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जालौन : रोड नहीं तो वोट नहीं के साथ गांव वाले करेंगे मतदान का बहिष्कार - रोड नहीं तो वोट नहीं

जिले में कालपी तहसील के मुस्ताक नगर गांव के रहने वाले लोगों ने मतदान बहिष्कार करने का मन बनाया है. गांव वालों का कहना है कि मुख्य सड़क का निर्माण बीते कई दशकों से रूका हुआ है. इस बार यहां के लोगों ने ठान लिया है कि रोड नहीं तो वोट नहीं.

जानकारी देते स्थानीय लोग.
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Published : Apr 24, 2019, 11:52 AM IST

जालौन : जिले में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन पूरी कोशिश में लगा हुआ है. वहीं कालपी तहसील के मुस्ताक नगर गांव के रहने वाले लोगों ने मतदान बहिष्कार करने का मन बनाया है, क्योंकि इस गांव को जोड़ने के लिए मुख्य सड़क का निर्माण बीते कई दशकों से रूका हुआ है. ग्रामीणों को कई बार आश्वासन मिलने के बाद भी किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासन के अधिकारी ने गांव वालों की सुध नहीं ली है.

जानकारी देते स्थानीय लोग.

उरई मुख्यालय से 72 किलोमीटर दूर कालपी तहसील के कदौरा ब्लाक में यमुना नदी के किनारे बसा मुस्ताक नगर गांव, जहां रोड के अधूरे निर्माण होने के चलते बीते कई दशकों से ग्रामीण वासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

  • ग्रामीणों ने बताया कि यह गांव जिले के आखरी छोर में हमीरपुर और कानपुर देहात के जिलों की सीमाओं के किनारे बसा हुआ है.
  • यहां से हमीरपुर की दूरी मात्र 30 किलोमीटर है. वहीं कानपुर देहात के मुख्यालय पहुंचने में आधे घंटे का समय लगता है.
  • लेकिन सड़क मार्ग का जुड़ाव न होने से मुख्यालय से कटे हुए हैं.
  • इस वजह से यहां के ग्रामीणों को आम दिनों के साथ-साथ बरसात में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
  • बरसात के दिनों में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसे पैदल ले जाते हैं, क्योंकि उस वक्त गाड़ियों का निकलना मुश्किल हो जाता है.
  • मुख्यालय से दूरी होने की वजह से यहां अधिकारी भी आने से कतराते हैं.
  • जिस वजह से ग्रामीणों की समस्याएं जस की तस बनी हुई है.
  • यही कारण है कि ग्रामीणों ने लगातार कई शिकायतें भी की, लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला.
  • इस बार यहां के लोगों ने ठान लिया है कि रोड नहीं तो वोट नहीं.

जालौन : जिले में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन पूरी कोशिश में लगा हुआ है. वहीं कालपी तहसील के मुस्ताक नगर गांव के रहने वाले लोगों ने मतदान बहिष्कार करने का मन बनाया है, क्योंकि इस गांव को जोड़ने के लिए मुख्य सड़क का निर्माण बीते कई दशकों से रूका हुआ है. ग्रामीणों को कई बार आश्वासन मिलने के बाद भी किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासन के अधिकारी ने गांव वालों की सुध नहीं ली है.

जानकारी देते स्थानीय लोग.

उरई मुख्यालय से 72 किलोमीटर दूर कालपी तहसील के कदौरा ब्लाक में यमुना नदी के किनारे बसा मुस्ताक नगर गांव, जहां रोड के अधूरे निर्माण होने के चलते बीते कई दशकों से ग्रामीण वासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

  • ग्रामीणों ने बताया कि यह गांव जिले के आखरी छोर में हमीरपुर और कानपुर देहात के जिलों की सीमाओं के किनारे बसा हुआ है.
  • यहां से हमीरपुर की दूरी मात्र 30 किलोमीटर है. वहीं कानपुर देहात के मुख्यालय पहुंचने में आधे घंटे का समय लगता है.
  • लेकिन सड़क मार्ग का जुड़ाव न होने से मुख्यालय से कटे हुए हैं.
  • इस वजह से यहां के ग्रामीणों को आम दिनों के साथ-साथ बरसात में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
  • बरसात के दिनों में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसे पैदल ले जाते हैं, क्योंकि उस वक्त गाड़ियों का निकलना मुश्किल हो जाता है.
  • मुख्यालय से दूरी होने की वजह से यहां अधिकारी भी आने से कतराते हैं.
  • जिस वजह से ग्रामीणों की समस्याएं जस की तस बनी हुई है.
  • यही कारण है कि ग्रामीणों ने लगातार कई शिकायतें भी की, लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला.
  • इस बार यहां के लोगों ने ठान लिया है कि रोड नहीं तो वोट नहीं.
Intro:जिले में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन पूरी कोशिश करने में लगा हुआ है तो वहीं कालपी तहसील के मुस्ताक नगर गांव के रहने वाले लोगों ने मतदान बहिष्कार करने का मन बनाया हुआ है क्योंकि इस गांव को जोड़ने के लिए मुख्य सड़क का निर्माण बीते कई दशकों से अटका पड़ा है ग्रामीणों को कई बार आश्वासन मिलने के बाद भी किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासन के अधिकारी ने इन गांव वालों की सुध नहीं ली है


Body:उरई मुख्यालय से 72 किलोमीटर दूर कालपी तहसील के कदौरा ब्लाक में यमुना नदी के किनारे बसा मुस्ताक नगर गांव जहां रोड के अधूरे निर्माण होने के चलते बीते कई दशकों से ग्रामीण वासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ईटीवी भारत ने जब ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया यह गांव जिले के आखरी छोर में हमीरपुर और कानपुर देहात के जिलों की सीमाओं को के किनारे बसा हुआ है यहां से हमीरपुर की दूरी मात्र 30 किलोमीटर रह जाती है तो वहीं कानपुर देहात के मुख्यालय पहुंचने में आधे घंटे का समय लगता है लेकिन सड़क मार्ग का जुड़ाव ना होने से मुख्यालय से कटे हुए हैं जिस वजह से यहां के ग्रामीणों को आम दिनों के साथ-साथ बरसात में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है बरसात के दिनों में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसे चार लोग चारपाई पर रखकर पैदल ले जाते हैं क्योंकि उस वक्त गाड़ियों का निकलना मुश्किल हो जाता है मुख्यालय से दूरी होने की वजह से यहां अधिकारी भी आने से कतराते हैं जिस वजह से ग्रामीणों की समस्याएं जस की तस बनी हुई है यही कारण है कि ग्रामीणों ने लगातार कई शिकायतें भी की लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला तो इस बार यहां के लोगों ने यह ठान लिया है की रोड नहीं तो वोट नहीं

बाइट राम लखन


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