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कन्नौज: धूमधाम के साथ मनाई गई राधाष्टमी, देर रात तक चले सांस्कृतिक कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश के कन्नौज में राधाष्टमी महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. राधा के जन्मोत्सव पर मंदिर परिसर में काफी हर्षोल्लास देखने को मिला. इस अवसर पर राधा रानी की आरती में भारी संख्या में महिलाओं सहित भक्तजन शामिल हुए.

धूमधाम के साथ मनाई गयी राधाष्टमी
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Published : Sep 7, 2019, 8:35 AM IST

कन्नौज : जनपद के श्री बांके बिहारी राधा रानी मंदिर में राधा रानी का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्री राधा जी का जन्म हुआ था. राधा रानी का जन्म मथुरा के रावल गांव में हुआ था. राधाष्टमी के दिन महिलाएं घर में सुख-समृद्धि, शांति और संतान सुख के लिए व्रत भी रखती हैं.

धूमधाम के साथ मनाई गयी राधाष्टमी.

यह है मान्यता -

राधा अष्टमी का यह पर्व 6 सितंबर 2019 को हर जगह मनाया गया. हिन्दू धर्म के अनुसार अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की बाल सहचरी राधाजी का जन्म हुआ था. राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अधूरा माना जाता है. इस व्रत को रखने से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राधा जी भगवान श्रीकृष्ण से बड़ी थीं. राधाष्टमी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है.

राधाष्टमी से जुड़ी बातें -

संसार की दृष्टि में राधा की माता कीर्ति गर्भवती हुईं, लेकिन उनके गर्भ में राधा ने प्रवेश नहीं किया. कीर्ति ने अपने गर्भ में वायु को धारण कर रखा था और योगमाया के सहयोग से कीर्ति ने वायु को जन्म दिया. लेकिन वायु के जन्म के साथ ही वहां राधा कन्या रूप में प्रकट हो गईं. इसलिए यह माना जाता है कि देवी राधा अयोनिजा थीं.

इसे भी पढ़ें - 111 सालों से सुशोभित है बप्पा का आसन, 250 साल पहले अहिल्याबाई ने बनवाया था सिंहासन

कन्नौज के राधा रानी के इस मंदिर में भक्त राधा अष्‍टमी को पूरे हर्षोल्‍लास के साथ मनाते है. राधा अष्टमी को भी यहां कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की ही तरह धूमधाम से मनाया जाता है. मान्‍यता यह है कि इसी दिन राधा रानी का जन्‍म हुआ था. कहते हैं कि राधा के बिना श्रीकृष्‍ण अधूरे हैं. कृष्‍ण के नाम से पहले राधा का नाम लिया जाता है. वेद-पुराणों में राधा को 'कृष्ण वल्लभा' कहकर उनका गुणगान किया गया है. मान्‍यता है कि राधा जी के मंत्र जाप से ही मोक्ष की प्राप्‍ति हो जाती है. राधा को भगवान श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. कन्नौज के इस बांके बिहारी मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी राधा अष्टमी का पर्व पूर्रे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. जिसमे रात्रि में भक्ति गीतों पर बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम में हिस्सा लेकर सभी का मन मोह लिया.

कन्नौज : जनपद के श्री बांके बिहारी राधा रानी मंदिर में राधा रानी का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्री राधा जी का जन्म हुआ था. राधा रानी का जन्म मथुरा के रावल गांव में हुआ था. राधाष्टमी के दिन महिलाएं घर में सुख-समृद्धि, शांति और संतान सुख के लिए व्रत भी रखती हैं.

धूमधाम के साथ मनाई गयी राधाष्टमी.

यह है मान्यता -

राधा अष्टमी का यह पर्व 6 सितंबर 2019 को हर जगह मनाया गया. हिन्दू धर्म के अनुसार अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की बाल सहचरी राधाजी का जन्म हुआ था. राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अधूरा माना जाता है. इस व्रत को रखने से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राधा जी भगवान श्रीकृष्ण से बड़ी थीं. राधाष्टमी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है.

राधाष्टमी से जुड़ी बातें -

संसार की दृष्टि में राधा की माता कीर्ति गर्भवती हुईं, लेकिन उनके गर्भ में राधा ने प्रवेश नहीं किया. कीर्ति ने अपने गर्भ में वायु को धारण कर रखा था और योगमाया के सहयोग से कीर्ति ने वायु को जन्म दिया. लेकिन वायु के जन्म के साथ ही वहां राधा कन्या रूप में प्रकट हो गईं. इसलिए यह माना जाता है कि देवी राधा अयोनिजा थीं.

इसे भी पढ़ें - 111 सालों से सुशोभित है बप्पा का आसन, 250 साल पहले अहिल्याबाई ने बनवाया था सिंहासन

कन्नौज के राधा रानी के इस मंदिर में भक्त राधा अष्‍टमी को पूरे हर्षोल्‍लास के साथ मनाते है. राधा अष्टमी को भी यहां कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की ही तरह धूमधाम से मनाया जाता है. मान्‍यता यह है कि इसी दिन राधा रानी का जन्‍म हुआ था. कहते हैं कि राधा के बिना श्रीकृष्‍ण अधूरे हैं. कृष्‍ण के नाम से पहले राधा का नाम लिया जाता है. वेद-पुराणों में राधा को 'कृष्ण वल्लभा' कहकर उनका गुणगान किया गया है. मान्‍यता है कि राधा जी के मंत्र जाप से ही मोक्ष की प्राप्‍ति हो जाती है. राधा को भगवान श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. कन्नौज के इस बांके बिहारी मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी राधा अष्टमी का पर्व पूर्रे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. जिसमे रात्रि में भक्ति गीतों पर बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम में हिस्सा लेकर सभी का मन मोह लिया.

Intro:कन्नौज में धूमधाम के साथ मनाई गयी राधाष्टमी, देर रात्रि तक चले सांस्कृतिक कार्यक्रम
- बच्चो के रंगारंग कार्यक्रमों में मोहा सभी का मन
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यूपी के कन्नौज में श्री बांकेबिहारी राधा रानी मंदिर में राधाष्टमी के अवसर पर धूमधाम से राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया गया।  भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्री राधा जी का जन्म हुआ था। आज उनके जन्म के उपलक्ष्य में राधाष्टमी या प्राकट्य दिवस धूमधाम से भक्तों ने मनाया। राधा रानी का जन्म मथुरा के रावल गांव में हुआ था, उनके पिता वृषभानु जी और माता कीर्ति थीं। राधाष्टमी के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, ताकि उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो, घर में सुख-समृद्धि, शांति और संतान सुख मिले। इस अवसर पर राधा रानी की आरती में महिलाएं सहित भक्तजन भारी संख्या में शामिल हुए और जन्मोत्सव की आरती का लाभ उठाया।  आइए देखते है कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट। 

Body:राधा अष्टमी का इस साल यह पर्व 6 सितंबर 2019 को हर जगह मनाया गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की बाल सहचरी राधाजी का जन्म हुआ था। राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अधूरा माना जाता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राधा जी भगवान श्रीकृष्ण से बड़ी थीं। राधा का प्रकाट्य भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को और श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। राधाष्टमी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है।Conclusion:संसार की दृष्टि में राधा की माता कीर्ति गर्भवती हुईं लेकिन उनके गर्भ में राधा ने प्रवेश नहीं किया। कीर्ति ने अपने गर्भ में वायु को धारण कर रखा था और योगमाया के सहयोग से कीर्ति ने वायु को जन्म दिया लेकिन वायु के जन्म के साथ ही वहां राधा कन्या रूप में प्रकट हो गईं। इसलिए यह माना जाता है कि देवी राधा अयोनिजा थीं। कन्नौज के राधा रानी के इस मंदिर में भक्त राधा अष्‍टमी को पूरे हर्षोल्‍लास के साथ मनाते है। राधा अष्टमी को भी यहां कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की ही तरह धूमधाम से मनाया जाता है. मान्‍यता है कि इसी दिन राधा रानी का जन्‍म हुआ था. कहते हैं कि राधा के बिना श्रीकृष्‍ण अधूरे हैं. कृष्‍ण के नाम से पहले राधा का नाम लिया जाता है. वेद-पुराणों में राधा को 'कृष्ण वल्लभा' कहकर उनका गुणगान किया गया है. मान्‍यता है कि राधा जी के मंत्र जाप से ही मोक्ष की प्राप्‍ति हो जाती है. राधा को भगवान श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। कन्नौज के इस बांके बिहारी मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी राधा अष्टमी का पर्व पूर्रे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जिसमे रात्रि में भक्ति गीतों पर बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम में हिस्सा लेकर सभी का मनमोहा।

बाइट - प्रभाकर दीक्षित - मंदिर पुजारी - राधा रानी - मंदिर कन्नौज
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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
09415168969
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