गोरखपुर: बड़े- बड़े मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या फिर गोरखपुरिया नेता, पूरे दंभ से कहते हैं कि इस शहर से मच्छर और माफिया का सफाया हो गया है. यही वजह है कि अब इंसेफ्लाइटिस और अन्य मच्छर जनित बीमारियों में बड़ी कमी आई है. लेकिन, यह दावे हकीकत में सही नहीं है. गोरखपुर शहर में पिछले पांच वर्षों के आंकड़े यह बताते हैं कि करीब 2001 लोग ऐसे रहे हैं जिन्हें मच्छरों ने अपना शिकार बनाया है. लोग डेंगू, मलेरिया, जेई, फाइलेरिया जैसी बीमारी की चपेट में आकर अस्पताल में भर्ती रहे और इलाज पर हजारों-लाखों रुपये खर्च भी किए.
वहीं, जीका वायरस, चिकन गुनिया से भी लोग परेशान है. नगर निगम मच्छर से बचाव के लिए धुएं के छिड़काव की बात करता है. स्वास्थ्य विभाग कई तरह के जागरूकता अभियान चलता है. एंटी लार्वा का छिड़काव, लार्वा उन्मूलन के लिए घर-घर जागरूकता अभियान, बावजूद इसके मच्छरों के आतंक की गवाही स्वास्थ्य विभाग का आकड़ा ही बताता है. मौजूदा समय में भी करीब 26 लोग डेंगू से ग्रसित हैं, जिनका इलाज चल रहा है.
पिछले साल के रिकॉर्ड को देखते हुए ही मलेरिया विभाग पूरी तरह से अलर्ट है. मौसम में बदलाव होने और शासन की सख्ती की वजह से एंटी लार्वा का छिड़काव और घर-घर रिपोर्टिंग की जा रही है. चौराहों पर टायर ट्यूब की दुकान तक चेक हो रही है, जिससे डेंगू के मच्छर पनपने न पाएं. फिर भी वर्ष 2023 में जेई-एईएस 25 और डेंगू के 26 मामले सामने आये है, जो स्वास्थ्य महकमे के माथे पर पसीना ला रहा है. बरसात के दिनों में मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है. इस मौसम में मच्छर के काटने से कई बीमारियां पनपती हैं. जिनमें डेंगू, मलेरिया, जीका वायरस और चिकनगुनिया शामिल है. इसमें डेंगू और मलेरिया से अधिक बचाव की जरूरत पड़ती है.
आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2018 में जेइ- एईएस के कुल 435 मामले सामने आए थे. जिसमें 35 केस पॉजिटिव था. इसी वर्ष डेंगू के 25, मलेरिया के पांच मरीज चिन्हित हुए थे. तो वहीं वर्ष 2019 में जेई-एईएस के 262 मरीज सामने आए. जिनमें 35 केस पॉजिटिव पाए गए. डेंगू के 114 और मलेरिया के 11 मरीज भी इस वर्ष रिकॉर्ड में दर्ज हुए. वर्ष 2020 में भी जेई-एईएस के 227 मामले सामने आए. जिसमें 13 केस पॉजिटिव निकला. डेंगू के 09 और मलेरिया के 01 मरीज इस वर्ष रिकार्ड में दर्ज किए गए. वर्ष 2021 में जेई-एईएस का आंकड़ा 240 का था और पॉजिटिव मरीजों की संख्या 12 थी. इस वर्ष डेंगू ने अपना कहर बरपाया और करीब 67 मरीज सामने आए. जबकि मलेरिया के कुल 11 मरीज इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज हुए.
इसे भी पढ़े-Action on Private Hospitals : कागजों तक ही सीमित रह जाती है निजी अस्पतालों पर कार्रवाई
सीएमओ डॉक्टर आशुतोष कुमार दुबे ने कहा कि एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है. यह साफ पानी में पनपते हैं. इसलिए जल भराव ना होने दें, और नियमित साफ-सफाई रखें. उन्होंने कहा कि उनके स्वास्थ्य विभाग की कुल 32 टीम इसके लिए लोगों के घरों तक पहुंच कर जागरूक करने में जुटी है. बचाव के सभी जरूरी उपाय भी अपना रही है.
वर्ष 2022 में जेई-एईएस के 96 मरीज सामने आए जिसमें 11 पॉजिटिव पाए गए थे. डेंगू का इस वर्ष प्रकोप बढ़ा और कुल 318 मरीज रिकॉर्ड में दर्ज हुए. मलेरिया के 10 मरीज पाए गए. वर्ष 2023 में 5 सितंबर तक की बात करें तो जेई-एईएस के 28 मरीज सामने आए. जिसमें पॉजिटिव की संख्या शून्य रही तो डेंगू मरीजों की संख्या 26 हो गई है. मलेरिया की रिपोर्टिंग अभी 2 की ही है. इन 5 वर्षों में फाइलेरिया के भी 28 मामले सामने आए हैं.
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. अंगद सिंह कहते हैं कि कई शोध बताते हैं कि विभिन्न ब्लड ग्रुप के अपने कुछ विशिष्ट प्रोटीन यानी कि एंटीजन होते हैं. जो कि मच्छरों को बुलवा देते हैं. इसलिए मच्छर अन्य ब्लड ग्रुप की तुलना में ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों के प्रति अधिक आकर्षित होते हैं. उन्होंने कहा कि मच्छर से मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, इंसेफेलाइटिस जीका वायरस और फाइलेरिया जैसे रोग होते हैं. जिसे बचाव ही बड़ा कारगर उपाय है.
यह भी पढ़े-स्वच्छता की रेटिंग में फिसड्डी है लखनऊ, अब जोनवार सफाई व्यवस्था का मॉडल अपनाएगा नगर निगम