गोरखपुर : डीएवीपीजी कॉलेज परिसर में बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा बैडमिंटन खेलने के दौरान अचानक गिरी और उसकी सांसें थम गईं. उसके साथ खेल रहीं कॉलेज की छात्राओं ने आनन-फानन में उसे जिला अस्पताल पहुंचाया. इसके साथ ही पुलिस और परिवार को भी सूचना दी, तब तक देर हो चुकी थी. इस मामले में कॉलेज परिसर की तरफ से कोई पहल नहीं होने पर छात्र-छात्राओं का गुस्सा फूट पड़ा. अस्पताल के इमरजेंसी गेट पर पुलिस के साथ उनकी नोकझोंक भी हुई. फिलहाल छात्रा की मौत को हार्ट अटैक से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई थी मौत
शाहपुर थाना क्षेत्र के गीता वाटिका के पास बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा गौरी मिश्रा का परिवार किराए के मकान में रहता है. परिवार मूलतः कुशीनगर का रहने वाला है. गौरी के पिता राजेश मिश्रा गीता प्रेस में काम करते हैं तो मां भी परिवार का खर्च चलाने के लिए एक निजी अस्पताल में काम करती हैं. शुक्रवार को उन्हें जैसे ही बेटी की तबीयत खराब होने की सूचना बेटे कौशलेश से मिली, वह अस्पताल की इमरजेन्सी पहुंची. अस्पताल में डॉक्टरों ने गौरी को मृत घोषित कर दिया. अस्पताल में मां, पिता और भाई सभी दहाड़े मारकर रोने लगे. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि घर से तैयार होकर कॉलेज गई गौरी की अचानक मौत हो जाएगी. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. प्रथम दृष्टया मौत का कारण कारण कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) बताया जा रहा है, लेकिन पुलिस के अनुसार असली वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगी. वहीं बेटी की मौत के बाद उसके माता-पिता कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं. उनसे समझ नहीं आ रहा कि आखिर यह सब हुआ कैसे.
गौरी को बाइक से अस्पताल ले गए साथी
गौरी की मौत की सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में जिला अस्पताल पहुंचे छात्र-छात्राओं का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन की देरी की वजह से गौरी की मौत हुई है. यदि समय रहते उसे अस्पताल पहुंचाया गया होता तो उसकी मौत नहीं हुई होती. बेहोश होने के बाद से काफी देर तक वह स्कूल परिसर में ही रही. बाद में उसे बाइक से अस्पताल ले जाया गया. छात्र-छात्राओं का यह भी आरोप है कि काफी देर तक अस्पताल में भी स्कूल प्रबंधन के लोग नहीं पहुंचे थे.
प्राचार्य ने कहा- जाम की वजह से बाइक से ले गए अस्पताल
छात्र-छात्राओं के आरोप पर कॉलेज के प्राचार्य शैल पांडेय का कहना है कि ट्रैफिक जाम की वजह से छात्रा को बाइक से अस्पताल ले जाया गया था, जिससे उपचार में देरी न हो. पुलिस को भी सूचना कॉलेज की तरफ से दी गई. फिलहाल इस घटना ने एक बार फिर कम उम्र में हो रहीं मौतों को लेकर चिंता बढ़ाई है. अभी 15 दिन पहले ही देवरिया के रेलवे अस्पताल में कार्यरत 28 वर्षीय युवा डॉक्टर अभिषेक कुमार की भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अचानक मौत हो गई थी. इसके पूर्व कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. इस बारे में वरिष्ठ कार्डियक स्पेशलिस्ट नवनीत जयपुरियर का कहना है कि युवाओं में इस तरह की मौत का कारण उनकी लाइफ स्टाइल, अत्यधिक जिम और टेंशन, पोस्ट कोविड के बाद बॉडी में आए विभिन्न प्रकार के चेंजेज भी हैं. युवाओं को खुद पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
यह भी पढ़ें : गोरखपुर के होटल में कारोबारी की पीटकर हत्या मामले में सीबीआई ने दाखिल की पूरक चार्जशीट