हमीरपुर: जिले के सुमेरपुर विकास खंड के टिकरौली ग्राम पंचायत में कूटरचित तरीके से शासकीय धन का बंदरबांट करने वाले दो ग्राम विकास अधिकारी और तकनीकी सहायक के खिलाफ सदर कोतवाली में गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है. इससे ग्राम विकास से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है. ग्रामीणों की शिकायत पर केंद्रीय मनरेगा आयुक्त के निर्देश पर जांच टीम ने तीनों को दोषी पाया था.
सुमेरपुर के बीडीओ विपिन कुमार ने कोतवाली में तहरीर देकर टिकरौली गांव के ग्राम विकास अधिकारी महेंद्र पाण्डेय, प्रियंका और तकनीकी सहायक वीरेंद्र कुमार के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर शासकीय धन के गबन का मुकदमा कायम कराया है. विकास कार्यों में गड़बड़ी पाए जाने पर केंद्रीय जांच टीम के अधिकारियों ने स्थानीय कर्मचारियों की मौके पर जमकर फटकार लगाई थी और रिपोर्ट तैयार करके केंद्रीय मनरेगा आयुक्त को सौंपी थी. विभागीय जांच में मामला स्पष्ट होने के बाद तहरीर दी गई है, जिसके आधार पर तीनों लोगों के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 409 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
कोतवाल दुर्गविजय सिंह ने बताया कि तहरीर में कहा गया है कि उक्त लोगों ने बैंक के मित्र के खाते से फर्जी तरीके से 1491 रुपये की निकासी की और एक मृतक मजदूर के खाते में मनरेगा मजदूरी का 1224 रुपये ट्रांसफर किया. सोकपिट के नाम पर 21 हजार 770 रुपये फर्जी तरीके से बैंक से निकाला गया. मामले में बीडीओ विपिन कुमार की शिकायत पर ग्राम पंचायत अधिकारी महेंद्र पांडेय, सहायक ग्राम पंचायत बीरेंद्र कुमार, ग्राम विकास अधिकारी प्रियंका देवी के खिलाफ गमन के मुकदमा दर्ज किया गया है. बीडीओ विपिन कुमार में बताया कि केंद्रीय टीम ने जांच में दोषी पाया. शासन के निर्देश पर मुकदमा दर्ज कराया गया है.
पढ़ेंः 69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नियुक्ति से ज्यादा अड़चनें हुईं, जानिए क्यों लग रहे आरोप