गोरखपुर: उत्तर भारत में लगातार ठंड का कहर बढ़ रहा है. इस कड़ाके की ठंड से जहां आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं गरीब और असहाय गर्म कपड़े खरीदने में असमर्थ हैं. ऐसे में सरकार जरूरतमंदों को उनकी आवश्यकता की चीजें पहुंचाने में लगी हुई है. गरीब और असहाय लोगों को जिले के युवाओं द्वारा गर्म कपड़ों का वितरण किया जा रहा है, जिससे इस कड़ाके की ठंड में वह अपना जीवन यापन कर सकें.
गोरखपुर: युवाओं की पहल, जरूरतमंदों को बांट रहे गर्म कपड़े - gorakhpur news
उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड का कहर देखने को मिल रहा है. ठंड से बचने के लिए गरीब और असहाय लोगों को जिले के युवाओं द्वारा गर्म कपड़ों का वितरण किया जा रहा है, जिससे इस कड़ाके की ठंड में अपना जीवन यापन कर सकें.
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युवाओं की पहल, जरूरतमंदों को बांट रहे गर्म कपड़े
गोरखपुर: उत्तर भारत में लगातार ठंड का कहर बढ़ रहा है. इस कड़ाके की ठंड से जहां आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं गरीब और असहाय गर्म कपड़े खरीदने में असमर्थ हैं. ऐसे में सरकार जरूरतमंदों को उनकी आवश्यकता की चीजें पहुंचाने में लगी हुई है. गरीब और असहाय लोगों को जिले के युवाओं द्वारा गर्म कपड़ों का वितरण किया जा रहा है, जिससे इस कड़ाके की ठंड में वह अपना जीवन यापन कर सकें.
युवाओं की पहल, जरूरतमंदों को बांट रहे गर्म कपड़े.
आज मोहद्दीपुर स्थित अपने कैंप कार्यालय से नीरज गुप्ता और सोनू सिंह सहित अन्य लोगों ने सैकड़ों की संख्या में जरूरतमंदों में गर्म कपड़ों का वितरण किया.उनका मानना है कि सरकार तो अपना काम कर ही रही है, लेकिन सरकार शायद वहां तक नहीं पहुंच पा रही है, जहां पर गर्म कपड़ों की सबसे ज्यादा जरूरत है. चाहे वह झोपड़ियों में रहने वाले गरीब तबके के लोग हों या फिर सड़कों पर मजदूरी करने वाले मजदूर.
इस हाड़ कंपाऊ ठंड में रिक्शा चालकों का भी बुरा हाल है. ऐसे में वह उन जरूरतमंदों तक पहुंचते हैं, जहां पर सबसे ज्यादा जरूरत गर्म कपड़ों की होती है और इन गर्म कपड़ों को पहन कर वह अपना जीविकोपार्जन कर सकते हैं.वहीं गरीब और असहाय लोगों का कहना है कि सरकारी लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में यह युवा ही उनकी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. गर्म कपड़ों को पाने के बाद इनके चेहरे पर वह सुकून देखा जा सकता है, जो एक आम आदमी नए कपड़े खरीदने के बाद महसूस करता है.
युवाओं की पहल, जरूरतमंदों को बांट रहे गर्म कपड़े.
आज मोहद्दीपुर स्थित अपने कैंप कार्यालय से नीरज गुप्ता और सोनू सिंह सहित अन्य लोगों ने सैकड़ों की संख्या में जरूरतमंदों में गर्म कपड़ों का वितरण किया.उनका मानना है कि सरकार तो अपना काम कर ही रही है, लेकिन सरकार शायद वहां तक नहीं पहुंच पा रही है, जहां पर गर्म कपड़ों की सबसे ज्यादा जरूरत है. चाहे वह झोपड़ियों में रहने वाले गरीब तबके के लोग हों या फिर सड़कों पर मजदूरी करने वाले मजदूर.
इस हाड़ कंपाऊ ठंड में रिक्शा चालकों का भी बुरा हाल है. ऐसे में वह उन जरूरतमंदों तक पहुंचते हैं, जहां पर सबसे ज्यादा जरूरत गर्म कपड़ों की होती है और इन गर्म कपड़ों को पहन कर वह अपना जीविकोपार्जन कर सकते हैं.वहीं गरीब और असहाय लोगों का कहना है कि सरकारी लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में यह युवा ही उनकी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. गर्म कपड़ों को पाने के बाद इनके चेहरे पर वह सुकून देखा जा सकता है, जो एक आम आदमी नए कपड़े खरीदने के बाद महसूस करता है.
Intro:गोरखपुर। उत्तर भारत में लगातार ठंड का कहर बढ़ रहा है इस कड़ाके की ठंड से जहां आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। वही गरीब और असहाय गर्म कपड़ों को खरीदने में असमर्थ हैं ऐसे में जहां सरकार जरूरतमंदों को जरूरत की चीजें पहुंचाने में लगा हुआ है। वहीं इन्हें जरूरत की चीजों से वंचित गरीब और असहाय लोगों तक सीएम सिटी के युवाओं द्वारा गर्म कपड़ों का वितरण किया जा रहा है, जिससे इस कड़ाके की ठंड से लड़ सकें और अपना जीविकोपार्जन कर सके।
Body:गोरखपुर के युवा धीरज गुप्ता अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर गरीब और असहाय लोगो के लिए गर्म कपड़ों की व्यवस्था कर उन्हें जरूरतमंदों में वितरित करने का काम कर रहे हैं। पिछले 4 साल से वह कार्य कर रहे हैं। जिससे जरूरतमंदों में जरूरत की चीजों का अभाव ना रह जाए। आज मोहद्दीपुर स्थित अपने कैंप कार्यालय से नीरज गुप्ता सोनू सिंह सहित अन्य लोगों ने सैकड़ों की संख्या में जरूरतमंदों में गर्म कपड़ों का वितरण किया।
उनका मानना है कि सरकार तो अपना काम कर ही रही है लेकिन सरकार शायद वहां तक नहीं पहुंच पा रही है। जहां पर गर्म कपड़ों की सबसे ज्यादा जरूरत है। चाहे वह झोपड़ियों में रहने वाले गरीब तबके के लोग हो या फिर सड़कों पर मजदूरी करने वाले मजदूर इस हाड़ कपाऊ ठंड में रिक्शा चालकों का भी बुरा हाल है। ऐसे में वह उन जरूरतमंदों तक पहुंचते हैं, जहां पर सबसे ज्यादा जरूरत गर्म कपड़ों की होती है और इन गर्म कपड़ों को पहन कर वह अपना जीविकोपार्जन कर सकते हैं।
पीटीसी धीरज गुप्ता, युवा समाजसेवी
वही गरीब और असहाय तबके के लोग इन नए कपड़ों को पाकर कहीं ना कहीं अपने आप को इस ठंड से लड़ने में सक्षम पा रहे हैं। उनका मानना है कि सरकारी लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में ये युवा ही उनकी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। गर्म कपड़ों को पाने के बाद इनके चेहरे पर वह सुकून देखा जा सकता है। जो एक आम आदमी नए कपड़े खरीदने के बाद महसूस करता है।
बाइट - शिवनाथ यादव, रिक्शा चालक
बाइट - रिंकू, वंचित
Conclusion:यह इंसानियत उनके लिए दिखाई गई है जो वास्तव में हारे हुए हैं, यह मानवता उनके लिए है जो वंचित है। दरअसल इस तरह का कार्यक्रम इस बात की ओर इशारा करता है कि इंसान धीरे-धीरे सही लेकिन और भी ज्यादा संवेदनशील हो रहा है, वह बदल रहा है और यही बदलाव की बयार आज गोरखपुर में देखने को मिली। हड्डियों को गला देने वाली ठंड में यकीनन यह कपड़े इन गरीबों के लिए किसी कवच से कम साबित नहीं होंगे और इसी कवच में यह गरीब अपने आपको सर्दी के इस सितम से महफूज रखेंगे।
निखिलेश प्रताप सिंह
गोरखपुर
9453623738
Body:गोरखपुर के युवा धीरज गुप्ता अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर गरीब और असहाय लोगो के लिए गर्म कपड़ों की व्यवस्था कर उन्हें जरूरतमंदों में वितरित करने का काम कर रहे हैं। पिछले 4 साल से वह कार्य कर रहे हैं। जिससे जरूरतमंदों में जरूरत की चीजों का अभाव ना रह जाए। आज मोहद्दीपुर स्थित अपने कैंप कार्यालय से नीरज गुप्ता सोनू सिंह सहित अन्य लोगों ने सैकड़ों की संख्या में जरूरतमंदों में गर्म कपड़ों का वितरण किया।
उनका मानना है कि सरकार तो अपना काम कर ही रही है लेकिन सरकार शायद वहां तक नहीं पहुंच पा रही है। जहां पर गर्म कपड़ों की सबसे ज्यादा जरूरत है। चाहे वह झोपड़ियों में रहने वाले गरीब तबके के लोग हो या फिर सड़कों पर मजदूरी करने वाले मजदूर इस हाड़ कपाऊ ठंड में रिक्शा चालकों का भी बुरा हाल है। ऐसे में वह उन जरूरतमंदों तक पहुंचते हैं, जहां पर सबसे ज्यादा जरूरत गर्म कपड़ों की होती है और इन गर्म कपड़ों को पहन कर वह अपना जीविकोपार्जन कर सकते हैं।
पीटीसी धीरज गुप्ता, युवा समाजसेवी
वही गरीब और असहाय तबके के लोग इन नए कपड़ों को पाकर कहीं ना कहीं अपने आप को इस ठंड से लड़ने में सक्षम पा रहे हैं। उनका मानना है कि सरकारी लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में ये युवा ही उनकी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। गर्म कपड़ों को पाने के बाद इनके चेहरे पर वह सुकून देखा जा सकता है। जो एक आम आदमी नए कपड़े खरीदने के बाद महसूस करता है।
बाइट - शिवनाथ यादव, रिक्शा चालक
बाइट - रिंकू, वंचित
Conclusion:यह इंसानियत उनके लिए दिखाई गई है जो वास्तव में हारे हुए हैं, यह मानवता उनके लिए है जो वंचित है। दरअसल इस तरह का कार्यक्रम इस बात की ओर इशारा करता है कि इंसान धीरे-धीरे सही लेकिन और भी ज्यादा संवेदनशील हो रहा है, वह बदल रहा है और यही बदलाव की बयार आज गोरखपुर में देखने को मिली। हड्डियों को गला देने वाली ठंड में यकीनन यह कपड़े इन गरीबों के लिए किसी कवच से कम साबित नहीं होंगे और इसी कवच में यह गरीब अपने आपको सर्दी के इस सितम से महफूज रखेंगे।
निखिलेश प्रताप सिंह
गोरखपुर
9453623738