जालौन: उत्तर प्रदेश की जेलों में मोबाइल फोन के जरिये अपराध होने की खबरें आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं. आज हम जेल की एक ऐसी तस्वीर दिखा रहे है, जहां कोर्ट ने कैदियों को उनके अपराध की सजा तो दी है, लेकिन सजा काट रहे शिक्षित अपराधियों ने जेल को एक सुधार गृह के रूप में अपनाया है. इन कैदियों की कोशिश शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अलख जगाती सी प्रतीत होती है.
जेल प्रशासन के सहयोग से सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों ने जेल में शिक्षा की डगर चुनी है. सजायाफ्ता कैदियों ने जेल में चला रहे शिक्षा को बंदी साक्षरता एवं शिक्षा कार्यक्रम का नाम दिया है. इसमें रोजाना लगभग 200 कैदी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इन कैदियों को शिक्षित करने का काम भी सजा काट रहे शिक्षित कैदी ही कर रहे हैं.
जेल के अंदर बना है पुस्तकाय
कैदियों को शिक्षा सामग्री में किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसके लिए जेल के अंदर ही एक पुस्तकालय का निर्माण कराया गया है. जहां पर रोज कैदी साहित्य का अध्ययन कर नैतिकता का पाठ पढ़ रहे हैं. इस पुस्तकालय में लगभग ढाई हजार से अधिक कहानियां, साहित्य, धर्म और सामान्य ज्ञान से संबंधित पुस्तकें मौजूद हैं.
सजा काट रहे शिक्षामित्र कैदियों को कर रहे शिक्षित
सजा काट रहे पेशे से शिक्षा मित्र अरविन्द द्विवेदी कैदियों को शिक्षित करने में लगे हैं. उनका कहना है कि उन्होंने और उनके अन्य साथियों ने जेल को एक सुधार गृह के रूप में अपनाया है. वो अन्य कैदियों को भी समाज में मुख्य धारा में लाने के लिए नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं.
इस समय जेल के अंदर 50-50 कैदियों की चार कक्षाएं संचालित कराई जा रही हैं. जिनमें लगभग 200 कैदी शिक्षित हो रहे हैं और इन लोगों को जेल में बंद कैदी ही शिक्षित करने का काम कर रहे हैं. इसके अलावा पुस्तकालय में भी कैदियों की रूचि बढ़ रही है. लगभग 100 कैदी रोज पुस्तकों का अध्ययन कर अपनी जानकारी को बढ़ा रहे हैं. कैदियों की कोशिश शिक्षा को बढ़ावा देने की अलख जगाती सी प्रतीत होती है.
-सीताराम शर्मा, जेल अधीक्षक