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इंडो-इजरायल बुन्देलखण्ड वाटर प्रोजेक्ट के लिए मिनी पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी - इंडो-इजरायल बुन्देलखण्ड वाटर प्रोजेक्ट

यूपी के झांसी में इंडो-इजरायल बुन्देलखण्ड वाटर प्रोजेक्ट के तहत जिले के बबीना ब्लॉक के ग्राम आरी को मिनी पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है. इजरायल की टीम ने इस क्षेत्र में जलस्रोतों, वर्षा और सिंचाई के साधनों से जुड़े विवरण विभिन्न सरकारी विभागों से मांगे हैं

इजरायल की टीम
इजरायल की टीम
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Published : Jul 25, 2021, 5:21 PM IST

झांसी: इंडो-इजरायल बुन्देलखण्ड वाटर प्रोजेक्ट के तहत झांसी के बबीना ब्लॉक के ग्राम आरी को मिनी पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है. पिछले दिनों इजरायल की टीम झांसी आई थी और पहूज नदी के बेसिन में बसे कई गांव का दौरा करने के एक महीने बाद मिनी पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने पर सहमति जताई है. इजरायल की टीम ने इस क्षेत्र में जलस्रोतों, वर्षा और सिंचाई के साधनों से जुड़े विवरण विभिन्न सरकारी विभागों से मांगे हैं, जिन्हें प्रशासन के अफसर एकत्र करने में जुटे हैं.


झांसी जिले में लगभग बीस हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल पर यह पूरा प्रोजेक्ट लागू होगा, जिसके तहत बबीना और बड़ागांव ब्लॉक के लगभग बीस से पच्चीस गांव के ग्रामीणों और किसानों को इस परियोजना का लाभ मिलेगा. उत्तर प्रदेश सरकार और इजरायल के जल संसाधन मंत्रालय के बीच 20 अगस्त 2019 को समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. इस पायलट प्रोजेक्ट में अभी स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर कार्ययोजना तैयार की जा रही है. यहां की परिस्थितियों के अनुसार काम आगे बढ़ाया जाएगा. मिनी पायलट परियोजना की शुरुआत के लिए इजरायल दल ने आवश्यक बुनियादी डेटा सूचीबद्व करते हुए उपलब्ध कराने को कहा है.

जानकारी देते सीडीओ
अफसरों ने एक माह की समय सीमा के अंदर सभी विभागों से अपेक्षित आंकड़े एकत्रित करते हुए उपलब्ध कराने को कहा है. भूजल विभाग पिछले 10 वर्षो का झांसी जिले का वर्षा डेटा तैयार कर रहा है. सिंचाई विभाग पहूज बांध और गढ़मऊ झील का जल विवरण, सिंचाई के लिए नहर के संचालन की जानकारी, पेयजल एवं सिंचाई के स्रोत की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए डाटा उपलब्ध कराएंगे. जियोफिजिस्ट ग्राउण्ड वाटर डिपार्टमेंट विभागीय योजना के माध्यम से पीजोमीटर की स्थापना, कृषि विभाग फसल चक्र की और उद्यान विभाग बागवानी फसल पैटर्न की जानकारी उपलब्ध कराएंगे.

झांसी के मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार बताते हैं कि इंडो-इजरायल बुन्देलखण्ड वाटर प्रोजेक्ट नाम से एक प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है. इस प्रोजेक्ट के सम्बन्ध में वह स्थलीय निरीक्षण करने आए थे. उनके आने का मुख्य उद्देश्य यह था कि पहले से उपलब्ध जलस्रोतों में नए स्रोत तैयार करने की संभावना तलाश कैसे करें. ग्राउंड वाटर का अध्ययन करना है कि इसका फ्लो किस दिशा से किस दिशा में है और किस स्थान पर अधिक दोहन हुआ है. हम किस तरह से इसके दोहन को कम करें. ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने की सुविधा तैयार करेंगे. कृषि पद्धतियों में पानी का किस तरह से कम उपयोग हो, इस पर भी उनका फोकस है. यह प्रोजेक्ट शीघ्र ही शुरू होने वाला है, जिसमें पायलट के रूप में एक गांव लिया गया है. उम्मीद है कि बुन्देलखण्ड की हमेशा से जो पानी की समस्या रही है, उस पर निश्चित तौर पर इजरायल के इस प्रोजेक्ट के माध्यम से क्षेत्र में पानी की समस्या दूर करने में बड़ी मदद मिलेगी.

झांसी: इंडो-इजरायल बुन्देलखण्ड वाटर प्रोजेक्ट के तहत झांसी के बबीना ब्लॉक के ग्राम आरी को मिनी पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है. पिछले दिनों इजरायल की टीम झांसी आई थी और पहूज नदी के बेसिन में बसे कई गांव का दौरा करने के एक महीने बाद मिनी पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने पर सहमति जताई है. इजरायल की टीम ने इस क्षेत्र में जलस्रोतों, वर्षा और सिंचाई के साधनों से जुड़े विवरण विभिन्न सरकारी विभागों से मांगे हैं, जिन्हें प्रशासन के अफसर एकत्र करने में जुटे हैं.


झांसी जिले में लगभग बीस हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल पर यह पूरा प्रोजेक्ट लागू होगा, जिसके तहत बबीना और बड़ागांव ब्लॉक के लगभग बीस से पच्चीस गांव के ग्रामीणों और किसानों को इस परियोजना का लाभ मिलेगा. उत्तर प्रदेश सरकार और इजरायल के जल संसाधन मंत्रालय के बीच 20 अगस्त 2019 को समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. इस पायलट प्रोजेक्ट में अभी स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर कार्ययोजना तैयार की जा रही है. यहां की परिस्थितियों के अनुसार काम आगे बढ़ाया जाएगा. मिनी पायलट परियोजना की शुरुआत के लिए इजरायल दल ने आवश्यक बुनियादी डेटा सूचीबद्व करते हुए उपलब्ध कराने को कहा है.

जानकारी देते सीडीओ
अफसरों ने एक माह की समय सीमा के अंदर सभी विभागों से अपेक्षित आंकड़े एकत्रित करते हुए उपलब्ध कराने को कहा है. भूजल विभाग पिछले 10 वर्षो का झांसी जिले का वर्षा डेटा तैयार कर रहा है. सिंचाई विभाग पहूज बांध और गढ़मऊ झील का जल विवरण, सिंचाई के लिए नहर के संचालन की जानकारी, पेयजल एवं सिंचाई के स्रोत की सम्पूर्ण जानकारी देते हुए डाटा उपलब्ध कराएंगे. जियोफिजिस्ट ग्राउण्ड वाटर डिपार्टमेंट विभागीय योजना के माध्यम से पीजोमीटर की स्थापना, कृषि विभाग फसल चक्र की और उद्यान विभाग बागवानी फसल पैटर्न की जानकारी उपलब्ध कराएंगे.

झांसी के मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार बताते हैं कि इंडो-इजरायल बुन्देलखण्ड वाटर प्रोजेक्ट नाम से एक प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है. इस प्रोजेक्ट के सम्बन्ध में वह स्थलीय निरीक्षण करने आए थे. उनके आने का मुख्य उद्देश्य यह था कि पहले से उपलब्ध जलस्रोतों में नए स्रोत तैयार करने की संभावना तलाश कैसे करें. ग्राउंड वाटर का अध्ययन करना है कि इसका फ्लो किस दिशा से किस दिशा में है और किस स्थान पर अधिक दोहन हुआ है. हम किस तरह से इसके दोहन को कम करें. ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने की सुविधा तैयार करेंगे. कृषि पद्धतियों में पानी का किस तरह से कम उपयोग हो, इस पर भी उनका फोकस है. यह प्रोजेक्ट शीघ्र ही शुरू होने वाला है, जिसमें पायलट के रूप में एक गांव लिया गया है. उम्मीद है कि बुन्देलखण्ड की हमेशा से जो पानी की समस्या रही है, उस पर निश्चित तौर पर इजरायल के इस प्रोजेक्ट के माध्यम से क्षेत्र में पानी की समस्या दूर करने में बड़ी मदद मिलेगी.

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