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कर्ण और अर्जुन के बाणों से उत्पन्न हुए थे ये जलस्त्रोत...जानिए क्या है इनका रहस्य

महाभारत काल में कर्ण और अर्जुन के बाणों से उत्पन्न जल स्त्रोत हरदोई जिले में आज भी अविरल बहते जा रहे हैं. साथ ही यह हिन्दुओं की मान्यताओं का आधार भी बने हुए हैं. वहीं शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते यह जल स्त्रोत अपनी बदहाली की कगार पर पहुंच गए हैं.

अर्जुन और कर्ण के बाणों से हुई उत्पत्ति.
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Published : May 18, 2019, 11:08 AM IST

Updated : May 18, 2019, 12:13 PM IST

हरदोई : जिले में यूं तो कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, लेकिन यहां मिलने वाले कुछ प्राकृतिक जल स्रोत अपने आप में ही हजारों वर्ष पुराने इतिहास को संजोए हुए हैं. पिहानी इलाके में मौजूद धोबिया घाट पर भी दो ऐसे जल स्रोत मौजूद हैं, जिनका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.

अर्जुन और कर्ण के बाणों से हुई उत्पत्ति.

कैसे जन्मे यह जल स्त्रोत?

  • एक बार भगवान श्री कृष्ण ने भेष बदलकर दानवीर कर्ण से दान मांगकर उनकी परीक्षा लेनी चाही.
  • तब कर्ण अपने दांत से सोना कुरेद कर उन्हें दिया, लेकिन भगवान ने उसे अशुद्ध बताया.
  • कर्ण ने बाणगंगा तीर का इस्तेमाल कर धरती जलस्रोत उत्पन्न किया और सोना शुद्ध कर उन्हें दान में दिया था.
  • वहीं दूसरे स्रोत की उत्पत्ति पांडवों के अज्ञातवास के दौरान हुई थी.
  • प्यास लगने पर अर्जुन ने बाणगंगा तीर का इस्तेमाल कर इसे उत्पन्न किया था.
  • इन ऐतिहासिक जल स्त्रोतों से आज भी लोगों की मान्यताएं जुड़ी हुई हैं.
  • इसके बावजूद प्रशासन की अनदेखी के चलते ये स्त्रोत आज बदहाली की कगार पर पहुंच गए हैं.


'इन स्त्रोतों की कई मान्यताएं हैं. महाभारत काल में अर्जुन और कर्ण के बाणों से इनकी उत्पत्ति हुई थी. दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं और इन जल स्त्रोतों में स्नान करते हैं.'
- स्वामी नारायणानंद, स्थानीय निवासी

हरदोई : जिले में यूं तो कई ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, लेकिन यहां मिलने वाले कुछ प्राकृतिक जल स्रोत अपने आप में ही हजारों वर्ष पुराने इतिहास को संजोए हुए हैं. पिहानी इलाके में मौजूद धोबिया घाट पर भी दो ऐसे जल स्रोत मौजूद हैं, जिनका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.

अर्जुन और कर्ण के बाणों से हुई उत्पत्ति.

कैसे जन्मे यह जल स्त्रोत?

  • एक बार भगवान श्री कृष्ण ने भेष बदलकर दानवीर कर्ण से दान मांगकर उनकी परीक्षा लेनी चाही.
  • तब कर्ण अपने दांत से सोना कुरेद कर उन्हें दिया, लेकिन भगवान ने उसे अशुद्ध बताया.
  • कर्ण ने बाणगंगा तीर का इस्तेमाल कर धरती जलस्रोत उत्पन्न किया और सोना शुद्ध कर उन्हें दान में दिया था.
  • वहीं दूसरे स्रोत की उत्पत्ति पांडवों के अज्ञातवास के दौरान हुई थी.
  • प्यास लगने पर अर्जुन ने बाणगंगा तीर का इस्तेमाल कर इसे उत्पन्न किया था.
  • इन ऐतिहासिक जल स्त्रोतों से आज भी लोगों की मान्यताएं जुड़ी हुई हैं.
  • इसके बावजूद प्रशासन की अनदेखी के चलते ये स्त्रोत आज बदहाली की कगार पर पहुंच गए हैं.


'इन स्त्रोतों की कई मान्यताएं हैं. महाभारत काल में अर्जुन और कर्ण के बाणों से इनकी उत्पत्ति हुई थी. दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं और इन जल स्त्रोतों में स्नान करते हैं.'
- स्वामी नारायणानंद, स्थानीय निवासी

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर---- हरदोई जिले में यूं तो तमाम ऐतिहासिक स्थल मौजूद है लेकिन जिले में मौजूद कुछ प्राकृतिक जल स्रोत अपने में ही हजारों वर्ष पुराने इतिहास को संजोए हुए हैं और लोगों की मान्यताओं का आधार बने हुए हैं।जिले के ही नहीं बल्कि बाहर से भी पर्यटक इस पौराणिक स्थल पर भारी संख्या में आते हैं। हरदोई के पिहानी इलाके में मौजूद धोबिया घाट पर दो ऐसे जल स्रोत मौजूद हैं जिनका इतिहास दानवीर कर्ण और पांच पांडवों में से एक अर्जुन से जुड़ा हुआ है। एक स्रोत की उत्पत्ति तब हुई थी जब भगवान श्री कृष्ण ने दानवीर कर्ण से भेष बदलकर दान मांग उन्हें परखा था। तब कर्ण ने दांत से सोना कुरेद कर उन्हें दिया, लेकिन उसे अशुद्ध बता कर भगवन ने लेने से इंकार कर दिया। तब कर्ण ने बाढ़ गंगा तीर का इस्तेमाल कर धरती छेदी और उत्पन्न हुए इस जलस्रोत से सोना शुद्ध कर उन्हें दान में दिया था। वहीं दूसरे स्रोत की उत्पत्ति पांडवों के प्यास लगने पर अर्जुन द्वारा बाणगंगा का इस्तेमाल करने से हुई थी।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले में मौजूद धोबिया घाट पर दो जलस्रोत आज भी लोगों की मान्यताओं का आधार बने हुए हैं।हालांकि इनकी तरफ किसी भी सियासत व जिला प्रशासन ने आज तक ध्यान नहीं दिया।इससे इनकी स्थिति आज बदहाली की कगार पर जरूर पहुंच गई है।वहीं इनसे जुड़े इतिहास की बात अगर करें तो तस्वीरों में दिखाई दे रहा घाट उसी जलस्रोत से बना है जिसे दानवीर कर्ण ने उत्पन्न किया था।हज़ारों वर्ष पूर्व जब दानवीर कर्ण जो कि दान देने के लिए प्रख्यात थे उन्हें जंगल मे देख परखने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने दान मांगा था।तब उनके पास उन्हें देने के लिए कुछ न मिला तो कर्ण ने अपने सोने के दांत से सोना कुरेद कर या यूं कहें कि अपने सोने का दांत ही उन्हें दान में दिया।इस पर भगवान कृष्ण ने उसे अशुद्ध बता कर लेने से इनकार कर दिया।तब कर्ण ने बाण गंगा का इस्तेमाल कर इस जलस्रोत को उत्पन्न किया था और सोना धुल के शुद्ध किया व श्री कृष्ण जो कि भेस बदल कर उनके पास आये थे उन्हें दान किया था।वहीं दूसरे जल स्रोत की उत्पत्ति भी बाण गंगा का इस्तेमाल करने से ही हुई थी।लेकिन इसकी उत्पत्ति तब हुई थी जब पांच पांडव एक वर्ष के अज्ञात वास में यहां आए थे।तब पानी की कमी होने से अर्जुन ने बाण गंगा का इस्तेमाल कर इस जलस्रोत को उत्पन्न किया था।

विसुअल विद वॉइस ओवर

वीओ--2--इस पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल व इन प्रक्रकित जलस्रोतों के महत्व व इनसे जुड़ी पौराणिक कहानियों से अवगत कराया।सुनिए उन्ही की जुबानी।

बाईट--स्वामी नारायणानंद--धोबिया घाट

पीटूसी


Conclusion:
Last Updated : May 18, 2019, 12:13 PM IST
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