताबिक मान्यता है कि इस पेड़ के स्पर्श से कई लाइलाज बीमारियां ठीक हो रहीं हैं. यह भी कहा जा रहा है कि इस पेड़ के पत्तों के दूध से चर्म रोग, सफेद दाग जैसे गंभीर रोगों में भी राहत मिल रही है. हालांकि ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.

ग्रामीणों के मुताबिक रात 12 बजे से सूर्योदय तक पेड़ से काफी दूध निकलता है. इसे लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां रात में जुटते हैं. मान्यता है कि इस दूध से चर्म रोग, सफेद दाग जैसे गंभीर रोग ठीक हो जाते हैं. यहां आसपास के ग्रामीण भी यहां पूजा-अर्चन करने नियमित आने लगे हैं. रोज यहां बड़ी संख्या में लोग इस पेड़ के दर्शन करने और पेड़ का दूध लेने पहुंच रहे हैं.

घाटमपुर में इन दिनों अनजान बाबा का एक पेड़ आस्था का केंद्र बना हुआ है.



गोपालपुर गांव के सुरजन शुक्ला ने बताया कि कुछ दिनों पहले रावतपुर गांव से दो दिव्यांग लड़कियां यहां आई थीं. उन्होंने पेड़ पर झंडा लगाया था. लड़कियों से जब इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि उनके सपने में दिव्य पुरुष आए थे. उन्होंने इस पेड़ के दूध और छाल को दिव्यांग अंगों पर लगाने के लिए कहा था. इस पेड़ के दूध और छाल को लगाते ही हफ्ते भर में आराम मिल गया. इसके बाद दोनों यहां झंड़ा लगाने के लिए आईं थीं. इसी के बाद से यहां आस्थावानों की भीड़ जुटने लगी. दिनों-दिन यहां भक्तों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है.

ये भी पढ़ेंः बाबा विश्वनाथ के आंगन में स्थापित हुईं मां अन्नपूर्णा, CM योगी ने की प्राण-प्रतिष्ठा

ग्रामीणों के मुताबिक कई वर्ष पूर्व यहां एक साधु आए थे. वह इस पेड़ के नीचे ही रुके थे. ग्रामीणों ने जब बाबाजी से उनका परिचय पूछा तो उन्होंने कुछ नहीं बताया था. वह इसी पेड़ के नीचे बैठकर साधना करते रहे. इसके बाद वह कहीं चले गए. रावतपुर गांव की दिव्यांग लड़कियों ने जब यहां झंडा लगाया तो ग्रामीणों को इस पेड़ के महत्व के बारे में मालूम पड़ा. इस पेड़ को अनजान बाबा का पेड़ कहा जाता है. यहां हर सप्ताह शनिवार और मंगलवार को रात 12 से सुबह पांच बजे तक भक्तों की भीड़ जुटती है. इसके अलावा दिन में भी कई लोग यहां दर्शन के लिए आ रहे हैं.

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कानपुरः साढ़ थाना क्षेत्र के दौलतपुर और गोपालपुर गांव के बीच खेतों में एक पेड़ आस्था का केंद्र बना हुआ है. इसे लोग अनजान बाबा के पेड़ के नाम से पुकारते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के मुताबिक मान्यता है कि इस पेड़ के स्पर्श से कई लाइलाज बीमारियां ठीक हो रहीं हैं. यह भी कहा जा रहा है कि इस पेड़ के पत्तों के दूध से चर्म रोग, सफेद दाग जैसे गंभीर रोगों में भी राहत मिल रही है. हालांकि ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.

ग्रामीणों के मुताबिक रात 12 बजे से सूर्योदय तक पेड़ से काफी दूध निकलता है. इसे लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां रात में जुटते हैं. मान्यता है कि इस दूध से चर्म रोग, सफेद दाग जैसे गंभीर रोग ठीक हो जाते हैं. यहां आसपास के ग्रामीण भी यहां पूजा-अर्चन करने नियमित आने लगे हैं. रोज यहां बड़ी संख्या में लोग इस पेड़ के दर्शन करने और पेड़ का दूध लेने पहुंच रहे हैं.

घाटमपुर में इन दिनों अनजान बाबा का एक पेड़ आस्था का केंद्र बना हुआ है.



गोपालपुर गांव के सुरजन शुक्ला ने बताया कि कुछ दिनों पहले रावतपुर गांव से दो दिव्यांग लड़कियां यहां आई थीं. उन्होंने पेड़ पर झंडा लगाया था. लड़कियों से जब इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि उनके सपने में दिव्य पुरुष आए थे. उन्होंने इस पेड़ के दूध और छाल को दिव्यांग अंगों पर लगाने के लिए कहा था. इस पेड़ के दूध और छाल को लगाते ही हफ्ते भर में आराम मिल गया. इसके बाद दोनों यहां झंड़ा लगाने के लिए आईं थीं. इसी के बाद से यहां आस्थावानों की भीड़ जुटने लगी. दिनों-दिन यहां भक्तों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है.

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ग्रामीणों के मुताबिक कई वर्ष पूर्व यहां एक साधु आए थे. वह इस पेड़ के नीचे ही रुके थे. ग्रामीणों ने जब बाबाजी से उनका परिचय पूछा तो उन्होंने कुछ नहीं बताया था. वह इसी पेड़ के नीचे बैठकर साधना करते रहे. इसके बाद वह कहीं चले गए. रावतपुर गांव की दिव्यांग लड़कियों ने जब यहां झंडा लगाया तो ग्रामीणों को इस पेड़ के महत्व के बारे में मालूम पड़ा. इस पेड़ को अनजान बाबा का पेड़ कहा जाता है. यहां हर सप्ताह शनिवार और मंगलवार को रात 12 से सुबह पांच बजे तक भक्तों की भीड़ जुटती है. इसके अलावा दिन में भी कई लोग यहां दर्शन के लिए आ रहे हैं.

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Last Updated : Nov 15, 2021, 10:37 PM IST
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