झांसी: चिरगांव कस्बे के रहने वाले धर्मेंद्र नामदेव ने चिरगांव देहात और सिकरी बुजुर्ग गांव में गोमूत्र आधारित खेती का अनूठा प्रयोग किया है. धर्मेंद्र दावा करते हैं कि वे खेती में किसी भी तरह की खाद का उपयोग नहीं करते. वह मात्र गोमूत्र के उपयोग से खेती कर रहे हैं. इस प्रगतिशील किसान का दावा है कि यदि इस तरह की खेती को बढ़ावा दिया जाए तो यह प्रयोग बुन्देलखण्ड में गोवंश संरक्षण में मददगार साबित हो सकता है.
दलहन और तिलहन का कर रहे उत्पादन
धर्मेंद्र नामदेव बताते हैं कि खेत में पलेवा करते समय एक बीघा में वह पानी के साथ लगभग 45 लीटर गोमूत्र का भी उपयोग करते हैं. इससे हमने दलहनी और तिलहनी फसलें ली हैं. एक बीघा में चना तीन से चार क्विंटल होता है. मटर भी लगभग तीन क्विंटल होती है. मूंगफली का उत्पादन सामान्य से अधिक होता है.
धर्मेंद्र कहते हैं कि वह खेतों में न तो डीएपी डालते हैं न ही यूरिया. न ही किसी तरह के कीटनाशक या रसायन का उपयोग करते हैं. इस समय उनके खेत में चने की फसल है. इससे पहले हमने मूंग और मूंगफली की फसल ली थी. हमारे क्षेत्र में एक किसान ने बैगन की फसल के लिए गोमूत्र का प्रयोग किया तो उसकी पैदावार बेहतर हो गई. फसल में रोग भी नहीं लगे.