गोरखपुर: देश में बहुत जल्द राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हो जाएगी. इसके सारे पहलुओं पर गंभीरता से विचार चल रहा है और भारत सरकार ने भी इसमें तेजी लाने को कहा है. यह कहना है यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) के चेयरमैन प्रोफेसर डी पी सिंह का, यूजीसी चेयरमैन जिले में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे.
उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में देश की नई शिक्षा नीति पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि यूजीसी का प्रयास है कि शिक्षा में गुणवत्ता की वृद्धि हो और शिक्षक प्रशिक्षण के कार्यक्रम चलाए जाएं. जिससे शोध के क्षेत्र में कुछ नया प्रयोग और लक्ष्य हासिल किया जा सके.
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जानिए यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर डीपी सिंह ने क्या कहा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार हो रहा है. मांगे गए सुझाव के क्रम में हर क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा करीब दो लाख सुझाव आए हैं. जिनको प्राथमिकता के आधार पर संकलित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में उन विषयों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो राष्ट्रीय और सामाजिक स्तर पर बेहद जरूरी हैं.
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का मसौदा जब तैयार हो जाएगा तो वह कैबिनेट के पास जाएगा. जिसकी संस्तुति मिलने के बाद पार्लियामेंट और सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन भी इस पर अपनी मुहर लगाएगा. साथ ही नेशनल रिसर्च फाउंडेशन भी अपनी संस्तुतियों को आगे बढ़ाएगा, तब जाकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश और समाज के सामने होगी.
शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर द्वंद नहीं होना चाहिए
चेयरमैन प्रोफेसर डीपी सिंह ने कहा कि निश्चित रूप से देश को एकीकृत शिक्षा नीति की बेहद जरूरत है. क्योंकि इसके माध्यम से शिक्षा में एकरूपता, शोध को बढ़ावा और सामाजिक- राष्ट्रीय जैसे मुद्दों पर चिंतन बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि द्वंद किसी भी प्रकार का हो, वह टकराहट ही पैदा करता है.
ऐसे में शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर द्वंद नहीं होना चाहिए. इसका बेहतर प्रकल्प ही समाज को बेहतर रास्ता दिखाता है. इसलिए देश के हित में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बहुत जल्द प्रस्तुत हो जाएगी. जिसकी तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है.