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वाटर ऑडिट रिपोर्ट: आधे से भी कम मिल रहा पानी, कैसे चलेगी जिंदगी - झांसी में पेयजल परियोजनाएं

झांसी में पेयजल परियोजनाएं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच रहा है. वाटर ऑडिट रिपोर्ट (water audit report) में खुलासा हुआ है कि एक शख्स को जितना पानी प्रतिदिन मिलना चाहिए, उसका आधा भी नहीं मिल रहा है. इसका कारण अनियोजित विकास बताया जा रहा है.

पेयजल संकट.
पेयजल संकट.
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Published : Jun 15, 2021, 5:57 PM IST

झांसी: बुन्देलखंड में सबसे तेजी से बढ़ते शहर झांसी में पेयजल संकट खत्म करने की परियोजनाएं कारगर साबित नहीं हो पा रही हैं. शहर के सात पेयजल संकटग्रस्त मोहल्लों में 104 परिवारों से बातचीत के आधार पर वाटर ऑडिट करने के बाद तैयार रिपोर्ट (water audit report) को मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जारी किया गया. गैर सरकारी संस्था की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक व्यक्ति को 55 लीटर पानी प्रतिदिन मिलने का अधिकार है, लेकिन झांसी शहर में इससे आधा पानी भी उसे प्राप्त नहीं हो पा रहा है.


परमार्थ समाजसेवी संस्था के सचिव डॉ. संजय सिंह ने बताया कि इस स्थिति के लिए अनियोजित विकास सबसे बड़ा कारण है. दूसरा कारण यह है कि जिम्मेदार लोग अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं कर रहे हैं. शहर में छह लाख की आबादी के सापेक्ष पानी की उपलब्धता आधे से कम है. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि संकटग्रस्त इलाकों के लिए जो योजना बनाई गई है, वह जमीन पर नहीं उतर रही है. इसके कारण 55 लीटर के राष्ट्रीय मानक के सापेक्ष शहर के लोगों को आधे से भी कम पानी मिल रहा है.

सचिव डॉ. संजय सिंह ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

पढ़ें: यूपी में 21 जून से नए नियम के साथ खुलेंगे रेस्टोरेंट, नाइट ​कर्फ्यू में भी छूट

डॉ. संजय सिंह ने कहा कि जिन विभागों को पानी की उपलब्धता की जिम्मेदारी दी गई है, वे सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार हैं. झांसी बुन्देलखंड का सर्वाधिक वृद्धि करने वाला शहर है. पिछले एक दशक में यहां आबादी बड़े पैमाने पर बढ़ी है. उसके सापेक्ष जो पानी लाने के काम थे, वे नहीं किए गए. जो योजनाएं अभी चल रही हैं, उनको भी सही रूप में काम करने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन योजनाओं में अभी से कमी दिख रही है. कई ऐसे अवसर भी दिखे हैं, जब किसी एक मोहल्ले में पानी की बहुतायत है और किसी में पानी की बहुत कमी है. यह पूरा विषय गंभीरता और संवेदना का है, जिसके साथ पानी का संकट दूर किया जा सकता है.

झांसी: बुन्देलखंड में सबसे तेजी से बढ़ते शहर झांसी में पेयजल संकट खत्म करने की परियोजनाएं कारगर साबित नहीं हो पा रही हैं. शहर के सात पेयजल संकटग्रस्त मोहल्लों में 104 परिवारों से बातचीत के आधार पर वाटर ऑडिट करने के बाद तैयार रिपोर्ट (water audit report) को मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जारी किया गया. गैर सरकारी संस्था की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक व्यक्ति को 55 लीटर पानी प्रतिदिन मिलने का अधिकार है, लेकिन झांसी शहर में इससे आधा पानी भी उसे प्राप्त नहीं हो पा रहा है.


परमार्थ समाजसेवी संस्था के सचिव डॉ. संजय सिंह ने बताया कि इस स्थिति के लिए अनियोजित विकास सबसे बड़ा कारण है. दूसरा कारण यह है कि जिम्मेदार लोग अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं कर रहे हैं. शहर में छह लाख की आबादी के सापेक्ष पानी की उपलब्धता आधे से कम है. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि संकटग्रस्त इलाकों के लिए जो योजना बनाई गई है, वह जमीन पर नहीं उतर रही है. इसके कारण 55 लीटर के राष्ट्रीय मानक के सापेक्ष शहर के लोगों को आधे से भी कम पानी मिल रहा है.

सचिव डॉ. संजय सिंह ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

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डॉ. संजय सिंह ने कहा कि जिन विभागों को पानी की उपलब्धता की जिम्मेदारी दी गई है, वे सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार हैं. झांसी बुन्देलखंड का सर्वाधिक वृद्धि करने वाला शहर है. पिछले एक दशक में यहां आबादी बड़े पैमाने पर बढ़ी है. उसके सापेक्ष जो पानी लाने के काम थे, वे नहीं किए गए. जो योजनाएं अभी चल रही हैं, उनको भी सही रूप में काम करने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन योजनाओं में अभी से कमी दिख रही है. कई ऐसे अवसर भी दिखे हैं, जब किसी एक मोहल्ले में पानी की बहुतायत है और किसी में पानी की बहुत कमी है. यह पूरा विषय गंभीरता और संवेदना का है, जिसके साथ पानी का संकट दूर किया जा सकता है.

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