हमीरपुर: आपने अभी तक दंगल के दौरान एक-दूसरे को परास्त करने के लिए दांव-पेंच आजमाते हुए इंसानों को देखा होगा, लेकिन हमीरपुर के मौदहा कस्बे में तीतर दांव-पेंच आजमा रहे हैं. जब किसान फसल की बुवाई कर लेता है, तब मनोरंजन के लिए इस तरह के खेल का आयोजन करता है. ऐसा ही आयोजन हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे में देखने को मिला.
किसान कराते हैं तीतरों का दंगल
मौदहा कस्बे के तमाम किसान अपने-अपने तीतरों को लेकर पहुंचे . बारी-बारी से किसानों ने अपने-अपने तीतरों को लड़वाया. यकीन मानिए इन तीतरों के दांव-पेंच देखकर आप हैरान हो जाएंगें. किसान इन पहलवान तीतरों को अच्छी-खासी खुराक देते हैं.तीतरों को कुश्ती के लिए तैयार करने से पहले उन्हें बादाम-किशमिश खिलाकर मजबूत बनाया जाता है.
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बुंदेलखंड के कई जिलों में कराया जाता है दंगल
बुंदेलखंड के जिले हमीरपुर, महोबा, बांदा और कर्वी में बैल दौड़ और तीतरों का दंगल मनोरंजन के पारंपरिक साधन होते थे, लेकिन पशु क्रूरता को लेकर लोगों में आई जागरूकता के चलते बैल दौड़ का चलन अब लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन तीतरों का दंगल अभी भी कुछ इलाकों में देखने को मिल जाता है. तीतरों के इस दंगल में जीतने वाले तीतर के मालिक को बाकायदा शील्ड और इनाम से भी नवाजा जाता है.
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