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कानपुर सड़क हादसा: एकसाथ उठी 3 सगे भाइयों की अर्थी - कानपुर सड़क हादसे में 17 की मौत

यूपी के कानपुर में मंगलवार रात हुए सड़क हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में एक ही परिवार के 3 सगे भाई भी शामिल हैं. तीनों भाइयों की उम्र 25 साल से कम थी.

कानपुर सड़क हादसे में 3 सगे भाइयों की मौत
कानपुर सड़क हादसे में 3 सगे भाइयों की मौत
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Published : Jun 9, 2021, 4:05 PM IST

कानपुर: महानगर में बीती रात को एक दर्दनाक हादसा हो गया, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई. इस घटना के बाद देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री ने गहरा शोक व्यक्त किया है. साथ ही मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है.

बता दें कि मजदूरों से भरी हुई एक टेंपो फैक्ट्री की तरफ जा रही थी, जिसे बस ने टक्कर मार दी. हादसे में टेंपो सवार 17 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि पांच लोग घायल हैं, जिनका इलाज हैलट अस्पताल में चल रहा है. मरने वाले सभी लोग कानपुर के ही रहने वाले हैं. सभी लोग थाना क्षेत्र सचेंडी के पास के गांव के रहने वाले हैं. इनमें से 11 लोग लालेपुर गांव के रहने वाले हैं, जिनमें से एक घर में एकसाथ 3 भाइयों की मौत हो गई है.

कानपुर सड़क हादसे में 3 सगे भाइयों की मौत

फैक्ट्री जाते समय हुआ हादसा
बता दें कि इस घटना से पूरे गांव में मातम का माहौल है. सुबह से ही किसी घर में चूल्हा नहीं जला है. हादसे में एक ही परिवार के तीन सगे भाइयों की मौत से उस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. मृतक भाइयों में से एक की शादी दिसंबर माह में होनी थी.

इसे भी पढ़ें- कानपुर सड़क हादसे में 17 की मौत, राष्ट्रपति ने व्यक्त किया शोक

मृतकों के भाई अजय ने बताया कि उसके तीनों भाई फैक्ट्री में नौकरी करते थे. तीनों मंगलवार को फैक्ट्री जा रहे थे, तभी यह दर्दनाक हादसा हुआ. उन्हें जब सूचना मिली तो वह मौके पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि जेसीबी से शव निकाले जा रहे थे, सभी की मौके पर ही मौत हो गई थी. सभी को हैलट अस्पताल ले जाया गया. तीनों भाइयों की उम्र 25 साल से कम थी.

इसे भी पढ़ें- कानपुर सड़क हादसा: मृतकों के परिजन नहीं कर रहे अंतिम संस्कार, 10 लाख मुआवजे की मांग

मृतकों के शव उनके गांव पहुंचे तो गांव में हड़कंप मच गया. इस दौरान ग्रामीणों की भीड़ इक्कठा हो गयी. परिजन और ग्रामीण 10 लाख रुपये की मांग करने लगे और मांग न पूरी होने तक अंतिम संस्कार करने से भी मना कर दिया गया. इसकी सूचना पर जिले के प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाया, लेकिन ग्रामीण नहीं माने और बवाल करने लगे. जिसके बाद जिलाधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि उनकी मांगें सरकार तक पहुंचा दी गयी हैं. जिसके बाद ग्रामीण और परिजन अंतिम संस्कार के लिए माने.

कानपुर: महानगर में बीती रात को एक दर्दनाक हादसा हो गया, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई. इस घटना के बाद देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री ने गहरा शोक व्यक्त किया है. साथ ही मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है.

बता दें कि मजदूरों से भरी हुई एक टेंपो फैक्ट्री की तरफ जा रही थी, जिसे बस ने टक्कर मार दी. हादसे में टेंपो सवार 17 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि पांच लोग घायल हैं, जिनका इलाज हैलट अस्पताल में चल रहा है. मरने वाले सभी लोग कानपुर के ही रहने वाले हैं. सभी लोग थाना क्षेत्र सचेंडी के पास के गांव के रहने वाले हैं. इनमें से 11 लोग लालेपुर गांव के रहने वाले हैं, जिनमें से एक घर में एकसाथ 3 भाइयों की मौत हो गई है.

कानपुर सड़क हादसे में 3 सगे भाइयों की मौत

फैक्ट्री जाते समय हुआ हादसा
बता दें कि इस घटना से पूरे गांव में मातम का माहौल है. सुबह से ही किसी घर में चूल्हा नहीं जला है. हादसे में एक ही परिवार के तीन सगे भाइयों की मौत से उस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. मृतक भाइयों में से एक की शादी दिसंबर माह में होनी थी.

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मृतकों के भाई अजय ने बताया कि उसके तीनों भाई फैक्ट्री में नौकरी करते थे. तीनों मंगलवार को फैक्ट्री जा रहे थे, तभी यह दर्दनाक हादसा हुआ. उन्हें जब सूचना मिली तो वह मौके पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि जेसीबी से शव निकाले जा रहे थे, सभी की मौके पर ही मौत हो गई थी. सभी को हैलट अस्पताल ले जाया गया. तीनों भाइयों की उम्र 25 साल से कम थी.

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मृतकों के शव उनके गांव पहुंचे तो गांव में हड़कंप मच गया. इस दौरान ग्रामीणों की भीड़ इक्कठा हो गयी. परिजन और ग्रामीण 10 लाख रुपये की मांग करने लगे और मांग न पूरी होने तक अंतिम संस्कार करने से भी मना कर दिया गया. इसकी सूचना पर जिले के प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाया, लेकिन ग्रामीण नहीं माने और बवाल करने लगे. जिसके बाद जिलाधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि उनकी मांगें सरकार तक पहुंचा दी गयी हैं. जिसके बाद ग्रामीण और परिजन अंतिम संस्कार के लिए माने.

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