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हरदोई:हवाओं में जहर घोल रहे मानकों के अनुरूप चलने वाले वाहन, जानें पूरा मामला - pollution in hardoi

जिले में तमाम ऐसे प्रदूषण केंद्र खुले हुए हैं, जहां पर चंद पैसे लेकर प्रदूषण सर्टिफिकेट उपलब्ध हो जाता है.वहीं इन केंद्रों पर प्रदूषण की जांच करने के यंत्र भी खराबी की कगार पर आ गए हैं.

चंद पैसों में जारी किया जा रहा प्रदूषण प्रमाण पत्र.
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Published : Jul 21, 2019, 5:17 PM IST

हरदोइ: जिले में कुल सात प्रदूषण जांच केंद्र मौजूद हैं, जिसमें से करीब पांच जिला मुख्यालय पर और दो संडीला में हैं. आलम यह है कि यह जांच केंद्र महज दिखावे के लिए खुले हैं. यहां पर जांच किए बिना ही प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं. यहां हो रही खानापूर्ति से वातावरण प्रदूषित हो रहा है. जांच केंद्रों पर मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

जानकारी देते एआरटीओ.

क्या है पुरा मामला-

  • हरदोई जिले में खुले आम मानकों के अनुरूप वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं.
  • फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाने वालों के केंद्रों पर अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
  • चंद पैसे लेकर प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं.
  • जिले में आज भी अधिकांश वाहन फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र लिए घूम रहे हैं.
  • फर्जी प्रमाण पत्र एआरटीओ दफ्तर के आसपास घूम रहे दलालों द्वारा मिल जाते हैं.
  • निदेशालय स्तर से इस प्रदूषण प्रमाण पत्र को बनाए जाने का काम ऑनलाइन कर दिया गया था.
  • यहां अभी भी कुछ केंद्रों पर पुरानी नीति से ही इन प्रमाण पत्रों को बनाया जा रहा है.
  • वहीं इन केंद्रों पर प्रदूषण की जांच करने के यंत्र भी खराबी की कगार पर आ गए हैं.

समय-समय पर अभियान चला कर फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है. हालांकि इन केंद्रों पर हो रही दलाली के बारे में जांच की जाएगी.
दीपक शाह ,एआरटीओ

हरदोइ: जिले में कुल सात प्रदूषण जांच केंद्र मौजूद हैं, जिसमें से करीब पांच जिला मुख्यालय पर और दो संडीला में हैं. आलम यह है कि यह जांच केंद्र महज दिखावे के लिए खुले हैं. यहां पर जांच किए बिना ही प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं. यहां हो रही खानापूर्ति से वातावरण प्रदूषित हो रहा है. जांच केंद्रों पर मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

जानकारी देते एआरटीओ.

क्या है पुरा मामला-

  • हरदोई जिले में खुले आम मानकों के अनुरूप वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं.
  • फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाने वालों के केंद्रों पर अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
  • चंद पैसे लेकर प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं.
  • जिले में आज भी अधिकांश वाहन फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र लिए घूम रहे हैं.
  • फर्जी प्रमाण पत्र एआरटीओ दफ्तर के आसपास घूम रहे दलालों द्वारा मिल जाते हैं.
  • निदेशालय स्तर से इस प्रदूषण प्रमाण पत्र को बनाए जाने का काम ऑनलाइन कर दिया गया था.
  • यहां अभी भी कुछ केंद्रों पर पुरानी नीति से ही इन प्रमाण पत्रों को बनाया जा रहा है.
  • वहीं इन केंद्रों पर प्रदूषण की जांच करने के यंत्र भी खराबी की कगार पर आ गए हैं.

समय-समय पर अभियान चला कर फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है. हालांकि इन केंद्रों पर हो रही दलाली के बारे में जांच की जाएगी.
दीपक शाह ,एआरटीओ

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर-- जिले में कुल 7 प्रदूषण जांच केंद्र मौजूद हैं। जिसमें से करीब 5 जिला मुख्यालय पर तो दो संडीला में मौजूद हैं। इस दरमियान आलम यह है कि यह जांच केंद्र महज दिखावे के लिए खुले हुए प्रतीत हो रहे हैं। यहां पर जांच किए बिना ही प्रमाण पत्र जुगाड़ से हासिल कर सकते हैं। प्रदूषण जांच केंद्र पर हो रही खानापूर्ति वातावरण में ज़हर घोलने का काम जरूर कर रही है। तो इन जांच केंद्रों पर मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिले में भी देश की भांति दिन-ब-दिन वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है।तो लाजमी है कि प्रदूषण भी तेजी से बढ़ ही रहा है। लेकिन उपसंभागीय परिवहन कार्यालय के बाहर सजी प्रदूषण जांच केंद्रों की दुकानों पर अतिरिक्त शुल्क लेकर ही प्रमाण पत्र हासिल कर सकते हैं। नियमतः प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र यंत्रों से मापने के बाद दिया जाना चाहिए। लेकिन यहां नहीं तो यंत्र है और ना ही इस लापरवाही की तरफ जिम्मेदार अफसरानों का ध्यान।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले में खुले आम मानकों के अनुरूप वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं।चाहे ये वाहन डग्गामार हों या फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र वाले इनकी तरफ कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ध्यान देना तक जरूरी नहीं समझ रहा है। वही जिले में तमाम ऐसे प्रदूषण केंद्र खुले हुए हैं, जहां पर चंद पैसे लेकर प्रदूषण सर्टिफिकेट उपलब्ध हो जाता है। इस संबंध में जब आरटीओ दीपक शाह से बात की गई तो उन्होंने बताया की, ऐसे वाहनों की जांच कर उनका प्रदूषण सर्टिफिकेट चेक किया जाता है।वहीं अवैध या फर्जी पाए जाने पर उनके ऊपर कार्यवाही भी की जाती है। लेकिन जमीनी हकीकत से रूबरू हुआ जाए तो जिले में आज भी अधिकांश वाहन फर्जी प्रदूषण प्रमाण पत्र लिए घूम रहे हैं।जिनके ऊपर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है।जिले में भी वाहनों की फिटनेस के लिए एक प्रदूषण प्रमाण पत्र लेना होता है।जो कि उपसंभागीय परिवहन कार्यलय के सामने बने जांच केंद्रों से आसानी से हासिल किया जा सकता है।फर्जी प्रमाण पत्र एआरटीओ दफ्तर के आस पास घूम रहे दलालों द्वारा ये मिल जाते हैं।जबकि विगत लंबे समय से चल रहे इस खेल पर रोक लगाने के लिए निदेशालय स्तर से इस प्रदूषण प्रमाण पत्र को बनाये जाने का काम ऑनलाइन कर दिया गया था।लेकिन यहां अभी भी कुछ केंद्रों पर पुरानी नीति से ही इन प्रमाण पत्रों को बनाया जा रहा है।वहीं इन केंद्रों पर प्रदूषण की जांच करने के यंत्र भी खराबी की कगार पर आ गए हैं।इस तब के चलते मानकों के अनुरूप चल रहे हज़ारों वाहन हवाओ में जहर घोलने का काम जरूर कर रहे हैं।

विसुअल विद वॉइस ओवर

वीओ--2--वहीं इस पूरे मामले की जानकारी जब एआरटीओ दीपक शाह से ली गयी तो उन्होंने इस धांधली को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकारते हुए अभियान चलाए जाने की बात कही।कहा कि समय समय पर अभियान चला कर फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर कार्यवाही भी की जाती है।हालांकि इन केंद्रों पर हो रही दलाली के बारे में उन्होंने कुछ भी बोलना मुनासिफ नहीं समझा।

बाईट---दीपक शाह--एआरटीओ
पीटूसी


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