जालौन: यमुना नदी के किनारे बसी जालौन वाली माता का दरबार हमेशा भक्तों से भरा हुआ रहता है. मां जयंती देवी के रूप में विराजमान माता के दर्शन के लिए मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़ और जिले के हर कोने से भक्तगण आकर मां की आराधना करते हैं. दूरदराज से आने वाले भक्तों की कतार सुबह 4 बजे से ही लगने लगती है.
उरई मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर कुठान ब्लॉक की ग्राम पंचायत जालौन खुर्द के पास यमुना नदी के किनारे मां भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का एक रूप जयंती देवी यहां विराजमान है. क्षेत्रीय लोगों के अनुसार द्वापर युग में युद्ध समाप्त होने के बाद पांडवों ने भगवती मां की स्थापना कराई थी. पांडवों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर मां पाताल छोड़कर यहां प्रकट हुई और युधिष्ठिर समेत सभी पांडवों को पाप मुक्त कर दिया. मां जयंती देवी को जालौन वाली माता के नाम से भी जाना जाता है.
इसके पीछे का कारण यहां के रहने वाले राम जी चतुर्वेदी बताते हैं कि पुराने समय में नदी घाटी सभ्यता होने के कारण यह जगह प्रमुख केंद्र हुआ करती थी. आस पास लगने वाले चालीस गांव की पंचायत का निस्तारण इस केंद्र से होता था. धीरे-धीरे लोग यहां से पलायन करते गए और शहरों में बस गए लेकिन यह देवी मां का मंदिर जालौन वाली माता के नाम से प्रसिद्ध हो गया. मां के दरबार में हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए आते हैं.
ऐसी मान्यता है की देवी मां के चरणों में जो भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ आता है उसकी सभी मनोकामनाएं मां जयंती देवी पूरी करती हैं. इसी वजह से बेरा निवासी अजीत सिंह सेंगर पिछले कई सालों से हर नवरात्र में यहां भंडारा और जागरण करवाते हैं.