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जौनपुर: सांसद आदर्श गांव में विकास खोज रहे हैं ग्रामीण

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में भाजपा सांसद बीपी सरोज ने जीत के बाद सांसद आदर्श गांव योजना के तहत एक गांव को गोद लिया था. वह गांव आज भी अपनी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है.

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आज भी गांव समस्याओं से जूझ रहा
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Published : Feb 29, 2020, 10:22 AM IST

जौनपुर: 2014 में बीजेपी की केंद्र में सरकार बनने के बाद ही एक नई पहल की गई थी. इसी समय सांसद आदर्श गांव योजना की शुरुआत हुई. जिसमें सभी बीजेपी सांसदों को अपने क्षेत्र के दो गांवों को गोद लेकर उनका सर्वांगीण विकास करना था.

जीत के बाद गांव में नजर नहीं आए सांसद
जनपद में दो लोकसभा सीटें हैं. वर्तमान में मछली शहर सीट पर भाजपा के सांसद बीपी सरोज काबिज हैं. मछली शहर सांसद ने अपने क्षेत्र के करियाव गांव को गोद लिया. लेकिन यह गांव मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है. गांव को गोद लेने के बाद 8 महीनों में सांसद साहब केवल एक बार ही इस गांव में आए हैं. वह भी गांव के अंदर नहीं गए. आज गांव के लोग अपने सांसद को पहचानते तक नहीं हैं. यहां के लोगों को अभी भी अपने गांव के विकास का इंतजार हैं. स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में शौचालय तो मिले. लेकिन आज भी ग्रामीण आवास न मिलने के कारण कच्चे मकानों में रहने को विवश हैं. ऐसे में सांसद आदर्श गांव में विकास की बात करना बेबुनियाद होगा.

आज भी गांव समस्याओं से जूझ रहा

आज भी गांव मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा
जौनपुर के मछली शहर लोक सभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की, सांसद बने बीपी सरोज ने करियाव गांव को गोद लियाा. लेकिन यह गांव आज मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है. गांव में एक बड़ी आबादी आज भी विकास के इंतजार में है. जबकि ग्राम प्रधान की मानें

गांव के लोगों नहीं मिल रहा पीने के लिए शुद्ध पानी

करियाव गांव कहने को तो सांसद आदर्श गांव है. लेकिन इस गांव में पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं है. वहीं गांव में बड़ी संख्या में लोगों के पास पक्के घर भी नहीं है. सांसद ने गांव में कुछ सोलर लाइटें तो लगवाई हैं. जबकि मूलभूत समस्याओं पर अभी कोई काम नहीं हो सका है.

गांव की रहने वाली सुनीता विश्वकर्मा ने बताया, कि वह विधवा हैं और उन्हें विधवा पेंशन भी नहीं मिलती है. उनके पास आवास तक नहीं है और न ही आय का कोई साधन है. उनका कहना है, कि उन्होंने सांसद को देखा तक नहीं है, और उनके गांव में सांसद की ओर से कोई काम नहीं किया गया है.

गांव के विनय कुमार ने बताया, कि उनके गांव में सांसद की ओर से अभी तक कोई विकास कार्य नहीं किया गया है. वहीं उनके गांव के ग्राम प्रधान ने आवास देने के नाम पर उनसे 14 हजार रुपये भी लिए.

दूसरी तरफ प्रधान पति रवि शंकर सोनी ने बताया, कि सांसद साहब गांव को गोद लेने के बाद गांव में तीन बार आए हैं, साथ ही उन्होंने गांव में 33 सोलर लाइटें भी दी हैं.

इसे भी पढ़ें- मुजफ्फरनगर: दिल्ली हिंसा में मारे गए अंकित शर्मा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

जौनपुर: 2014 में बीजेपी की केंद्र में सरकार बनने के बाद ही एक नई पहल की गई थी. इसी समय सांसद आदर्श गांव योजना की शुरुआत हुई. जिसमें सभी बीजेपी सांसदों को अपने क्षेत्र के दो गांवों को गोद लेकर उनका सर्वांगीण विकास करना था.

जीत के बाद गांव में नजर नहीं आए सांसद
जनपद में दो लोकसभा सीटें हैं. वर्तमान में मछली शहर सीट पर भाजपा के सांसद बीपी सरोज काबिज हैं. मछली शहर सांसद ने अपने क्षेत्र के करियाव गांव को गोद लिया. लेकिन यह गांव मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है. गांव को गोद लेने के बाद 8 महीनों में सांसद साहब केवल एक बार ही इस गांव में आए हैं. वह भी गांव के अंदर नहीं गए. आज गांव के लोग अपने सांसद को पहचानते तक नहीं हैं. यहां के लोगों को अभी भी अपने गांव के विकास का इंतजार हैं. स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में शौचालय तो मिले. लेकिन आज भी ग्रामीण आवास न मिलने के कारण कच्चे मकानों में रहने को विवश हैं. ऐसे में सांसद आदर्श गांव में विकास की बात करना बेबुनियाद होगा.

आज भी गांव समस्याओं से जूझ रहा

आज भी गांव मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा
जौनपुर के मछली शहर लोक सभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की, सांसद बने बीपी सरोज ने करियाव गांव को गोद लियाा. लेकिन यह गांव आज मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है. गांव में एक बड़ी आबादी आज भी विकास के इंतजार में है. जबकि ग्राम प्रधान की मानें

गांव के लोगों नहीं मिल रहा पीने के लिए शुद्ध पानी

करियाव गांव कहने को तो सांसद आदर्श गांव है. लेकिन इस गांव में पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं है. वहीं गांव में बड़ी संख्या में लोगों के पास पक्के घर भी नहीं है. सांसद ने गांव में कुछ सोलर लाइटें तो लगवाई हैं. जबकि मूलभूत समस्याओं पर अभी कोई काम नहीं हो सका है.

गांव की रहने वाली सुनीता विश्वकर्मा ने बताया, कि वह विधवा हैं और उन्हें विधवा पेंशन भी नहीं मिलती है. उनके पास आवास तक नहीं है और न ही आय का कोई साधन है. उनका कहना है, कि उन्होंने सांसद को देखा तक नहीं है, और उनके गांव में सांसद की ओर से कोई काम नहीं किया गया है.

गांव के विनय कुमार ने बताया, कि उनके गांव में सांसद की ओर से अभी तक कोई विकास कार्य नहीं किया गया है. वहीं उनके गांव के ग्राम प्रधान ने आवास देने के नाम पर उनसे 14 हजार रुपये भी लिए.

दूसरी तरफ प्रधान पति रवि शंकर सोनी ने बताया, कि सांसद साहब गांव को गोद लेने के बाद गांव में तीन बार आए हैं, साथ ही उन्होंने गांव में 33 सोलर लाइटें भी दी हैं.

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