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जांच के फेर में साढ़े चार साल से फंसा एरच बांध, अखिलेश सरकार ने खर्चे थे 400 करोड़ - एरच बहुद्देशीय बांध

यूपी के झांसी में पिछले साढ़े चार साल से एरच बहुद्देशीय बांध का काम अधूरा पड़ा है. जिसका खामियाजा यहां के निवासियों को भुगतना पड़ रहा है. यहां के बामौर ब्लॉक में पानी का बड़ा संकट है. अगर बांध बन जाता तो क्षेत्र को काफी लाभ होता. अधूरा पड़ा यह बांध गरौठा विधानसभा क्षेत्र में एक बड़े क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के बीच यह चुनावी मसला भी बन सकता है.

एरच बहुद्देशीय बांध
एरच बहुद्देशीय बांध
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Published : Sep 5, 2021, 11:02 PM IST

Updated : Sep 6, 2021, 2:54 PM IST

झांसी: बेतवा नदी पर गरौठा विधानसभा क्षेत्र स्थित जुझारपुरा गांव में 612 करोड़ की लागत से बन रहे एरच बहुद्देशीय बांध का काम पिछले साढ़े चार साल से ठप पड़ा है. साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसकी आधारशिला रखी थी और साल 2017 तक इसके निर्माण पर 401 करोड़ रुपये भी खर्च किए गए. उत्तर प्रदेश में साल 2017 में सरकार बदलने के बाद योगी सरकार ने स्थानीय भाजपा विधायक जवाहर लाल राजपूत की शिकायत पर बांध निर्माण में हुए घोटाले की जांच के आदेश दिए और काम रोक दिया गया. साढ़े चार साल में न तो घोटाले की जांच पूरी हुई न ही बांध का निर्माण कार्य शुरू हो सका. इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है यहां के निवासियों को. स्थानीय कहते हैं कि बामौर ब्लॉक में पानी का बड़ा संकट है. बांध बन जाता तो क्षेत्र को काफी लाभ होता.गरौठा विधानसभा क्षेत्र में एक बड़े क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के बीच यह चुनावी मसला भी बन सकता है.

आईआईटी भी कर चुकी है जांच
परियोजना पर 401 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद पिछले साढ़े चार साल से यह काम ठप पड़ा है और अब 612 करोड़ की इस परियोजना की लागत बढ़कर 1000 करोड़ से ऊपर पहुंचने का अनुमान है. शुरुआती दौर में आईआईटी कानपुर और आईआईटी रुड़की से इसकी जांच कराई गई. सिंचाई विभाग को इसकी टीएसी जांच कराने को कहा गया. इन सबके बाद आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अभी तक हुई किसी भी जांच का नतीजा सार्वजनिक नहीं किया गया है और किन लोगों को दोषी पाया गया है, यह भी लोग नहीं जान सके हैं.

एरच बहुद्देशीय बांध का अधूरा पड़ा काम.
भाजपा और सपा में आरोप-प्रत्यारोप
विपक्षी दलों और किसान संगठनों का कहना है कि यह बांध समय से बन जाता तो बामौर ब्लॉक के एक बड़े क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल के संकट को दूर किया जा सकता था. अखिलेश सरकार के कार्यकाल की परियोजना होने के कारण समाजवादी पार्टी इस पर लगी रोक को राजनीतिक विद्वेष की कार्रवाई बताती है. वहीं सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि बांध में हुए घोटाले की ईओडब्ल्यू जांच हो रही है. दोषियों को चिह्नित करने के बाद बांध निर्माण का काम शुरू हो जाएगा. गरौठा विधानसभा क्षेत्र में एक बड़े क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के बीच यह मुद्दा चुनावी मसला भी बन सकता है.
एरच बहुद्देशीय बांध
एरच बहुद्देशीय बांध
सिंचाई, पेयजल और बिजली उत्पादन था उद्देश्य
इस बांध के निर्माण का काम एक साथ तीन उद्देश्य को लेकर शुरू किया गया था. सिंचाई और पेयजल का पानी उपलब्ध कराने के साथ ही इस बांध परियोजना से बिजली उत्पादन भी किये जाने की तैयारी थी. दावा किया जाता है कि इस बांध के बन जाने से आसपास के 378 छोटे-बड़े गांव में पेयजल की समस्या को दूर किया जा सकता है और लगभग 10,000 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकती है. इसके साथ ही बांध परियोजना से 4 मेगावाट बिजली का उत्पादन किये जाने की भी योजना शामिल थी.
साढ़े चार साल ये यूंही पड़ी है निर्माण सामग्री.
साढ़े चार साल ये यूंही पड़ी है निर्माण सामग्री.
क्या कहते हैं किसान नेता
किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और किसान नेता गौरी शंकर विदुआ कहते हैं कि बामौर ब्लॉक में पानी का बड़ा संकट है. बांध बन जाता तो क्षेत्र को काफी लाभ होता. लगभग बीस सालों के प्रयासों के बाद इस बांध को स्वीकृति मिली थी. इसकी स्वीकृति लगभग साढ़े छह सौ करोड़ की हुई थी और आधे से ज्यादा बन गया है. इस समय अधूरा पड़ा है. अब यह साढ़े छह सौ करोड़ में नहीं बनेगा. इसका बजट बढ़ते-बढ़ते छह हजार करोड़ पहुंच जाएगा और इसको बनते-बनते बीस साल लग जाएंगे. जांच के नाम पर इसका काम अटकाने से किसानों को क्या फायदा होगा. जो जांच में दोषी हो, उस पर कार्रवाई हो लेकिन बांध का काम रोकना ठीक नहीं है. इसका काम तत्काल चालू होना चाहिए, जिससे हमें सिंचाई का पानी मिल सके.
अधूरा पड़ा काम.
अधूरा पड़ा काम.
क्या कहती है समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी के निवर्तमान जिलाध्यक्ष महेश कश्यप कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने साढ़े चार साल पूरे हो गए. उन्होंने केवल इस कारण बांध के काम को रोक दिया कि यह समाजवादी पार्टी की योजना थी. वे जनपद में सिंचाई की कोई दूसरी योजना लागू नहीं कर सके तो उन्होंने समाजवादी पार्टी की योजना को भ्रष्टाचार का नाम देकर रोक दिया. यदि इसमें कोई भ्रष्टाचार था तो साढ़े चार साल में जांच पूरी हो जानी चाहिए थी. उसमें यदि भ्रष्टाचार हुआ तो जनता को पता होना चाहिए. इसमें कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. भाजपा ने काम रोकना और नाम बदलना की नीति के तहत यह काम रोक दिया है. जब चुनाव होगा तो जिन किसानों को पानी नहीं मिला, वे भाजपा को हराएंगे.


इसे भी पढ़ें- फतेहपुर सदर सीट: 32 साल से वापसी को तरस रही कांग्रेस, जनता को BJP आ रही रास



भाजपा को ईओडब्ल्यू की कार्रवाई का इंतजार
सपा सरकार में बांध का निर्माण शुरू होने के बाद से ही भाजपा इसमें घोटाले का आरोप लगाती रही है, लेकिन साढ़े चार साल से सत्ता में होने के बावजूद भाजपा सरकार दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है. भारतीय जनता पार्टी के जालौन-गरौठा सीट से सांसद और भारत सरकार में राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा कहते हैं कि जब कोई जांच होती है और इसमें पैसे का घपला होता है तो कुछ एजेंसियां काम करती हैं. ईओडब्ल्यू इसकी जांच का काम कर रही है. जांच के बाद जो रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- ओवैसी को महंत परमहंस दास का अल्टीमेटम, कहा- लगाया विवादित बैनर तो नहीं होने दी जाएगी जनसभा

झांसी: बेतवा नदी पर गरौठा विधानसभा क्षेत्र स्थित जुझारपुरा गांव में 612 करोड़ की लागत से बन रहे एरच बहुद्देशीय बांध का काम पिछले साढ़े चार साल से ठप पड़ा है. साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसकी आधारशिला रखी थी और साल 2017 तक इसके निर्माण पर 401 करोड़ रुपये भी खर्च किए गए. उत्तर प्रदेश में साल 2017 में सरकार बदलने के बाद योगी सरकार ने स्थानीय भाजपा विधायक जवाहर लाल राजपूत की शिकायत पर बांध निर्माण में हुए घोटाले की जांच के आदेश दिए और काम रोक दिया गया. साढ़े चार साल में न तो घोटाले की जांच पूरी हुई न ही बांध का निर्माण कार्य शुरू हो सका. इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है यहां के निवासियों को. स्थानीय कहते हैं कि बामौर ब्लॉक में पानी का बड़ा संकट है. बांध बन जाता तो क्षेत्र को काफी लाभ होता.गरौठा विधानसभा क्षेत्र में एक बड़े क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के बीच यह चुनावी मसला भी बन सकता है.

आईआईटी भी कर चुकी है जांच
परियोजना पर 401 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद पिछले साढ़े चार साल से यह काम ठप पड़ा है और अब 612 करोड़ की इस परियोजना की लागत बढ़कर 1000 करोड़ से ऊपर पहुंचने का अनुमान है. शुरुआती दौर में आईआईटी कानपुर और आईआईटी रुड़की से इसकी जांच कराई गई. सिंचाई विभाग को इसकी टीएसी जांच कराने को कहा गया. इन सबके बाद आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अभी तक हुई किसी भी जांच का नतीजा सार्वजनिक नहीं किया गया है और किन लोगों को दोषी पाया गया है, यह भी लोग नहीं जान सके हैं.

एरच बहुद्देशीय बांध का अधूरा पड़ा काम.
भाजपा और सपा में आरोप-प्रत्यारोप
विपक्षी दलों और किसान संगठनों का कहना है कि यह बांध समय से बन जाता तो बामौर ब्लॉक के एक बड़े क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल के संकट को दूर किया जा सकता था. अखिलेश सरकार के कार्यकाल की परियोजना होने के कारण समाजवादी पार्टी इस पर लगी रोक को राजनीतिक विद्वेष की कार्रवाई बताती है. वहीं सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि बांध में हुए घोटाले की ईओडब्ल्यू जांच हो रही है. दोषियों को चिह्नित करने के बाद बांध निर्माण का काम शुरू हो जाएगा. गरौठा विधानसभा क्षेत्र में एक बड़े क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के बीच यह मुद्दा चुनावी मसला भी बन सकता है.
एरच बहुद्देशीय बांध
एरच बहुद्देशीय बांध
सिंचाई, पेयजल और बिजली उत्पादन था उद्देश्य
इस बांध के निर्माण का काम एक साथ तीन उद्देश्य को लेकर शुरू किया गया था. सिंचाई और पेयजल का पानी उपलब्ध कराने के साथ ही इस बांध परियोजना से बिजली उत्पादन भी किये जाने की तैयारी थी. दावा किया जाता है कि इस बांध के बन जाने से आसपास के 378 छोटे-बड़े गांव में पेयजल की समस्या को दूर किया जा सकता है और लगभग 10,000 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकती है. इसके साथ ही बांध परियोजना से 4 मेगावाट बिजली का उत्पादन किये जाने की भी योजना शामिल थी.
साढ़े चार साल ये यूंही पड़ी है निर्माण सामग्री.
साढ़े चार साल ये यूंही पड़ी है निर्माण सामग्री.
क्या कहते हैं किसान नेता
किसान रक्षा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और किसान नेता गौरी शंकर विदुआ कहते हैं कि बामौर ब्लॉक में पानी का बड़ा संकट है. बांध बन जाता तो क्षेत्र को काफी लाभ होता. लगभग बीस सालों के प्रयासों के बाद इस बांध को स्वीकृति मिली थी. इसकी स्वीकृति लगभग साढ़े छह सौ करोड़ की हुई थी और आधे से ज्यादा बन गया है. इस समय अधूरा पड़ा है. अब यह साढ़े छह सौ करोड़ में नहीं बनेगा. इसका बजट बढ़ते-बढ़ते छह हजार करोड़ पहुंच जाएगा और इसको बनते-बनते बीस साल लग जाएंगे. जांच के नाम पर इसका काम अटकाने से किसानों को क्या फायदा होगा. जो जांच में दोषी हो, उस पर कार्रवाई हो लेकिन बांध का काम रोकना ठीक नहीं है. इसका काम तत्काल चालू होना चाहिए, जिससे हमें सिंचाई का पानी मिल सके.
अधूरा पड़ा काम.
अधूरा पड़ा काम.
क्या कहती है समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी के निवर्तमान जिलाध्यक्ष महेश कश्यप कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने साढ़े चार साल पूरे हो गए. उन्होंने केवल इस कारण बांध के काम को रोक दिया कि यह समाजवादी पार्टी की योजना थी. वे जनपद में सिंचाई की कोई दूसरी योजना लागू नहीं कर सके तो उन्होंने समाजवादी पार्टी की योजना को भ्रष्टाचार का नाम देकर रोक दिया. यदि इसमें कोई भ्रष्टाचार था तो साढ़े चार साल में जांच पूरी हो जानी चाहिए थी. उसमें यदि भ्रष्टाचार हुआ तो जनता को पता होना चाहिए. इसमें कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. भाजपा ने काम रोकना और नाम बदलना की नीति के तहत यह काम रोक दिया है. जब चुनाव होगा तो जिन किसानों को पानी नहीं मिला, वे भाजपा को हराएंगे.


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भाजपा को ईओडब्ल्यू की कार्रवाई का इंतजार
सपा सरकार में बांध का निर्माण शुरू होने के बाद से ही भाजपा इसमें घोटाले का आरोप लगाती रही है, लेकिन साढ़े चार साल से सत्ता में होने के बावजूद भाजपा सरकार दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है. भारतीय जनता पार्टी के जालौन-गरौठा सीट से सांसद और भारत सरकार में राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा कहते हैं कि जब कोई जांच होती है और इसमें पैसे का घपला होता है तो कुछ एजेंसियां काम करती हैं. ईओडब्ल्यू इसकी जांच का काम कर रही है. जांच के बाद जो रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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Last Updated : Sep 6, 2021, 2:54 PM IST
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