कन्नौज : जनपद के श्री बांके बिहारी राधा रानी मंदिर में राधा रानी का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्री राधा जी का जन्म हुआ था. राधा रानी का जन्म मथुरा के रावल गांव में हुआ था. राधाष्टमी के दिन महिलाएं घर में सुख-समृद्धि, शांति और संतान सुख के लिए व्रत भी रखती हैं.
यह है मान्यता -
राधा अष्टमी का यह पर्व 6 सितंबर 2019 को हर जगह मनाया गया. हिन्दू धर्म के अनुसार अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की बाल सहचरी राधाजी का जन्म हुआ था. राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अधूरा माना जाता है. इस व्रत को रखने से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राधा जी भगवान श्रीकृष्ण से बड़ी थीं. राधाष्टमी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है.
राधाष्टमी से जुड़ी बातें -
संसार की दृष्टि में राधा की माता कीर्ति गर्भवती हुईं, लेकिन उनके गर्भ में राधा ने प्रवेश नहीं किया. कीर्ति ने अपने गर्भ में वायु को धारण कर रखा था और योगमाया के सहयोग से कीर्ति ने वायु को जन्म दिया. लेकिन वायु के जन्म के साथ ही वहां राधा कन्या रूप में प्रकट हो गईं. इसलिए यह माना जाता है कि देवी राधा अयोनिजा थीं.
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कन्नौज के राधा रानी के इस मंदिर में भक्त राधा अष्टमी को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते है. राधा अष्टमी को भी यहां कृष्ण जन्माष्टमी की ही तरह धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता यह है कि इसी दिन राधा रानी का जन्म हुआ था. कहते हैं कि राधा के बिना श्रीकृष्ण अधूरे हैं. कृष्ण के नाम से पहले राधा का नाम लिया जाता है. वेद-पुराणों में राधा को 'कृष्ण वल्लभा' कहकर उनका गुणगान किया गया है. मान्यता है कि राधा जी के मंत्र जाप से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. राधा को भगवान श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. कन्नौज के इस बांके बिहारी मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी राधा अष्टमी का पर्व पूर्रे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. जिसमे रात्रि में भक्ति गीतों पर बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम में हिस्सा लेकर सभी का मन मोह लिया.