कानपुर देहात: जनपद कानपुर देहात के जिला अस्पताल को करोड़ों रुपये की लागत से बनाया गया था. जिला अस्पताल के ठीक सामने एक ट्रामा सेंटर भी बनकर खड़ा है, जो धीरे-धीरे बदहाल होता जा रहा है. इस ट्रामा सेन्टर को सपा सरकार में बनावाया था. उस समय तत्कालीन प्रभारी मंत्री और यूपी के ग्राम्य विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप ने इसका लोकार्पण कर जनता की सेवा के लिए शुरू किया था.
नहीं बदली ट्रामा सेन्टर की स्थिति
सपा सरकार में इस ट्रामा सेन्टर का लोकार्पण तो हुआ था, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते संचालित नहीं हो सका. सूबे में सरकार बदलने के बाद अकबरपुर के सांसद देवेन्द्र सिंह भोले ने एक बार फिर इस ट्रामा सेन्टर का लोकार्पण किया था, जिसके बाद जनपदवासियों को इस ट्रामा सेन्टर के संचालित होने की आस जगी, लेकिन इस ट्रामा सेन्टर का लोकार्पण दो बार होने के बाद भी न ट्रामा सेन्टर की स्थिति बदली और न ही बदला जनपद के स्वास्थ्य सेवाओं का हाल. नतीजतन करोड़ों की लागत से बना जिला अस्पताल और ट्रामा सेन्टर बदहाली की कगार पर पहुंच गया है.
दुर्घटना में होने वाली मौत
कानपुर देहात में दो नेशनल हाइवे होने के कारण साधारण मौत की अपेक्षा सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत की संख्या अधिक है. सड़क हादसों से हो रही मौत की संख्या में कमी लाने के मकसद और जिला प्रशासन की मांग पर तत्कालीन सूबे की सपा सरकार के मुखिया अखिलेश यादव ने कानपुर देहात के जिला अस्पताल के खाली स्थान पर ट्रामा सेन्टर बनाने का फैसला लिया था. फलस्वरूप 4 वर्षों में यह ट्रामा सेन्टर बनकर तैयार भी हो गया और इसका लोकार्पण भी किया गया.
संचालित नहीं हो सका ट्रामा सेन्टर
लोकार्पण के बाद जनपदवासियों को सड़क हादसों और कानपुर देहात से कानपुर रेफर होने वाले लोगों की मौत में कमी आने की आस जगी थी. समय बीतता गया, लेकिन न तो ट्रामा सेन्टर में संसाधन उपलब्ध हुए और न ही डॉक्टर, जिसके चलते ट्रामा सेन्टर संचालित नहीं हो सका.
सरकार बदली पर हालत नहीं
2017 में सूबे में सरकार बदली और योगी आदित्यनाथ ने सूबे की कमान सभांली, जिसके बाद अकबरपुर के सांसद देवेन्द्र सिंह भोले ने यूपी दिवस के कार्यक्रम के अवसर पर इस ट्रामा सेन्टर का दोबारा लोकार्पण किया. इस दौरान कानपुर देहात के चारों विधानसभा के विधायक और जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह सहित जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद हुए थे.
दो बार हुआ अस्पताल का लोकार्पण
दो बार लोकार्पण हो जाने के बाद भी न तो ट्रामा सेन्टर में डाक्टर उपलब्ध हुए और न ही संसाधन, बल्कि ट्रामा सेन्टर की हालत बदहाल होने लगी. बिना संचालन के ट्रामा सेन्टर सफेद हाथी बनकर रह गया है. यही नहीं ट्रामा सेन्टर के बाहर हमेशा पानी भरा रहता है. किसी मरीज को कानपुर देहात से कानपुर ले जाने में दो घण्टे का समय लगता है. कभी-कभी तो मरीज एम्बुलेंस पर ही अपना दम तोड़ देता है.
मौत का सफर
कानपुर देहात के जिला अस्पताल का उद्घाटन पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा किया गया था, लेकिन आज स्थिति यह है कि आए दिन रेफर मरीजों को कानपुर देहात से कानपुर तक दो घंटे का मौत का सफर तय करना पड़ता है.
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जनपद में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं न होने के कारण मरीजों को कानपुर के लिए रेफर किया जाता है. जनपद में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं हो तो गम्भीर मरीजों की जान बच सकती है. जिला अस्पताल में आईसीयू की सेवा न होने के कारण मरीज एम्बुलेंस पर ही दम तोड़ देता है. सरकार अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराए तो मरीज की जान बच सकती है.
-चंद्रशेखर, एंबुलेंस चालक
जिला अस्पताल में उचित व्यवस्था न हो पाने के चलते गंभीर घायलों को कानपुर रिफर किया जाता हैं. कुछ संसाधन न होने के कारण रेफर कर दिया जाता है. जिला अस्पताल में आईसीयू की सेवा भी नहीं है.
-डॉ. रियाज अली मिर्जा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, कानपुर देहात